मुंबई : महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय लिखा है. इस लेख में शिवसेना ने लिखा कि कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर दुनियाभर की मीडिया ने भारत के बारे में लिखा.
इसके साथ ही देश के बुद्धीजीवी और कार्यकर्ता भी ट्विट कर देश की कोरोना हालातों पर अपनी राय रख रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार इन ट्वीट को डिलीट करने में लगी है. शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए लिखा कि यह दमनकारी नीति है. वहीं, राज्य सरकार ने केंद्र के प्रयासों को लेकर भी बयानबाजी की है.
सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीकार किया है कि कोरोना की दूसरी लहर के तूफान में देश जड़ से हिल गया है. प्रधानमंत्री का ऐसा कहना गलत नहीं है. प्रधानमंत्री ने ऐसा भी सुझाया है कि बेवजह अफवाह फैलाकर गड़बड़ी को और मत बढ़ाओ. ये भी सही है. असल में अफवाह कौन फैला रहा है? मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, केजरीवाल, उद्धव ठाकरे, प्रियंका गांधी, ममता बनर्जी, कोरोना के संदर्भ में अफवाह फैला रहे हैं और इससे देश की स्थिति गंभीर हुई है, ऐसा किसी को लगता होगा तो देश की गंभीर स्थिति के संदर्भ में दुनियाभर के प्रसार माध्यमों द्वारा व्यक्त की गई चिंता को समझ लेना चाहिए.
हिंदुस्तान में कोरोना की स्थिति से निपटने के तरीके को लेकर दुनियाभर में आलोचना हो रही है. 'द गार्डियन', 'न्यूयॉर्क टाइम्स', 'वॉशिंगटन पोस्ट', जैसे प्रमुख दैनिकों ने तो मोदी सरकार पर कठोर प्रहार किया है. विश्व विख्यात व्यंग्य चित्रकार डेविड रोवे ने प्रधानमंत्री मोदी पर एक तीखा व्यंग्यचित्र बनाकर हालात की गंभीरता को सामने लाया है. एक विशाल हाथी जमीन पर मरा पड़ा है और उस मरे हुए हाथी पर श्री मोदी महावत की तरह बैठे हैं.
'मरी हुई सरकारी व्यवस्था के महावत' ऐसे शीर्षकवाला यह तीखा व्यंग्यचित्र ऑस्ट्रेलियाई अखबार में प्रकाशित हुआ है. यह व्यंग्यचित्र देश के रूप में हमारा अपमान करनेवाला है, परंतु इस मानहानि को लेकर केंद्र सरकार किसे जिम्मेदार मानेंगी? हिंदुस्तान में कोरोना की स्थिति पर चिंता व्यक्त करने की नीति देश के अनेक बुद्धिजीवी, स्वयंसेवी संस्था, कार्यकर्ता, 'ट्विटर' जैसी सोशल मीडिया पर अपनाते रहते हैं. पर अब उनके ट्विटर पर सोंटा चला है.
इन तमाम ट्वीट्स को हटाने के लिए अब फरमान जारी किया गया है. यह सच होगा तो यह दमन का उदाहरण है जबकि यह सब फेक न्यूज है, ऐसा सरकार का कहना है. प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार कोरोना के संदर्भ में कुछ कर नहीं रही है. सभी सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं, ऐसी आलोचना सर्वत्र हो रही है. ऐसे समय में देश के गंभीर हालातों पर व्यक्त किए गए मत हटाने का यह मामला भी आलोचना का विषय ही है क्योंकि इससे वैश्विक मंच पर मोदी सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े होंगे. अर्थात कोरोना की दूसरी लहर की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अच्छी व प्रभावी योजनाओं की शुरुआत की है.
'पीएम केयर निधि' द्वारा देशभर में 551 ऑक्सीजन उत्पादन केंद्रों का निर्माण किया जाएगा, ऐसी घोषणा केंद्र सरकार ने की है. यह स्वागतयोग्य है. देश के लगभग हर जिले के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के माध्यम से ऑक्सीजन के ये प्लांट तैयार किए जाएंगे. दूसरा ऐसा है कि ऑक्सीजन उपकरण लाने के लिए जहाजों पर कोई विशेष कर नहीं लगाया जाएगा, ऐसा केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है. कोरोना संकट में केंद्र सरकार दृढ़तापूर्वक राज्यों के समर्थन में खड़ी रहेगी, ऐसा विश्वास प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाया है.
मुंबई स्थित भारत पेट्रोलियम परिसर में जंबो कोविड सेंटर के निर्माण की अनुमति केंद्र सरकार ने दे दी है. महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी व केंद्र ने दे दी, यह महत्वपूर्ण है. यह इसीलिए कहना है कि देश के समक्ष कोरोना का गंभीर संकट खड़ा है. प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं, उसके अनुसार पहली लहर का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के बाद दूसरी लहर के तूफान में व्यवस्था थोड़ी ढीली पड़ गई. अब तैयारी तीसरे लहर से मुकाबला करने की है अर्थात उसके लिए या तो दूसरी लहर के तूफान को रोकना होगा और तीसरी लहर को रोकने के लिए हर संभव तरकीब अपनाकर सरकार को तैयार रहना चाहिए.
मुंबई महानगर क्षेत्र में 14 ऑक्सीजन प्लांट स्वतंत्र रूप से बनाए जा रहे हैं, यह भी महत्वपूर्ण है. मुंबई में कोरोना संक्रमण बीते 4 दिनों में 32 फीसदी घटा है, यह सकारात्मक बात है. कोरोना संक्रमण खत्म हो रहा है, ये अच्छे संकेत हैं, परंतु प्रणाली के शिथिल रहने से काम नहीं चलेगा, केंद्र सरकार व राज्य सरकार ने कंधे से कंधा मिलाकर संकट का मुकाबला किया तो कोरोना को सहजता से परास्त किया जा सकेगा. इस पूरे काल में कई अच्छी खबरों से मन उत्साहित हो रहा है.
पढ़ें:मोदी को टैगोर की बजाय रूजवेल्ट की भूमिका में आना चाहिए !
सीरम कंपनी के 'वैक्सीन उत्पादक' पूनावाला ने अमेरिका कच्चा माल की आपूर्ति नहीं कर रहा है, इसलिए टीके के उत्पादन में अवरोध उत्पन्न हो रहा है, ऐसा कहा. अब अमेरिका ने कच्चे माल की आपूर्ति को मंजूरी दे दी है. ब्रिटेन, सिंगापुर जैसे देशों ने भी अपने चिकित्सा उपकरण भेजे हैं. दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक संबंधों की यह सफलता है, इसे स्वीकार करें तो इसके लिए मोदी सरकार सराहना की पात्र है, परंतु देश की स्थिति कोरोना के संदर्भ में गंभीर ही है व कोरोना का ज्वर उतरने को तैयार नहीं है. यह सच्चाई भी उतनी ही कड़वी है! व्यवस्था का हाथी मरा पड़ा है, ऐसी तस्वीर विदेशी प्रसार माध्यमों में चटक रंगों में सजाई गई है. हाथी ने फिर हिलना शुरू कर दिया है. हाथी फिर जल्द ही खड़ा होगा, ऐसी आशादायी तस्वीर निर्माण हुई तो अच्छा होगा!