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Jaddanbai Story: कहानी Sanjay Dutt की नानी जद्दनबाई की, जिसने कोठे से तय किया सिनेमा तक का सफर - जद्दनबाई का बिहार से नाता

Sanjay Dutt Grandmother: बॉलीवुड में सुनील दत्त, नरगिस और उनके बेटे संजय दत्त वो सितारे हैं जिनकी चमक हमेशा बनी रहेगी. वहीं नृत्य संगीत की दुनिया में उतना बड़ा ही नाम संजय दत्त की नानी जद्दनबाई का है. जद्दनबाई के संघर्ष की कहानी यूपी से जुड़ी है तो उनके दबदबे और सफलताओं की कहानी बिहार के गया से जुड़ी है. यहां जद्दनबाई की हवेली में हर शाम गीत संगीत की महफिल सजती थी. हर शाम संगीत की थाप पर गया झूमता था. क्या है जद्दनबाई की पूरी कहानी विस्तार से जानें.

संजय दत्त की नानी जद्दनबाई का बिहार से नाता
संजय दत्त की नानी जद्दनबाई का बिहार से नाता

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 9, 2023, 6:18 AM IST

Updated : Nov 9, 2023, 4:57 PM IST

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गया:संजय दत्तकी नानीजद्दनबाई हुसैन का जन्म 1892 में बनारस में हुआ था. बिहार के गया से देश की प्रसिद्ध नर्तकी-गायिका रही जद्दनबाई का गहरा संबंध रहा है. जद्दनबाई फिल्म अभिनेता संजय दत्त की नानी थीं. आज भी गया में जद्दनबाई के नाम की हवेली मौजूद है. कहा जाता है, कि इस हवेली में रईसों की महफिल सजती थी और जद्दनबाई की ठुमरी गायन और नृत्य के एक से बढ़कर एक कद्रदान आते थे.

संजय दत्त की नानी और नरगिस की मां थीं जद्दनबाई: जद्दनबाई प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता संजय दत्त की नानी और नरगिस की मां थी. जानकार बताते हैं कि जद्दनबाई की मां दलीपबाई तवायफ थी. जद्दनबाई को विरासत में संगीत नृत्य मिला था. जद्दनबाई जब नृत्य करती थीं, तो राजा रजवाड़े मंत्र मुग्ध हो जाते थे. गया निवासी आज भी शहर की उस रौनक को याद कर खुशी से झूम उठते हैं.

"संजय दत्त की नानी का यह हवेली है. इसमें पहले नृत्य हुआ करता था. नृत्य की क्लास भी चलती थी. बड़ी संख्या में लोग आते थे. मैं इस हवेली को 1986 से देख रही हूं. पहले हवेली काफी अच्छी स्थिति में थी लेकिन अब टूटफूट चुका है."- उर्मिला देवी, स्थानीय

"यह हवेली एक प्रसिद्ध संगीतकार जद्दनबाई का था. जद्दनबाई संजय दत्त की नानी और नरगिस की मां थीं. यह हवेली अब खंडहर बन चुकी है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए."- हर्षित अवस्थी, विद्यालय से जुड़े कर्मी

जद्दनबाई की शादी को लेकर अलग-अलग मत: जानकार बताते हैं कि जद्दनबाई की तीन शादियां हुई थीं, जिसमें एक शादी बिहार के गया जिले के रहने वाले शख्स से हुई थी. उस समय दौलतबाग नाम से रजवाड़ा था जो आज का गया का शहर का पंचायती अखाड़ा है. हालांकि, गया में शादी के संदर्भ में अलग-अलग मत भी है, कुछ इसे नहीं भी मानते हैं.

"हवेली खंडहर हो चुका है. जद्दनबाई का ये महल है. मुजरा किया जाता था. सरकार को इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए. जफरद्दुीन से जद्दनबाई ने शादी की थी. उनके कई महलों में से एक ये भी है. इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं"- अनीता देवी, स्थानीय

देश की प्रसिद्ध ठुमरी नृत्यांगना थीं जद्दनबाई :जद्दनबाई का एक महल आज भी गया शहर में मौजूद है. पंचायती अखाड़ा में डायट परिसर में मौजूद यह महल जीर्ण-शीर्ण हालत में है. लेकिन इस महल की यादें जद्दनबाई के नाम से ही चमक उठती है. देश की प्रसिद्ध ठुमरी गायिका जद्दनबाई के इस महल में आने वाले यहां आकर मन्नत मांगते हैं.

मन्नत मांगने आते हैं लोग:इस तरह आज भी लोगों के लिए यह महल जद्दनबाई का एक जिंदा स्वरूप है. लोग यह भी बताते हैं कि इस महल के सामने खड़े होकर मांगी गई मन्नत भी पूरी होती है. इस तरह से जद्दनबाई का महल आज मन्नत पूरी करने वाली एक स्थली के रूप में भी जाना जाने लगा है.

जफर नवाब ने हवेली दी थी गिफ्ट: गया घराने से जुड़े पंडित राजेंद्र सिजुआर शास्त्रीय उप शास्त्रीय गायकी से जुड़े हुए हैं. ये जद्दनबाई के संबंध में काफी कुछ जानकारी रखते हैं. पुराने इतिहास की चीजों पर उनकी अच्छी पकड़ है. गया घराने से जुड़े पंडित राजेंद्र सिजुआर बताते हैं कि जद्दनबाई को जफर नवाब से प्रश्रय मिला. जफर नवाब बड़े संगीत प्रेमी थे. यही वजह है जफर नवाब की हवेलियों के बीच में जद्दनबाई की हवेली आज भी मौजूद है, जो कि उनके द्वारा जद्दनबाई को दी गई थी.

संजय दत्त की नानी की हवेली

"गया में पंडित स्वर्गीय माधव लाल कटारिया के सान्निध्य में गायकी संगीत में जद्दनबाई का निखार आया. इसके बाद कोलकाता मुंबई की राह खुली. जद्दनबाई की मां तवायफ थी. पहले संगीत तो वाइफ़ों के पास रहते थे. उस जमाने में ठप्पा ठुमरी की कदर करने वाले होते थे." - पंडित राजेंद्र सिजुआर, शास्त्रीय उपशास्त्रीय गायक, गया घराना

बनारस, कोलकाता, मुंबई और गया से लगाव:जद्दनबाई का लगाव बनारस- कोलकाता के साथ-साथ गया से भी रहा. हालांकि जद्दनबाई के इतिहास को गया से जुड़े उनके तथ्यों को गंभीरता से अब तक रेखांकित नहीं किया गया है, लेकिन जानकार कई तथ्यों को उजागर करते हैं. बताते हैं, कि जद्दनबाई का रिश्ता बनारस और कोलकाता से है ही, साथ ही साथ गया से भी बड़ा रिश्ता रहा है.

देश की पहली महिला संगीतकार जद्दनबाई:उस समय बनारस, कोलकाता के अलावे गया भी नृत्य संगीत का बड़ा केंद्र होता था. इसका प्रमाण गया शहर में स्थित जद्दनबाई का महल है. जद्दनबाई गया घराना से भी जुड़ी थी. उसके ठुमरी गायन, नृत्य के कद्र करने वाले रईस, प्रसिद्ध राजा रजवाड़े के वंशज भी थे.

संघर्ष ने दिलाई सफलता: कई प्रसिद्ध राजाओं के वंशज जद्दनबाई के महल में ठुमरी गायन और नृत्य देखने आते थे. गया में जद्दनबाई के कई साल बीते. हालांकि, समय बीतने के साथ जद्दनबाई प्रसिद्ध भारतीय गायिका और अभिनेत्री भी बनी. जद्दनबाई हुसैन भारतीय सिनेमा की पहली महिला संगीतकार रहीं.

संजय दत्त भी कहते हैं, गया हमारा ननिहाल:प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता संजय दत्त कहते भी रहे हैं, कि गया से हमारा गहरा नाता है. गया हमारा ननिहाल है. इसका बड़ा उदाहरण जद्दनबाई का महल है, जो आज भी मौजूद है. इसकी देख-देख उनकी पुत्री नरगिस ने काफी समय तक की.

अस्तित्व खो रही जद्दनबाई की हवेली: लेकिन अब देखरेख के अभाव में यह बड़ी विरासत अब अपना अस्तित्व धीरे-धीरे खोने लगी है. जद्दनबाई का महल जीर्ण शीर्ण हो चला है. हालांकि ऐसे धरोहरों को कहीं न कहीं संजो कर रखने की जरूरत है, क्योंकि इस महल को बनाने में अद्भुत कला दिखाई गई, जो धीरे-धीरे आप ढहती जा रही है.

गया से मिली सफलता की मंजिल: जानकार बताते हैं, कि जद्दनबाई यूपी की रहने वाली थी. गया आने के बाद ही वह कोलकाता और मुंबई पहुंची थीं. गया में ही जद्दनबाई ने ठुमरी गायन और नृत्य में अद्भुत कला दिखाई. इसके बाद गया से ही वह कोलकाता और मुंबई को पहुंची थी और फिर गायकी, नृत्य और अभिनेत्री के क्षेत्र में अपना प्रतिभा दिखाई.

1949 में जद्दनबाई का निधन:1935 में जद्दनबाई ने प्रोडक्शन हाउस खोला था. इसी प्रोडक्शन के तले फिल्म तलाश ए हक का निर्माण हुआ, जिसकी वो एक्ट्रेस भी रहीं और उसका म्यूजिक भी खुद ही दिया. इस तरह वो सिनेमा की पहली महिला संगीतकार बन गईं. हालांकि 1949 में जद्दनबाई का निधन हो गया.

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Last Updated : Nov 9, 2023, 4:57 PM IST

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