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29 नवंबर को किसान ट्रैक्टर पर करेंगे संसद कूच

सोनीपत में सिंघु बॉर्डर (singhu border) पर चल रही संयुक्त किसान मोर्चा (samyukt kisan morcha meeting) की बैठक खत्म हो गई है. बैठक में फैसला लिया गया कि 29 नवंबर से शीतकालीन सत्र शुरू होने पर हर दिन 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद (farmer parliament march 29 november) कूच करेंगे. हालांकि बैठक के दौरान किसान संगठनों में दरार भी देखने को मिली.

किसान संगठनों में दरार भी देखने को मिली
किसान संगठनों में दरार भी देखने को मिली

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Published : Nov 9, 2021, 7:37 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 10:58 PM IST

सोनीपत :तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (Farmers protest) लगातार जारी है. 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच में बातचीत पर डेड लॉक लगा हुआ है.

मंगलवार को संयुक्त मोर्चा (samyukt kisan morcha meeting) के किसान नेताओं ने आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर बैठक की. बैठक में किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढूनी समेत देश के सभी बड़े किसान नेता पहुंचे. वहीं, इस दौरान किसान संगठनों में दरार भी देखने को मिली. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (gurnam charuni) बैठक से नाराज होकर निकल गए.

किसान संगठनों में दरार भी देखने को मिली

सिंघु बॉर्डर पर कई घंटों तक चली बैठक शाम 6 बजे के आसपास खत्मा हो गई. बैठक में 25 एजेंडे किसान आंदोलन को तेज करने के लिए रखे गए, लेकिन दो ही एजेंडों पर बात हुई. 26 नवंबर को आंदोलन का एक साल पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी सभाएं करेगा. वहीं 29 नवंबर से संसद शीतकालीन सत्र शुरू होने पर हर दिन 500 किसान ट्रैक्टर लेकर संसद जाएंगे.

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भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) के नेता 26 नवंबर को दिल्ली कूच पर अड़े गए. संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाहर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी गुट) के लोगों ने संयुक्त मोर्चा के खिलाफ हूटिंग भी की. उन्होंने गुरनाम सिंह चढूनी को अपना नेता बता कर संयुक्त मोर्चा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत (rakesh tikait) माहौल को संभालते हुए नजर आए. टिकैत का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वो ये कहते नजर आ रहे हैं कि अगर सब ऐसा ही बर्ताव करेंगे तो संगठन की ऐसी-तैसी हो जाएगी. जिसके बाद किसान नेताओं ने मीडिया के कैमरे बंद करवा दिए.

नारेबाजी करने वाले किसान कह रहे थे कि हरियाणा की अगुवाई हरियाणा के किसान करेंगे. बाहर का नेता यहां चौधर ना करे. दिल्ली जाने का फैसला हरियाणा के किसान संगठनों ने लिया था. संयुक्त मोर्चा चाहे जो भी फैसला करे, लेकिन इस बार भी हरियाणा के किसान 26 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे.

बता दें कि इससे पहले 7 नवंबर को हरियाणा के किसान संगठनों ने रोहतक के मकड़ौली टोल पर बैठक की थी. 8 नवंबर को पंजाब में 32 जत्थेबंदियों ने बैठक की थी. अब 9 नवंबर को हरियाणा, पंजाब और अन्य राज्यों के किसान संगठन के नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में अपने संगठन का प्रतिनिधित्व करते हुए राय रखी.

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गौरतलब है कि 26 नवंबर 2020 को हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे और उनको दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में विरोध करने जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनीपत में कुंडली सिंघु बॉर्डर, झज्जर जिले के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया था. इसके बाद किसान संगठनों ने फैसला लिया था कि दिल्ली की सीमाओं पर ही किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे, तब से आज तक किसान संगठन मोर्चे पर डटे हुए हैं.

Last Updated : Nov 9, 2021, 10:58 PM IST

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