नई दिल्ली :एक तरफ जहां पूरी दुनिया का ध्यान यूक्रेन युद्ध और ताइवान पर केंद्रित है, वहीं दूसरी ओर एक रणनीति के तहत रूस के बाल्टिक सागर तट पर स्थित सेंट पीटर्सबर्ग को अरब सागर तट पर स्थित मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट (jawaharlal Nehru Port) से ट्रांजित कॉरिडोर के रूप में विकसित किया गया है. यह व्यापार मार्ग भारत और रूस के बीच विशेष रूप से कच्चे तेल, एलएनजी और अन्य तेल आधारित उत्पादों जैसे जीवाश्म ईंधन में आश्चर्यजनक रूप से बढ़ते व्यापार को बड़ा प्रोत्साहन देने की क्षमता रखता है.
भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयात करने वाला और खपत करने वाला देश है. 'ईटीवी भारत' इससे पहले भी इस रूट को लेकर चर्चा कर चुका है. भारत ने रूसी तेल के आयात में 10 गुना वृद्धि कर दी है. यह हमारी जरूरत का 20% पूरा कर रहा है. अभी कुछ दिनों पहले तक यह मात्र दो फीसदी तक सीमित था. नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि सऊदी अरब को तीसरे स्थान पर धकेलने के बाद रूस भारत को तेल सप्लाई करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है. इराक अभी भी भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. भारत की बढ़ती ऊर्जा खपत इस खपत को और अधिक बढ़ा सकती है.
7,200 किमी लंबा मार्ग :इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) 7,200 किमी लंबा मार्ग है. यह समुद्र, रेल और सड़क लिंक से जुड़ेगा. भारत को यूरोप से जोड़ने वाला यह सबसे छोटा और सबसे सस्ता मार्ग होगा. साथ ही अब न तो अफगानिस्तान और न ही प. एशिया या सेंट्रल एशिया की जरूरत पड़ेगी. इस ट्रेड रूट का परीक्षण इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान शिपिंग लाइन्स ग्रुप (IRISL) द्वारा पहले ही सफलतापूर्वक किया जा चुका है. इसके लिए एक सेंट पीटर्सबर्ग में टेस्ट रन किया गया. टेस्ट रन में 41 टन का रूसी कार्गो शामिल था. 40 फुट कार्गो में लकड़ी के टुकड़े थे जो मुंबई के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट तक लाए गए.