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महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बचने के लिए टाला गया संसद का शीतकालीन सत्र: शिवसेना

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Published : Dec 17, 2020, 2:14 PM IST

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लोकतंत्र को लेकर हमला बोला है. सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि सारे काम हो रहे हैं, लेकिन संसद के मानसूत्र सत्र को कोरोना की वजह से टाल दिया गया.

saamana editorial
शिवसेना ने सामना के जरिए बोला हमला

मुंबई: शिवसेना ने एकबार फिर अपने मुखपत्र सामना में केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है. इस बार शिवसेना ने शीतकालीन सत्र को लेकर हमला बोला है. शिवसेना ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहाकि महाराष्ट्र विधिमंडल का दो दिवसीय शीतकालीन सत्र समाप्त हो गया है. यह अधिवेशन छोटा है. सिर्फ दो दिनों में क्या होगा? कौन से मुद्दे हल होंगे?

सरकार को अधिवेशन की कालावधि बढ़ानी चाहिए थी, लेकिन विरोधियों के डर से सरकार ने अधिवेशन को जल्दी खत्म कर दिया. राज्य का विरोधी दल ऐसे सवाल उठा रहा है. सिर्फ दो दिनों का अधिवेशन लोकतंत्र का उपहास है. ऐसे व्यंग्यबाण भी विरोधी छोड़ रहे हैं, लेकिन अब ऐसा दिख रहा है कि भाजपा की लोकतंत्र के संदर्भ में भूमिका सुविधा व राज्य के अनुसार बदलती रहती है. कम-से-कम लोकतांत्रिक स्वतंत्रता और संसद के बारे में उनकी एक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए.

कोरोना की भेंट चढ़ा शीतकालीन सत्र

कोविड-19 के कारण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा. ऐसा सरकार ने घोषित कर दिया. कोरोना के कारण जो अभूतपूर्व परिस्थिति बनी है, उसके कारण संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित नहीं करने का निश्चय किया गया है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ऐसा कहा कि शीतकालीन अधिवेशन को नहीं करने को लेकर सारे दलों से चर्चा हुई है. यह चर्चा कब, कहां, किस व्यासपीठ पर हुई? उस चर्चा में कौन-कौन सहभागी हुआ? संसद का अधिवेशन ना हो, इस प्रस्ताव पर कितने रबर स्टैंप मारे गए? इसका खुलासा हुआ होता तो संसदीय लोकतंत्र के हत्यारों का नाम दुनिया को पता चल गया होता.

कोरोना में ही कराया गया बिहार चुनाव

लोकसभा में कांग्रेस प्रमुख विरोधी दल है. उसके बाद तृणमूल आदि दल हैं. इन दोनों दलों के सांसदों ने कहा कि अधिवेशन नहीं होना लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास है. प्रधानमंत्री मोदी और उनके साथी लोगों को ‘कोविड’ से लड़ने की प्रेरणा दे रहे हैं, लेकिन खुद पर आती है तो मैदान छोड़कर भाग जाते हैं. कोविड की अभूतपूर्व परिस्थिति के कारण संसद का शीतकालीन सत्र रद्द हो गया. यह झूठ है क्योंकि इस अभूतपूर्व परिस्थिति में ही बिहार का विधानसभा चुनाव हुआ. उसमें खुद प्रधानमंत्री मोदी ने हजारों की सभाओं को संबोधित किया था.

पीएम मोदी ने 5 चरणों में खत्म किया लॉकडाउन

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए भाजपा अध्यक्ष डॉ. नड्डा ने बंगाल में जो क्रांतिकार्य शुरू किया है, उसको देखते हुए ‘कोविड’ पश्चिम बंगाल से भाग गया है, ऐसी तस्वीर सामने है. प्रधानमंत्री मोदी ने पांच चरणों में लॉकडाउन समाप्त किया है. महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं ने लगातार ‘यह खोलो, वह खोलो’ जैसे आंदोलन किए. मंदिर खोलने के लिए भाजपा वाले कई बार सड़कों पर उतरे, लेकिन लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर ना खुले, ऐसा लगना एक प्रकार का ढोंग ही कहा जाएगा.

नए संसद भवन पर भी बोला हमला

कोविड के कारण लोकसभा में ताला लगाना था तो नए संसद भवन का निर्माण क्यों कर रहे हो? नए संसद भवन के निर्माण में 900 करोड़ रुपए खर्च होनेवाले हैं. वह क्या बाहर से ताला लगाने के लिए? सरकार को लोकतंत्र और स्वतंत्रता का खयाल होता तो शीतकालीन सत्र रद्द करने के संदर्भ में विरोधी दलों से चर्चा की होती. राज्यसभा में विरोधी पक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने स्पष्ट रूप से कहा है कि शीतकालीन अधिवेशन रद्द करने को लेकर सरकार ने चर्चा की ही नहीं है. फिर झूठ कौन बोल रहा है? दूसरे लोग काम-धंधे पर जाएं और देश चलानेवाले कोविड से डरकर संसद पर ताला लगाकर बैठें. फिर यह नियम सिर्फ संसद के अधिवेशन तक क्यों? तो कोविड है इसलिए सीमा पर तैनात जवानों को भी वापस आना चाहिए क्या? इसका उत्तर मिलना चाहिए.

केंद्र सरकार को लिया आड़े हाथ

दरअसल, सरकार को कई मुद्दों से पीछा छुड़ाना है. संसद की घेराबंदी से खुद को बचाना है. दिल्ली की सीमा पर शुरू किसान आंदोलन और तीन कृषि कानून के विरोध के कारण सरकार पेंच में फंस गई है. चीन के सैनिक लद्दाख में घुस आए हैं. देश की अर्थव्यवस्था गिरती जा रही है. विरोधियों को ऐसे सवाल पूछने का मौका ना मिले, इन सवालों पर सभागृह में चर्चा न हो, इसके लिए संसद के अधिवेशन पर रोक लगाई गई है. यह लोकतंत्र की कैसी रीति है? लोकतंत्र में विरोधी पक्ष की आवाज बुलंद हुई, तभी देश जीवंत रहेगा.

पीएम मोदी को दी नसीहत

संसद की लोकतांत्रिक परंपरा देश को प्रेरणा देती रहती है. प्रधानमंत्री मोदी को भी इस परंपरा का पालन करना चाहिए. कोविड तो है ही, तो क्या जीना थम गया? दिनचर्या तो शुरू है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन गणतंत्र दिवस समारोह में अतिथि के रूप में दिल्ली आ रहे हैं. कोविड के डर से जॉनसन ने हिंदुस्थान के निमंत्रण को नकारा नहीं. गणतंत्र दिवस के दिन परेड, संचलन होना है लेकिन यह संचलन बंद पड़ी लोकसभा के सामने होगा, इसका दुख है.

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सभी को कोरोना से लड़ना होगा

कोरोना से लड़ना होगा. हर किसी को अपना खयाल रखना होगा. हिंदुस्थानी नौसेना के वाइस एडमिरल श्रीकांत का कोरोना के कारण दुखद निधन हो गया है. आईआईटी मद्रास परिसर में 183 लोग कोरोना से संक्रमित हो गए. आंकड़ों का चढ़ना-उतरना जारी है, लेकिन काम तो करना ही है. नियमों का पालन करते हुए कदम बढ़ाना होगा. हर किसी ने अपनी जिम्मेदारी निभाई तो अपना परिवार, राज्य और देश सुरक्षित रहेगा. इसका खयाल रखना समय की मांग है. संसद का अधिवेशन रद्द करने पर कहा जा सकता है कि सांसदों को जिम्मेदारी का एहसास नहीं है. कोविड-कोरोना काल में अमेरिका में राष्ट्राध्यक्ष पद का चुनाव हुआ. ट्रंप की जगह बाइडेन आए. कोविड दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का चुनाव नहीं रोक सका और हम चार दिनों का शीतकालीन अधिवेशन नहीं होने दे रहे. अमेरिका में चुनाव हुआ और लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता बदली. यह है महासत्ता का लोकतंत्र; हमने लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर में ही ताला लगा दिया!

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