तिरुवनन्तपुरम : सबरीमाला मुद्दे को विरोध के बीच में ही लाया गया. मंगलवार को नायर सर्विस सोसाइटी (NSS) ने तीनों मोर्चों की आलोचना की है. जिस तरह से उनमें से प्रत्येक ने सबरीमाला में महिला प्रवेश के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है, एनएसएस ने इसकी आलोचना की है.
एनएसएस के अनुसार केंद्र की भाजपा सरकार, अनुष्ठान और रीति-रिवाजों की रक्षा के लिए एक कानून बनाकर सबरीमाला मुद्दे को आसानी से हल कर सकती है. राज्य सरकार अपने हलफनामे को सही भी कर सकती थी या कानून बना सकती थी. विपक्षी दल होते हुए भी यूडीएफ राज्य विधानसभा में एक विधेयक पेश कर सकता था. हालांकि तीन प्रमुख मोर्चों, जिन्होंने तब कार्रवाई नहीं की थी. एनएसएस ने आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब नए वादे और दावे के साथ आए हैं. एनएसएस की प्रतिक्रिया को रमेश चेन्निथला के वादे और प्रतिशोध के बाद थी कि सबरीमाला पर मसौदा विधेयक कांग्रेस द्वारा यूडीएफ के सत्ता में आने के तुरंत बाद लागू किया जाएगा.
बन सकता है चुनावी एजेंडा
इस बीच मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य ने महिलाओं के प्रवेश पर एक नया हलफनामा दायर किया. कहा कि ऐसी खबरें झूठी और निराधार हैं. आरोप लगाया कि विपक्ष सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के लिए अन्य राजनीतिक मुद्दों को उठाना चाहता है. शिकायतकर्ता ने कहा कि विपक्ष सबरीमाला को चुनावी मुद्दा बनाकर चुनावी एजेंडा बदलने की कोशिश कर रहा है. अध्यक्ष पी श्रीरामकृष्णन और मंत्री केटी जलील ने विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला को चुनौती दी है. जो आगामी विधानसभा चुनावों में लड़ने के लिए पिछले दरवाजे की नियुक्तियों सहित राज्य सरकार की आलोचना करते हुए अपनी ऐश्वर्या केरल यात्रा जारी रखे हैं. जबकि श्रीरामकृष्णन ने चन्नीथला को पोन्नानी निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ने की चुनौती दी.