पटना:माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) मनाई जाती है. इस साल 5 फरवरी यानी आज देशभर में बसंत पंचमी मनाई जाएगी. इस दिन विद्या वाणी और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा (Saraswati Maa Worship) होती है. माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थियों को बुद्धि और विद्या का वरदान प्राप्त होता है. मां सरस्वती को पीला और सफेद रंग प्रिय है. इसलिए बसंत पंचमी पर लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग के फूलों से मां सरस्वती की पूजा करते हैं. शिक्षण संस्थानों में विशेष रूप में बसंत पंचमी मनाई जाती है.
बसंत ऋतु में जहां पृथ्वी का सौंदर्य निखर उठता है, वहीं उसकी अनुपम छटा देखते ही बनती है. बसंत पंचमी को लेकर आचार्य कमल दुबे ने बताया है कि इस बार बसंत पंचमी 5 फरवरी को है. इस दिन विद्या वाणी और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है. लोग अपने घरों में पकवान और मिठाइयां बनाते हैं. इसके साथ ही बसंत के आगमन को लेकर कई जगह उत्सव ही मनाए जाते हैं. जहां लोग पीले वस्त्र में सजे-धजे गाते नाचते नजर आते हैं. बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं इसका क्या महत्व है आइए इसके विषय में जानते हैं.
आचार्य कमल दुबे बता रहे हैं बसंत पंचमी का महत्व. बसंत पंचमी पर पीले कपड़े का महत्व-मान्यता है कि इस दिन सबसे पहले पीतांबर धारण करके भगवान श्री कृष्ण ने देवी सरस्वती का पूजन माघ शुक्ल पक्ष पंचमी को किया था. तब से बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती पूजन का प्रचलन है. देवी सरस्वती की आराधना वागीश्वरी भगवती शारदा वीणा वादिनी जैसे अनेक नामों से होती है. कथा के अनुसार, माता सरस्वती ने अपनी वाणी से संगीत की उत्पत्ति की. इसकी वजह से उन्हें कला और संगीत की देवी कहा जाता है. मां सरस्वती की पूजा में पीले और सफेद रंग की मिठाई, फूल, केसर, चंदन, अक्षत का विशेष महत्व होता है.
ज्योतिष के अनुसार, पीले रंग का संबंध गुरु ग्रह से है जो ज्ञान धन और शुभता के कारक माने जाते हैं. गुरु ग्रह के प्रभाव से धन बढ़ता है और सुख समृद्धि प्राप्त होती है. पीले रंग का प्रयोग करने से गुरु ग्रह का प्रभाव बढ़ता है और जीवन में धन दौलत मान यश की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में पीला रंग बहुत शुभ माना जाता है. पीला रंग विस्तार और जीवन में सुख समृद्धि का रंग है इस दिन हल्दी और चंदन का तिलक लगाने से सुख, धन व समृद्धि में वृद्धि होती है. पीले लड्डू और केसर युक्त खीर माता सरस्वती भगवान कृष्ण भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है. पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा उपासना करने से माता सरस्वती भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं.
पूजा का शुभ मुहूर्त:इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है. इस दिन लोग अपने अपने घरों में माता सरस्वती की प्रतिमा का पूजन करते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती ब्रह्माजी के मुख से अवतरित हुई थी. इस वजह से हर वर्ष बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा का आयोजन होता है. 5 फरवरी को मां सरस्वती की पूजा के लिए 5 घंटा 18 मिनट का शुभ मुहूर्त रहेगा. इस दिन सुबह 7:19 से 12:35 तक मां सरस्वती की पूजा करना शुभ रहेगा.
सरस्वती पूजा विधि:इस दिन सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें, सरस्वती माता की पूजा और व्रत का संकल्प लें. एक चौकी पर पीले वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा अथवा मूर्ति को स्थापित करें. माता को पीले वस्त्र पीला चंदन हल्दी केसर हल्दी से रंगे हुए अक्षत या चावल पीले पुष्प को माता को अर्पित करें. इस दिन माता रानी को केसर युक्त खीर अर्पित करें. माता की आरती और वंदना करके आशीर्वाद प्राप्त करें. ओम सरस्वती नमो नमः मंत्र का जाप करने से माता सरस्वती उस जातक के ऊपर प्रसन्न होंगी और अपना पूर्ण आशीर्वाद उस जातक को प्रदान करेंगी.
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