नई दिल्ली:तीन कृषि कानूनों और एमएसपी गारंटी की मांग के खिलाफ संयुक्त विरोध प्रदर्शन करने के लिए गठित संयुक्त किसान मोर्चा अब सबको एक साथ रखने के लिए संघर्ष कर रहा है. मंगलवार को नई दिल्ली में 60 किसान संघों ने खुद को गैर-राजनीतिक संयुक्त किसान मोर्चा बताते हुए बैठक की. बैठक में दूसरे पक्ष, पर किसान नेता होने का दावा करने वाला राजनीतिक कार्यकर्ता होने का आरोप लगाया गया. वहीं मोर्चा ने यह घोषणा भी की है कि एमएसपी गारंटी, लखीमपुर खीरी पीड़ितों के लिए न्याय और किसानों की अन्य शेष मांगों को पूरा करने के लिए 22 अगस्त को जंतर मंतर पर 'किसान महापंचायत' का आयोजन करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वह अग्निपथ योजना के मुद्दे को भी आंदोलन में शामिल करेंगे.
इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के कोर कमेटी का हिस्सा रह चुके जगजीत सिंह दल्लेवाल और शिव कुमार शर्मा शामिल रहे, जिन्होंने किसान संगठनों और राजनीतिक महत्वाकांक्षा वाले नेताओं के साथ अपने अलगाव की घोषणा की थी. किसान नेताओं ने बैठक के बाद मीडिया को संबोधित किया जिसके दौरान उन्होंने घोषणा की कि वे लखीमपुर खीरी की घटना एमएसपी सहित अन्य किसान मुद्दों पर लड़ाई जारी रखेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अपने समूह को किसी ऐसे संगठन से नहीं जोड़ेंगे जो राजनीतिक हो.
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि वह और कई अन्य किसान संगठनों के नेता पंजाब चुनाव लड़ने वाले लोगों के खिलाफ थे और उन्होंने इस मुद्दे को आम मंच पर भी उठाया था. इसके बाद राजनीतिक रूप से जाने वाले 16 किसान संगठनों को संयुक्त किसान मोर्चा से निलंबित कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि चुनाव लड़ने और हार का सामना करने के बाद, वह नेता फिर से संयुक्त किसान मोर्चा में बिना शर्त वापसी चाहते थे.
दल्लेवाल ने कहा, हम उनकी वापसी का विरोध कर रहे थे, लेकिन कई संगठनों की आवाज को नजरअंदाज करते हुए गाजियाबाद में 3 जुलाई की बैठक के बाद इन नेताओं का संयुक्त किसान मोर्चा में स्वागत किया गया. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा को विभाजित करने से पहले, देशभर से 400 से अधिक किसान संघों ने समर्थन का दावा किया था. वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष और शिव कुमार कक्काजी ने कहा कि जब संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन को स्थगित करने घोषणा की थी तब वह प्रदर्शन को स्थगित करने के पक्ष में नहीं थे.