नई दिल्ली : रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russian Foreign Minister Sergey Lavrov) के भारत आने की संभावना है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. तारीखों की घोषणा विदेश मंत्री जयशंकर के श्रीलंका और मालदीव के दौरे से लौटने के बाद होने की उम्मीद है. रूसी विदेश मंत्री की यात्रा को लेकर भारत के पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी ने 'ईटीवी भारत' से कहा कि यह दौरा पिछले कुछ समय से अपेक्षित था खासतौर से हाल ही में भारत ने जिस तरह से तटस्थ होकर रूस का साथ दिया है. इसका उद्देश्य उसके लिए धन्यवाद और प्रशंसा व्यक्त करना है.
'भारत के साथ रूस के संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं और यह जारी रहेंगे' :पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी (former ambassador G. Parthasarathy ) ने कहा कि एजेंडे की बात की जाए तो कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. यूक्रेन संकट पर आगे का रास्ता क्या होना चाहिए और दोनों पक्ष (भारत-रूस) रिश्ते को कैसे आगे बढ़ाएं. कुल मिलाकर भारत को इसका लाभ होने जा रहा है. रूस के उत्पादों पर पश्चिमी देशों के सभी प्रतिबंधों के बावजूद मास्को ने भारत को रियायती कीमतों पर तेल की पेशकश की है. भारत के साथ रूस के संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं और यह जारी रहेंगे.
यह पूछे जाने पर कि यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान से दूर रहने की भारत की नीति पर अमेरिका निराश है और भारत को पश्चिम के दबाव का सामना करना पड़ रहा है. पार्थसारथी ने उत्तर दिया, 'क्या अमेरिकियों ने कभी भारत का समर्थन करते हुए किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुंबई आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के मुद्दे को उठाया? या अमेरिका ने निक्सन, कार्टर और क्लिंटन के समय में चीन के साथ अपने अच्छे दिनों में कभी भारत की ओर देखा है? पार्थसारथी ने कहा 'भारत की अपनी अनिवार्यताएं हैं और यूएनएससी में यूक्रेन संकट पर उसका रुख दर्शाता है कि हम अमेरिका के अच्छे दोस्त हैं. क्वाड में गठबंधन है लेकिन हम अपने राष्ट्रीय हितों में अपने फैसले खुद लेते हैं. यह सामरिक स्वतंत्रता का दावा है.'