मुंबई :दिल्ली एसआईटी के बाद एनसीबी के अधिकारियों ने मुंबई एनसीबी के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) पर फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के कॉर्डेलिया क्रूज़ ड्रग पार्टी मामले की उचित ढंग से जांच नहीं की. वहीं सूत्रों का कहना है कि समीर वानखेड़े की विभागीय जांच एक बार फिर से शुरू हो सकती है. इससे समीर वानखेड़े की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
बता दें कि कॉर्डेलिया क्रूज़ ड्रग पार्टी मामले के बाद समीर वानखेड़े की उस समय काफी आलोचना हुई थी जब राकांपा नेता और पूर्व मंत्री नवाब मलिक ने वानखेड़े को लेकर सवाल उठाने के साथ ही उनकी जाति पर भी संदेह जताया था. वहीं प्रभाकर सेल ने भी एक चौंकाने वाला खुलासा किया कि समीर वानखेड़े ने आर्यन खान को रिहा करने के लिए 25 लाख रुपये की मांग की थी. मामले में दिल्ली एनसीबी ने एक एसआईटी का गठन करने के साथ मामले की जांच शुरू कर दी थी. एनसीबी अधिकारियों के मुताबिक समीर वानखेड़े द्वारा की गई जांच में गड़बड़ी पाई गई है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की गई है. वहीं एनसीबी के पूर्व मंडल निदेशक समीर वानखेड़े को एक और जांच का सामना करना पड़ सकता है.
पिछले साल अक्टूबर महीने में समीर वानखेड़े की टीम ने मुंबई से गोवा जा रहे कॉर्डेलिया क्रूज पर छापा मारा था. शुरुआत में अभिनेता आर्यन खान, अरबाज मर्चेंट समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में पूर्व मंत्री नवाब मलिक के बाद एनसीबी के जजों ने भी एनसीबी अधिकारियों पर पैसे मांगने के गंभीर आरोप लगाए थे. आरोप यह भी था कि आर्यन को रिहा करने के लिए 25 लाख की मांग की गई थी. इस पर संज्ञान लेते हुए एनसीबी के उप महानिदेशक ज्ञानेश्वर सिंह के मार्गदर्शन में एक विशेष टीम का गठन किया गया था. इस दौरान वानखेड़े का भी तबादला कर दिया गया. एनसीबी की सतर्कता समिति की टीम ने समीर वानखेड़े से भी पूछताछ की. तीन महीने पहले एनसीबी के महानिदेशक को तीन हजार पेज की जांच रिपोर्ट गई थी. इसी आरोप लगाने वाले प्रभाकर सेल की भी मौत हो गई. हालांकि एनसीबी की विशेष टीम पैसे के लेन-देन को लेकर आगे की जांच कर रही है.
जांच रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि क्रूज़ ड्रग पार्टी मामले की जांच ठीक से नहीं की गई. मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के काम में अनियमितताएं पाई गई हैं. इसके अलावा अपराध और अन्य अपराधों की जांच में भी विसंगति पाई गई है. इस मामले में चार बार 65 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं, इतना ही नहीं उनके जवाबों में भी अंतर पाया गया. वहीं कहा गया है कि सात से आठ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध थी. इस पर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है. साथ ही दो अपराधों में कुछ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है. इस रिपोर्ट के चलते वानखेड़े एक बार फिर जांच के घेरे में आ गए हैं.
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