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सरकार का बुलावा न आने से संयुक्त किसान मोर्चा निराश, आज तय होगी आगे की रणनीति

केंद्र सरकार ने भले ही तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हैं लेकिन किसानों का आंदोलन अभी जारी है. सरकार की ओर से बुलावा न आने से निराश संयुक्त किसान मोर्चा (samyukt kisan morcha) आज आगे की रणनीति तय करेगा. अभिजीत ठाकुर की रिपोर्ट.

samyukt kisan morcha  (Photo: ETV Bharat)
संयुक्त किसान मोर्चा (फोटो-ईटीवी भारत)

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Published : Dec 7, 2021, 1:45 AM IST

Updated : Dec 7, 2021, 8:55 AM IST

नई दिल्ली :संयुक्त किसान मोर्चा ने 4 दिसंबर को पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर सरकार से बातचीत आगे बढ़ाने की इच्छा जताई थी. यह भी कहा था कि वह आंदोलन का समाधान चाहते हैं लेकिन तीसरे दिन सोमवार देर शाम तक भी किसान मोर्चा के पास सरकार से बातचीत के लिए कोई न्योता न आने से किसान नेता निराश दिखे.

सोमवार को कुंडली स्थित संयुक्त किसान मोर्चा के मुख्यालय पर पांच सदस्यीय कमेटी की बैठक हुई. मोर्चा की नौ सदस्यीय कमेटी भी बैठक में शामिल होने पहुंची लेकिन सरकार का बुलावा न आने से एक बार फिर समाधान का रास्ता टल गया. अब किसान नेताओं ने कहा है कि 7 दिसंबर की बैठक में वह आंदोलन को और मजबूती से आगे बढ़ाने की रणनीति पर विचार करेंगे.

एसकेएम की पांच सदस्यीय कमेटी में युद्धवीर सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी, अशोक धावले, बलबीर सिंह राजेवाल और शिवकुमार कक्का शामिल हैं. सोमवार को देर शाम बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते किसान नेताओं ने कहा कि न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार की तरफ से उनके पास कोई बुलावा आया है और इसलिए मंगलवार की बैठक में रणनीति तय होगी.
शिव कुमार कक्का ने कहा कि केंद्र सरकार ही चाहती थी कि एक छोटी कमेटी बने जो सरकार से बातचीत करे इसलिये पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. अपेक्षा थी कि सरकार की तरफ से अब आगे संवाद होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब किसान मोर्चा मंगलवार को आगे के कदम क्या हों इस पर चर्चा कर निर्णय लेगा.

एमएसपी से देशभर के किसानों पर फर्क पड़ता है : धावले
कमेटी के सदस्य डॉ. अशोक धावले ने कहा कि एमएसपी किसानों के लिए सबसे बड़ा सवाल है क्योंकि इससे पूरे देश के किसानों को फर्क पड़ता है. प्रस्तावित बिजली संशोधन कानून के कारण भी बिजली की दर प्रति यूनिट बढ़ेगी, इसके अलावा आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे की वापसी और पराली जलाने से संबंधित कानून ऐसे मामले हैं जिन पर सरकार के साथ चर्चा के लिए बुलाया जाना अपेक्षित था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि सरकार किसी गलतफहमी में न रहे कि संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन वापस ले लेगा, बल्कि मंगलवार की बैठक में हम और मजबूती से आंदोलन को आगे बढ़ाने पर बात करेंगे.

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के बाद भी आंदोलन जारी रखने पर सरकार ने न केवल किसान मोर्चा से आंदोलन वापस लेने की अपील की थी बल्कि कमेटी में शामिल होकर चर्चा की बात भी कही थी लेकिन औपचारिक तौर पर कोई प्रस्ताव अब तक किसान संगठनों के पास नहीं आया है.
युद्धवीर सिंह ने संयुक्त किसान मोर्चा को गृहमंत्री से हुई बातचीत के बारे में जानकारी भी दी. 4 दिसंबर की बैठक में कमेटी का गठन और 3 दिन का समय देना भी उसी बातचीत के बाद का नतीजा था लेकिन किसान मोर्चा को सरकार की तरफ से निराशा ही हाथ लगी.

सरकार का व्यवहार निराशाजनक : युद्धवीर सिंह
युद्धवीर सिंह का कहना है कि सरकार के रवैये से स्पष्ट होता है कि वह आंदोलन को लेकर गंभीर नहीं हैं. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार, पंजाब और हरियाणा सरकार ने भी आंदोलन के दौरान किसान प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही है लेकिन किसान अन्य मसलों पर बातचीत के लिए सीधे केंद्र सरकार के साथ वार्ता चाहते हैं. गृहमंत्री अमित शाह से हुई बातचीत के बारे में बताते हुए युद्धवीर सिंह ने कहा कि गृहमंत्री ने भी कहा कि वह सैद्धांतिक रूप से इस बात पर सहमत हैं कि किसानों को एमएसपी मिलनी चाहिए और इसके लिए कमेटी गठित कर बातचीत होनी चाहिए. मुकदमे वापस लेने पर भी बात हुई थी लेकिन अब सरकार का व्यवहार निराशाजनक है. किसान खुद चाहते हैं कि वह आंदोलन समाप्त कर घर वापस जाएं लेकिन जिस तरह से सरकार का व्यवहार है उसे सभ्य नहीं कहा जा सकता. गुरनाम सिंह चढूनी ने भी कहा कि संभव है किसान मोर्चा एक बार फिर दिल्ली कूच करने पर भी कोई निर्णय ले लेकिन यह सबकी सहमति से ही तय किया जाएगा.

पढ़ें- Farmer Protest : संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक कल, लिए जा सकते हैं महत्वपूर्ण फैसले

Last Updated : Dec 7, 2021, 8:55 AM IST

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