सागर। पर्यावरण और मां नर्मदा के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले समर्थ दादा गुरु पिछले 3 साल से सिर्फ नर्मदा जल पर निर्भर है, लेकिन उनके चेहरे का तेज और आभामंडल देखकर शायद ही आपको विश्वास हो. महायोगी समर्थ दादा गुरु ने धर्म के जरिए समाज को जोड़कर प्रकृति और मां नर्मदा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है, नर्मदा मिशन के जरिए समर्थ दादा गुरु नर्मदा की अविरल धारा के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, तो प्रकृति के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए दिन-रात यात्राएं कर रहे हैं. महायोगी के कठोर व्रत को लेकर लोगों को विश्वास नहीं होता है, इसलिए दादा गुरु अक्टूबर माह में दिल्ली से मथुरा तक पदयात्रा करेंगे, जो करीब 7 दिन में पूरी होगी.
फिलहाल पहली बार सागर पहुंचे समर्थ दादा गुरु ने बताया कि "व्रत के जरिए हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि जो भी माटी और प्रकृति के नजदीक है, वही बेहतर और सुरक्षित है." खास बात ये है कि केवल नर्मदा जल पर निर्भर रहकर समर्थ दादा गुरु देश की करीब ढाई लाख किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं, 3200 किलोमीटर की मां नर्मदा की परिक्रमा कर चुके हैं और तीन बार रक्तदान भी कर चुके हैं. (Samarth Dada Guru)
समर्थ दादा गुरु की कठिन तपस्या:आमतौर पर देखने मिलता है कि धर्म और आध्यात्म्य से जुड़े साधु संत आम लोगों को सदमार्ग पर चलने और धर्म के महत्व को समझाते नजर आते हैं, लेकिन भारतीय योग परंपरा के साधक समर्थ दादा गुरु ने धर्म के जरिए समाज को जोड़कर प्रकृति और नदियों के संरक्षण का कठिन संकल्प लिया है. समर्थ दादा गुरु 35 महीने से केवल नर्मदा जल पी रहे हैं और प्रकृति और मां नर्मदा की सेवा में जुटे हैं. पर्यावरण और मां नर्मदा के लिए समर्पित समर्थ दादा गुरु सात रिकॉर्ड भी बनाए हैं, जिनमें देशभर में नदियों के प्रति जन जागरण के लिए करीब ढाई लाख किलोमीटर की निराहार रहते हुए यात्रा का रिकॉर्ड दर्ज हैं, तो निराहार ही मां नर्मदा के जल पर निर्भर रहते हुए मां नर्मदा की परिक्रमा का रिकॉर्ड भी दर्ज है. वहीं वे केवल पानी पीकर तीन बार रक्तदान कर चिकित्सा जगत के लिए भी कोतूहल का विषय बन चुके हैं.
अक्टूबर में दिल्ली से मथुरा तक करेंगे पदयात्रा:समर्थ दादा गुरु के कठिन व्रत पर लोगों को आसानी से विश्वास नहीं होता है, समर्थ दादा गुरु कार्तिक पूर्णिमा (27 नवम्बर) से फिर नर्मदा परिक्रमा शुरू करने जा रहे हैं. जब ये जानकारी दिल्ली में मीडिया के समक्ष रखी, तो वहां मौजूद पत्रकारों को विश्वास नहीं हुआ और उन्होंने कहा कि जब आप नर्मदा परिक्रमा शुरू करें, तो हम लोगों को बुलाएं. हम दो दिन आपके साथ रहकर देखना चाहते हैं कि कैसे आप सिर्फ नर्मदा जल पर निर्भर रहकर एक दिन में 25 किमी पैदल चल लेते हैं. इस बात पर समर्थ दादा गुरु ने कहा कि "नवंबर तक का समय तो बहुत हो जाएगा, अगर आप सत्य जानना चाहते हैं, तो मैं अक्टूबर माह की पहले हफ्ते में दिल्ली से मथुरा तक 7 दिनों की पदयात्रा करूंगा. दो दिन किसी को समझने के लिए कम होते हैं, आप लोगों को मुझे समझने के लिए 7 दिन मिलेंगे."