नई दिल्ली :भारत-रूस सौहार्द और भारत-अमेरिका संबंधों में विवाद की जड़, शक्तिशाली एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली वर्ष के अंत से पहले भारत में होगी. रूस में भारतीय राजदूत ने गुरुवार शाम मॉस्को में कहा कि शक्तिशाली एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा मिसाइल अपने निश्चित समय सीमा का पालन करेगी.
रूस में भारत के राजदूत बाला वेंकटेश वर्मा ने भारत-रूस के संबंधों में दरार की बातों को खारिज करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच सौदा तय समय सीमा के अनुसार चल रहा है.
यह मिसाइल प्रणाली 40,000 करोड़ रुपये की लागत से खरीदी गई है. एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम और लंबी दूरी की विमान भेदी मिसाइल प्रणाली है.
यह बमवर्षक, स्टील्थ लड़ाकू विमानों, प्रक्षेपास्त्रों और मिसाइलों को 400 किमी की दूरी और 30 किमी की ऊंचाई तक मार गिराने में सक्षम है. यही नहीं मिसाइल प्रणाली एक बार में 36 अलग-अलग लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है.
2015 में भारत ने इसकी मांग की थी, जिसके बाद 2018 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. इतिहास गवाह है कि भारत और रूस सैन्य रूप से करीब हैं. क्योंकि 60 प्रतिशत से अधिक रक्षा उपकरण रूसी हैं.
भारत और रूस के बीच यह सौदा अमेरिका को खटक सकता है और वह भारत पर 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट' के तहत प्रतिबंध लगा सकता है.
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एस-400 के आयात और स्थापना करने के लिए चीन और तुर्की पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाए थे. तुर्की पर प्रतिबंधों ने नाटो के मूल को हिला दिया था क्योंकि तुर्की को नाटो का प्रमुख सहयोगी माना जाता है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की सरकार को इस बात पर विचार कर रही है कि क्या एस-400 खरीदने के लिए भारत को सीएएटीएसए छूट दी जाए और इस मुद्दे पर अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के हाल के भारत दौरे में चर्चा हुई थी.