नई दिल्ली :तीन कृषि कानूनों के विरोध में हमारा आंदोलन हमेशा शांतिपूर्ण रहा है. सरकार जब तमाम हथकंडों के बावजूद किसानों की आवाज को दबा नहीं सकी तो अब हिंसा का रास्ता अपनाया जा रहा है. ये आरोप संयुक्त किसान मोर्चा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने लगाया है.
बता दें कि शनिवार को करनाल में पुलिस ने उग्र प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया जिसके एक दिन बाद रविवार को 55 वर्षीय सुशील काजल की मृत्यु हार्ट अटैक से हो गई. किसान नेताओं का मानना है कि सुशील की मौत पुलिस के लाठीचार्ज की वजह से हुई, जबकि करनाल के ही पुलिस अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि न तो सुशील लाठी चार्ज के बाद किसी अस्पताल गए और न ही उनकी मृत्यु के बाद उनका पोस्टमार्टम कराया गया. अगर पोस्टमार्टम कराया जाता तो मौत के असल कारणों का पता लग सकता था. वह सामान्य स्थिति में अपने घर गए और नींद के दौरान ही उनकी मौत हुई है. हालांकि किसान नेता स्थानीय प्रशासन की इस दलील को नकार देते हैं.
'ईटीवी भारत' से विशेष बातचीत में मोल्लाह ने कहा कि हरियाणा सरकार और उनका प्रशासन पल्ला झाड़ने के लिए अब ये बाते कह रहे हैं. सच्चाई यही है कि पूरे आंदोलन के दौरान यह दूसरी बार हुआ है कि किसी किसान की मौत पुलिस बर्बरता के कारण हुई है. इससे पहले 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान भी एक उत्तराखंड के किसान की मौत पुलिस बर्बरता के कारण ही हुई थी जिसको दुर्घटना बताया गया.
हन्नान मोल्लाह ने कहा कि अब तक 600 से ज्यादा किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं. हम तमाम तरह की कठिनाइयों को सहने के बावजूद शांतिपूर्ण रूप से अपना आंदोलन जारी रखे हैं और सरकार को अपनी बात समझना चाहते हैं लेकिन सरकार उनकी सुन नहीं रही है. सरकार कहती है कि वह किसानों से बातचीत करने को तैयार है लेकिन स्थान और समय नहीं बताती.