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Sarva Pitru Amavasya 2023: जिन पितरों की मृत्यु की तिथि नहीं पता, उनका सर्व पितृ अमावस्या पर करें श्राद्ध

भूले बिसरे पितरों के निमित्त श्राद्ध के लिए सर्व पितृ अमावस्या को श्राद्ध किया जा सकता है. इस बार सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को है. पुष्कर में श्राद्ध कार्य के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं.

Sarva Pitru Amavasya 2023
सर्व पितृ अमावस्या

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 9, 2023, 6:36 PM IST

14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या

अजमेर.तीर्थराज नगरी पुष्कर में श्राद्ध कर्म का दौर जारी है. 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध है. जिन पूर्वजों की मृत्यु की तिथि मालूम नहीं हो, ऐसे पितरों का श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन कर सकते हैं. यानी भूले बिसरे पितरों के निमित्त श्राद्ध के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुष्कर आएंगे. यही वजह है कि पहले से ही श्राद्ध कर्म के लिए पुष्कर में तीर्थ पुरोहितों को उनके यजमानों की ओर से कह दिया गया है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुष्कर पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने से 7 कुल के पितृ प्रसन्न होते हैं और घर में खुशहाली आती है. जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर में स्थित ब्रह्म सरोवर में श्राद्ध कर्म करने का विशेष महत्व है. यहां किए गए श्राद्ध कर्म से पितरों को तृप्ति प्रदान होती है. सदियों से श्राद्ध कर्म के लिए देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुष्कर आ रहे हैं. इसका कारण यहां की धार्मिक मान्यताएं हैं. पुष्कर को सतयुग का तीर्थ कहा जाता है. वहीं यहां स्थित सरोवर के जल को जगत पिता ब्रह्मा के कमंडल में भरे जल के समान पवित्र माना जाता है.

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तीर्थराज का पुष्कर सभी तीर्थों का गुरु है. ऐसे में यहां किये गए सत और धार्मिक कर्म का फल भी अधिक मिलता है. यही वजह है कि दुनिया में पुष्कर तीर्थ ही है जहां पर 7 कुल का श्राद्ध होता है. इन दिनों पुष्कर सरोवर के घाटों पर पूजा-अर्चना और श्राद्ध कर्म का दौर जारी है. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पुष्कर आए हुए हैं और अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस बार श्राद्ध 17 दिन तक होगा. इन श्राद्ध में 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन श्राद्ध कर्म करना सबसे उत्तम माना जाता है.

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श्राद्ध पक्ष की कथा: तीर्थ पुरोहित पंडित रुपाराम पाराशर बताते हैं कि राजा कर्ण बहुत ही दानी था. वह हमेशा सोने का दान दिया करता था. उसकी मृत्यु के उपरांत जब उसे यमलोक ले जाया गया, तो वहां उसे भोजन में भी स्वर्ण ही परोसा गया और उसके बाद स्वर्ग में उसे जगह नहीं दी गई. इस पर राजा कर्ण काफी दुखी हुए. ऐसे में राजा कर्ण को पुनः पृथ्वी पर 15 दिन के लिए भेजा गया. इस दौरान राजा कर्ण ने ब्राह्मण और गरीबों को खूब अन्य वस्त्र दान किया और धार्मिक अनुष्ठान किये.

इनके अलावा पितरों के निमित्त राजा कर्ण ने श्राद्ध भी किये. पितरों के आशीर्वाद से राजा कर्ण की गति हुई. तब से श्राद्ध पक्ष को पितरों के प्रति श्रद्धा का पर्व भी कहा गया है. पंडित पाराशर ने बताया कि जिस दिन मृत्यु की तिथि होती है. वहीं श्राद्ध की भी तिथि रहती है. श्राद्ध पक्ष में तिथि के अनुसार ही पितरों के श्राद्ध लोग करते हैं. लेकिन जिन पितरों की मृत्यु की तिथि पता नहीं रहती उनके निमित्त सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध करने का प्रावधान है.

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पुष्कर तीर्थ पुरोहित पंडित सतीश चंद्र शर्मा ने बताया कि पुष्कर तीर्थ में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करने से पितरों की तृप्ति होती है और वह खुश होकर श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को धन संपदा, खुशहाली और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं. वेद और पुराणों में इस का वर्णन है. पुष्कर सरोवर के घाट पर पितरों के निमित्त तर्पण, गायत्री का जाप करना, पिंडदान करना, पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

पित्तरों के निमित्त अन्न, जल वस्त्र, धन का दान करना श्रेष्ठ फलदायक माना जाता है. जबकि श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त अन्न जल का दान नहीं करने से पितृ नाराज हो जाते हैं. इस कारण घर में कई तरह की तकलीफें आती है. पंडित सतीश चंद्र शर्मा बताते हैं कि पितरों के आशीर्वाद से आयु, धन, प्रजा, संतान इत्यादि की वृद्धि होती है. श्राद्ध कर्म से पिता पुत्र को धनवान होने का आशीर्वाद देता है. दादा पोते को संतान होने का आशीर्वाद देते हैं. दादा के पिता सुख शांति का आशीर्वाद देते हैं. इसलिए हर व्यक्ति को पितृ कर्म जरूर करना चाहिए.

दो से ढाई लाख पुष्कर में करते हैं श्राद्ध कर्म: श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य नहीं होते हैं. इन दिनों केवल पितरों के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की जाती है. पंडित शर्मा ने बताया कि पुष्कर में श्राद्ध पक्ष में प्रतिदिन श्राद्ध कर्म के लिए 15 हजार के लगभग श्रद्धालु आ रहे हैं. पूर्ण श्राद्ध पक्ष होने तक करीब दो से ढाई लाख श्रद्धालु पुष्कर आते है. सर्व पितृ अमावस्या पर पुष्कर में श्रद्धालुओं की आवक अधिक रहेगी.

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