सागर।आमतौर पर एक जज की छवि ऐसी होती है, कि लोग आसपास भटकने से भी डरते हैं. मुलजिमों के तो ये हाल होते हैं कि जज के सामने पसीना छोड देते हैं, लेकिन सागर जिला न्यायालय के प्रधान जिला न्यायाधीश की बात कुछ और ही है. इन जज साहब की जितनी न्यायप्रियता की छवि है, उससे कहीं ज्यादा अपने धर्म और आध्यात्मय प्रेम को लेकर इनका नाम है. खास बात ये है कि जिला न्यायाधीश संगीतमय प्रवचन के लिए भी प्रसिद्ध हैं, इन दिनों जिला न्यायाधीश सागर केंद्रीय जेल में कैदियों को धर्म के जरिए सदमार्ग पर चलने का रास्ता दिखा रहे हैं.
सागर केंद्रीय जेल में प्रवचन:केंद्रीय जेल में ये एक विशेष मौका था, जब जेल के कैदियों को श्रीमद् भगवत गीता की व्याख्या और संदेश को समझने का मौका मिला. खास बात ये थी कि कैदियों को गीता की व्याख्या और संदेश किसी धर्मगुरू और कथावाचक ने नहीं बताया, बल्कि सागर जिला न्यायालय के प्रधान जिला न्यायाधीश अरूण कुमार सिंह ने समझाया. संगीतमय कथा की तर्ज पर एक पारंगत प्रवचनकर्ता की तरह जिला न्यायाधीश ने गीता पर व्याख्यान दिया और कैदियों को धर्म और अधर्म के बारे में बताया.
दरअसल केंद्रीय जेल सागर में श्रीमद् भगवत गीता व्याख्या एवं संदेश कार्यक्रम का आयोजन किया गया, प्रधान जिला न्यायाधीश ने धर्म और अधर्म के बारे में समझााने महाभारत के पात्र दुर्योधन का सहारा लिया. उन्होंने बताया कि "दुर्योधन धर्म और अधर्म को भलीभांति समझता था, लेकिन जिस तरह उसने द्रोपदी का चीरहरण किया और भाईयों का अधिकार छीनने की कोशिश की. वो जानता था कि ये अधर्म है, लेकिन उसका उस पर काबू नहीं था." जिला न्यायाधीश ने एक न्यायाधीश की कहानी सुनाते हुए समझाया कि "किस तरह न्यायाधीश को न्याय करना होता है और कैसे इंसान से पाप होता है. आखिर कौन सी ऐसी चींजे जो इंसान को पाप के लिए उकसाती है."