जालौन:जिले में महान संत राजेशश्वरानंद रामायणी के जन्मोत्सव पर देश की प्रसिद्ध हस्तियां पधार रही हैं. इसी कड़ी में प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास मंगलवार देर शाम महाराज जी की समाधि स्थल पर दर्शन करने आए. उन्होंने सभी को प्रणाम करते हुए अपनी बात शुरू की. उन्होंने कहा हमारा देश महान है. ऐसे संत समाज को सुधारने और संवारने के लिए अवतरित होते रहते हैं. मैं हमेशा अपनी बातों में राजेशश्वरानंद रामायणी जी के प्रवचनों का इस्तेमाल करता हूं और उनकी बातों का हमेशा अनुसरण करने की कोशिश करता हूं.
उन्होंने कहा कि हमें कभी भी अपनी इच्छाओं को समाप्त नहीं करना चाहिए. यहां सभा में बैठे हर व्यक्ति, महिला की कोई न कोई इच्छा होती है और वो अपनी इच्छा को पूरा करने का प्रयास भी करता है. हर किसी की इच्छा होती है कि खूब पैसा कमाए, जिसका व्यवसाय है, उसका अच्छा व्यवसाय चले. उन्होंने कहा कि उनकी भी इच्छा है कि उनकी वाणी को पूरा विश्व पसंद करे और उसे सुने. कहा कि मेरी यह भी इच्छा है कि मैं एक दिन आप सबके सामने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करूं.
बता दे उरई मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर एट कस्बे से जुड़े पचोखरा धाम में महान संत राजेशश्वरानंद रामायणी जी के जन्मोत्सव पर पांच दिवसीय श्रीराम महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. इसमें शामिल होने के लिए देश की प्रसिद्ध हस्तियां आ रही हैं. इसमें बुधवार शाम को अपने-अपने राम का आयोजन करने वाले प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास पचोखरा धाम पहुंचे. उन्होंने सबसे पहले संत जी की प्रतिमा को फूल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लिया. इसके बाद मंच पर बैठकर उन्हें सुनने के लिए लोगों से संवाद स्थापित किया.
'आखिर क्यों सबकी आंखों के तारे है संत राजेश्वरानंद रामायणी जी'
कुमार विश्वास ने बताया कि वे संत राजेशश्वरानंद रामायण जी के साथ ज्यादा समय नहीं दे पाए. इसका बहुत भारी कष्ट है. लेकिन, जितना भी साथ मिला वो कभी नहीं भूल सकता. देश में मानस पाठ की कथा सभी संत करते हैं. लेकिन, उनके मानस पाठ में विशिष्ट बात थी. उनकी कथा में प्रसंग को देखने की दृष्टि होती है. भगवान हनुमान को बांध कर रावण के दरबार में लाए गए इसकी व्याख्या सभी करते है. लेकिन, हमने यह महसूस किया कि महान संत रामायणी जी की चर्चा व उसके पीछे निहितार्थ क्या है, इसकी गुण व्याख्या जो इन्होंनी की, वो किसी ने नहीं की. कुमार विश्वास ने बताया कि प्रसिद्ध कथा वाचक युग तुलसी राम किंकर जी की कथा को ध्यान से और बुद्धि लगाकर सुनना पड़ता था. लेकिन, महाराज हस्ते और मुस्कराते हुए व हारमोनियम से लहरे उठाते हुए बहुत ही रस भरे अंदाज से सुनाते थे.