मुंबई : शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया है. सामना के संपादकीय में पीएम मोदी को निशाने पर लिया है. निशाने पर लेते हुए कहा गया कि एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान को वैक्सीन भेजकर मानवता दिखाते हैं. उस कार्य के लिए आलोचना सहते हैं. उसी समय उत्तर प्रदेश के एक मंदिर में प्यासे मुसलमान बच्चे को पानी देने से इनकार कर दिया जाता है, ये कैसा रामराज्य है? जहां पानी नकार दिया गया, वहां मंदिर में ईश्वर का वास नहीं होना चाहिए!
कब जाएगा जाति और धर्म का भूत
सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि जाति और धर्म का भूत हमारे देश से जाएगा, ऐसा दिखता नहीं है. जाति और धर्म आरक्षण, आरक्षित जगहों से परे पहुंच चुका है. भाषणों में हमारे देश हिंदुस्थान के महान होने की बात हमेशा कही जाती है, परंतु इस महानता को जातीयता का कलंक लगाकर कुछ लोग देश को बौना बनाते देते हैं. ऐसा ही एक घटना से देश की महानता पर प्रश्नचिह्न लगा है. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जो हुआ वह झकझोरनेवाला है. एक प्यासा बच्चा वहां के एक मंदिर में पानी पीने गया था. नल की टोंटी से दो घूंट पानी पीया तभी मंदिर से दो लोग दौड़ते हुए वहां आए. उस बच्चे को उन्होंने बेरहमी से पीटा.
उस बच्चे को मारने के दौरान एक वीडियो तैयार करके 'वायरल' किया गया. उस प्यासे बच्चे को क्यों मारा? तो उसका धर्म मुसलमान था. उसका गुनाह यह है कि प्यासा होने के बावजूद वह प्यास मिटाने के लिए हिंदुओं के मंदिर में गया. मंदिर के बाहर एक बोर्ड पहले ही लगा था. मुसलमानों को अंदर प्रवेश नहीं! बस।. यह मानो ईश्वर का ही आदेश था कि प्यास से तड़पते बच्चों को दो घूंट पानी के लिए भी मंदिर में प्रवेश नहीं देना है. भूखे को अन्न और प्यासे को पानी यही वास्तविक धर्म होने की बात हमेशा कहा गया है. भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने महाड में चवदार तालाब सत्याग्रह किया था. दलितों को जलकुंभ पर आना प्रतिबंधित था. उसके विरोध में यह बगावत थी. पानी की जाति भी होती है, ऐसा तब आंबेडकर ने कहा था. अब पानी का धर्म भी होने की बात उस मुसलमान बच्चे ने दिखा दी है.
कौन-सा हिंदू?
किस हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व हम कर रहे हैं? ऐसा सवाल मेरे मन में इस पूरे मामले को लेकर उठा. सहिष्णुता हिंदू धर्म का सबसे बड़ा अलंकार है. ऐसी घटनाएं जब सामने आती हैं तब यह अलंकार नकली सिद्ध होता है. हिंदू समाज के अति पिछड़े, गरीब लोग बड़ी संख्या में धर्मांतरण कर रहे हैं. आदिवासी बस्तियों में ईसाई मिशनरियां जाती हैं और वहां अशिक्षित लोगों को बरगलाती हैं. ऐसे समय में उन मिशनरी वालों को ओडिशा के जंगल में जलाकर मारनेवाले लोग हमारे ही धर्म में निर्माण हुए और उन जलानेवालों का सार्वजनिक तौर पर सम्मान करनेवाले लोग भी देखें. 'लव जिहाद' के विरोध में माहौल तैयार करना, गोमांस प्रकरण में हिंसाचार करना ये अब रोज की ही बात हो गई है, परंतु ये सब करनेवाले और इस कृत्य का समर्थन करनेवाले अब प्यासे मुस्लिम बच्चे को उसके मंदिर में पानी पीने के लिए जाने की वजह से जो मारपीट की, उस घटना का भी समर्थन करेंगे क्या?
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी 'जय श्रीराम' का नारा नहीं देतीं, वह हिंदू विरोधी हैं, ऐसा प्रचार हो रहा है, परंतु हिंदुओं के मंदिर में प्यासे को पानी नकारना व पानी पीने के कारण एक बच्चे को मारना ये भी उतना ही हिंदू विरोधी है. प्रधानमंत्री मोदी अपने 'मन की बात' में देश की कई छोटी-मोटी घटनाओं पर भावनात्मक तड़का देते रहते हैं. उन्हें पानी नकारे गए उस छोटे बच्चे के मुद्दे को भी स्पर्श करना चाहिए.