मुंबई: शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई के दुरुपयोग पर एक लेख लिखा है. शिवसेना ने अपने संपादकीय में लिखा कि महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी सरकार को गिराने की 'केंद्रीय' कोशिशों के बावजूद कुछ हासिल नही हो रहा इसलिए भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों पर ईडी और सीबीआई के छापे डलवाने शुरु कर दिए हैं. इसके साथ-साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील खुलेआम कह रहे हैं कि ईडी और सीबीआई से लड़ते-लड़ते आपके मुंह से झाग आने लगेगा.
पाटील के इस बयान पर शिवसेना ने पलटवार किया है. 'सामना' के संपादकीय में शिवसेना ने चंद्रकांत पाटील से पूछा कि आपको ईडी के बारे में इतना तजुर्बा कब से हो गया? आगे लिखा कि 'ईडी' के कारण किसी के मुंह से झाग निकलता है क्या? ये बाद में देखेंगे, परंतु महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार 'केंद्रीय' जोर लगाने के बाद भी गिर नहीं रही है इसलिए विपक्ष के मुंह से निकलने वाला झाग स्पष्ट दिखाई दे रहा है. शिवसेना ने पाटील और बीजेपी पर तंज कसा है.
'ईडी' और 'सीबीआई' जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां हमारी जेब में ही हैं और उनकी शह पर हम राजनीतिक विरोधियों को धमकी दे सकते हैं, ऐसा महाराष्ट्र के भाजपाई नेताओं को लगता है और वे लोग इसी तरह से धमकियों का सिलसिला चला रहे हैं. कुछ भी होने पर ये लोग सिर्फ 'ईडीट और 'सीबीआई' के नाम पर धमकी देते हैं. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत दादा पाटील ने कोल्हापुर के हसन मुश्रीफ को धमकी दी है कि 'ईडी' से लड़ते समय मुंह से झाग आने लगेगा.
पाटील को 'ईडी' के बारे में इतना तजुर्बा कब से हो गया? हसन मुश्रीफ पर पूर्व सांसद सोमैया ने कुछ आरोप लगाए हैं. ये आरोप चंद्रकांत पाटील के कहने पर लगाए गए होंगे, ऐसा मुश्रीफ को विश्वास है क्योंकि आरोप लगानेवाले दोनों लोगों के ही मुंह में 'ईडी' का नाम है. मुश्रीफ मंत्री हैं और कोल्हापुर में उनका राजनीतिक दबदबा है. बीते विधानसभा चुनाव में कोल्हापुर में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया और चंद्रकांत पाटील को कोल्हापुर से भागकर कोथरुड जाकर चुनाव लड़ना पड़ा. कोथरुड में जीत हासिल करने के दौरान पाटील के मुंह से वैसे झाग ही झाग निकला था.
चुनावी अखाड़े में ऐसा होता ही है. सवाल ये न होकर केंद्रीय जांच एजेंसियों के राजनीतिक दुरुपयोग का है. 'ईडी' से लड़ते समय मुंह से झाग आएगा, चंद्रकांत पाटील का ऐसा कहना अहंकार है. 'हमारी 'ऊपर' सत्ता है, हम कुछ भी कर सकते हैं', ऐसी बातें पाटील इससे पहले कई बार कह चुके हैं. 'केंद्रीय जांच एजेंसियों के शस्त्र चलाकर हम विरोधियों की अंतड़ियां निकाल देंगे, बेजार कर देंगे.' यह उनकी नीयत है और महाराष्ट्र की परंपरा को अहंकार शोभा नहीं देता है. शरद पवार ने मृणाल ताई गोरे सभागृह के उद्घाटन के मौके पर ठीक यही दुख व्यक्त किया है.
पवार एकदम अतीत में गए और बोले कि उस दौर में कई बार विवाद हुआ. मृणाल ताई के रहने के दौरान सदन में कई बार विवाद होता था, परंतु वह राज्य के हित में होता था. एक सामंजस्यपूर्ण माहौल देखने को मिलता था. वह सामंजस्य आज देखने को नहीं मिलता है. अब अंतड़ियां निकालने की बात की जाती है. पवार की यह व्यथा उचित ही है. सामंजस्य खत्म हो गया है और राजनीति में द्वेष तथा अहंकार ने जगह ले ली है. महाराष्ट्र में भाजपाई लोग संसदीय लोकतंत्र के सभी चिह्नों को पैरों तले रौंद रहे हैं.