नई दिल्ली : किसानों के हित और आंदोलन के साथ बना किसान संगठनों का साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा में अब अंतर्कलह और दो फाड़ होने की खबरें सामने आ रही हैं. किसान आंदोलन के स्थगित होने के बाद जब पंजाब के 24 किसान संगठनों ने राजनीतिक दल का गठन कर विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया तभी से किसान मोर्चा में मतभेद की बातें सामने आने लगी थी. चुनाव के नतीजों के बाद जब 14 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली में राष्ट्रीय बैठक बुलाई तो मतभेद खुल कर सामने आ गए.
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की थी कि जो किसान संगठन राजनीतिक दल बनाकर चुनाव में उतर रहे हैं वह संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा नहीं होंगे. साथ ही विधानसभा चुनाव तक उनके नेता भी किसान मोर्चा की किसी भी गतिविधियों से अलग रहेंगे. चुनाव के बाद ऐसे किसान नेताओं को फिर से मोर्चा में शामिल किया जाए या नहीं इस पर बैठक कर निर्णय किया जाना था. जब बैठक बुलाई गई तो बलबीर सिंह राजेवाल और गुरनाम चढूनी के नेतृत्व वाले किसान संगठनों ने बैठक स्थल पर ही कब्जा जमा लिया और अपनी समानांतर बैठक शुरू कर दी.
बलबीर सिंह राजेवाल और गुरनाम चडूनी के नेतृत्व में ही पंजाब में संयुक्त समाज मोर्चा और संयुक्त संघर्ष पार्टी का गठन कर किसान नेता चुनाव में उतरे थे. राजनीति में प्रवेश के बाद इन दो नेताओं को न केवल संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्यीय कमेटी से हटा दिया गया था बल्कि इन्हें बैठक में भी नहीं बुलाया गया था. इस बात से क्षुब्ध गुरनाम चढूनी और राजेवाल गुट के किसान बिन बुलाए ही मीटिंग में पहुंचे जिसके बाद तनाव का माहौल बन गया. हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य नेताओं ने परिस्थिति को संभालते हुए अपनी बैठक गांधी प्रतिष्ठान के मीटिंग हॉल की बजाय बाहर खुले में की.
इस तरह से संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों की दो अलग अलग बैठकें दिल्ली में हुईं. इसके बाद बुधवार को चंडीगढ़ में वरिष्ठ किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने बयान जारी कर कहा कि उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा की कोआर्डिनेशन कमेटी को भंग कर दिया है और उनके साथ जुड़े किसान संगठनों को ही संयुक्त किसान मोर्चा होने का दावा भी किया.
दूसरी तरफ बाकी किसान नेता जिसमें डॉ. दर्शन पाल, हन्नान मोल्लाह, जगजीत डल्लेवाल, युद्धवीर सिंह और योगेंद्र यादव शामिल हैं का दावा है कि संयुक्त किसान मोर्चा से राजेवाल और चढूनी गुट का अब कोई संबंध नहीं है. पूरे मामले पर 'ईटीवी भारत' ने वरिष्ठ किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल से भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो सके.