नई दिल्ली :विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने आज (शुक्रवार) ताशकंद में एक क्षेत्रीय सम्मेलन (Regional conference in Tashkent) में कहा कि संपर्क निर्माण में विश्वास आवश्यक है, क्योंकि यह एकतरफा नहीं हो सकता और संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इसके मूलभूत सिद्धांत हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि संपर्क प्रयास आर्थिक व्यवहार्यता और वित्तीय दायित्व पर आधारित होने चाहिए तथा इनसे कर्ज का भार उत्पन्न नहीं होना चाहिए. जयशंकर की इस टिप्पणी को परोक्ष रूप से चीन के 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) के संदर्भ में देखा जा रहा है.
जयशंकर ने कहा कि कोई भी गंभीर संपर्क पहल एकतरफा नहीं हो सकती तथा वास्तविक मुद्दे 'मनोवृत्ति के हैं, न कि विवाद के'. विदेश मंत्री ने कहा कि ऐसे संपर्क से किसी को लाभ नहीं होने वाला जिसमें सिद्धांत की बात की जाए, लेकिन आचरण इसके विपरीत हो.
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उल्लेखनीय है कि बीआरआई की वैश्विक निंदा होती रही है क्योंकि इसके चलते कई देश चीन के कर्ज तले दब गए हैं. जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच संपर्क (कनेक्टिविटी) को विस्तारित करते समय सिर्फ भौतिक अवसंरचना को ही नहीं, बल्कि इसके सभी आयामों को देखने की आवश्यकता है.
सम्मेलन 'सेंट्रल एंड साउथ एशिया : कनेक्टिविटी' का आयोजन दोनों क्षेत्रों के बीच संपर्क को मजबूत करने के उद्देश्य से उज्बेकिस्तान की मेजबानी में हुआ है. इसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और लगभग 35 देशों के नेता शामिल हुए.
जयशंकर ने कहा, पर्यटन एवं सामाजिक संबंध एक अच्छा माहौल बनाने में मदद कर सकते हैं, लेकिन कनेक्टिविटी निर्माण में विश्वास आवश्यक है और संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इसके मूलभूत सिद्धांत हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि संपर्क प्रयास आर्थिक व्यवहार्यता एवं वित्तीय दायित्व पर आधारित होने चाहिए तथा इनसे कर्ज का भार उत्पन्न नहीं होना चाहिए.
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