ग्वालियर : मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में आई बाढ़ ने एक तरफ हजारों लोगों के आशियाने को उजाड़ दिए वहीं रेत माफियाओं को मालामाल होने का मौका भी दिया. बाढ़ में अपना सबकुछ गंवा चुके सैकड़ों लोग जहां सड़क पर जिंदगी गुजारने को मजूबर हैं वहीं रेत माफिया चांदी काट रहे हैं.
दरअसल, बाढ़ के दौरान अंचल की सभी बड़ी नदियां चंबल, पार्वती सिंध उफान पर थीं. ये नदिया अपने साथ बड़ी मात्रा में रेत भी बहाकर लाईं और बारिश का पानी उतरने पर उसे किनारे पर छोड़ गईं. नियमों के मुताबिक इस रेत पर सरकार का हक होता है,लेकिन सरकार रेत माफियाओं के आगे नतमस्तक है. रेत माफिया धड़ल्ले से नदियों के किनारों पर फैली रेत का अवैध उत्खनन कर रहे हैं और जिला प्रशासन उनके सामने तमाशबीन बना नजर आ रहा है.
कौन रोकेगा रेत माफिया को ?
ग्वालियर चंबल अंचल में रेत का अवैध उत्खनन रेत माफियाओं की कमाई का बड़ा जरिया है वे इसके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं. सरकार के सामने कई बार ऐसे मामले आ चुके हैं जब रेत माफिया कार्रवाई करने वाले अफसरों को भी अपना निशाना बना चुके हैं.
प्रदेश पुलिस के मुखिया पहली बार अंचल के दौरे पर आए यहां जब ईटीवी भारत की टीम ने उनसे बात की तो वे भी रेत माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात से बचते नजर आए, हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि रेत माफियाओं पर लगाम लगाए जाने और उन्हें संरक्षण देने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है, लेकिन सवाय यह है कि यह कार्रवाई करेगा कौन और कब. ईटीवी भारत में बातचीत में उनका अजीबोगरीब बयान सामने आया.
डीजीपी मप्र विवेक जाैहरी ने कहा कि यह समस्या एकदम से खत्म नहीं होगी. जो इस काम में लिप्त अपराधी हैं उनके हौसले काफी हाई हैं. पुलिस ऐसे अपराधियों और माफियाओं पर लगातार कार्रवाई करती रहती है, पुलिस अधीक्षकों को भी कार्रवाई की निर्देश दिए गए हैं.