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पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ हो सकती है अवमानना ​​कार्यवाही

पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने एक कॉन्क्लेव में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी. एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने इन टिप्पणियों को लेकर जस्टिस गोगोई के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने पर अटॉर्नी जनरल से सहमति मांगी है.

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Published : Feb 23, 2021, 3:33 PM IST

नई दिल्ली : एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को एक पत्र लिखकर भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने पर सहमति देने की मांग की है.

12 फरवरी को पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शीर्ष अदालत के खिलाफ टिप्पणियां करते हुए कहा था कि न्यायपालिका के बारे में उनकी राय बहुत सकारात्मक नहीं है. उन्होंने कहा, सिर्फ कॉर्पोरेट लोग ही केस लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाते हैं, क्योंकि उनके पास धन होता है.

पूर्व प्रधान न्यायाधीश गोगोई के कुछ अन्य बयान, जिन पर गोखले ने अवमानना ​​की मांग की है-

जस्टिस गोगोई ने कहा था, हम पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं, लेकिन हमारे पास जर्जर न्यायपालिका है. उन्होंने कहा, सिस्टम ने काम नहीं किया है. अगर आप अर्थव्यवस्था पर दांव लगाना चाहते हैं तो आपके पास कारोबारी विवादों को निपटाने का मजबूत मंच होना चाहिए. अगर आपके पास एक मजबूत तंत्र नहीं है तो कोई भी आपके यहां निवेश नहीं करने वाला. मेकनिजम कहां है?

गोगोई यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा, अगर आप कोर्ट जाएंगे तो आपकी कोर्ट में भी खिंचाई होगी, न कि न्याय मिलेगा. मुझे ऐसा कहने में कोई हिचक नहीं है.

अटॉर्नी जनरल को लिखे पत्र में गोखले ने कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गईं ये अपमानजनक टिप्पणियां एक आम आदमी के द्वारा की गई टिप्पणियों की तुलना में गंभीर हैं.

पढ़ें-पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को मिली जेड प्लस सुरक्षा

उन्होंने लिखा, इसके अलावा, कॉमेडियन कुणाल कामरा और कलाकार रचिता तनेजा के खिलाफ अवमानना ​​के मामलों में अभियोजन की सहमति देने का निर्णय एक बेंचमार्क साबित हुआ है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कॉमेडियन कुणाल कामरा के विवादित ट्वीट मामले में अवमानना की कार्यवाही को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है.

पिछले साल 12 नवंबर को कुणाल कामरा ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने और पत्रकार को जमानत देने के लिए सर्वोच्च अदालत की आलोचना करते हुए कई ट्वीट्स पोस्ट किए थे.

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