काशी में रूसी नागरिक ने ली तंत्र विधा की दीक्षा वाराणसी:धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी आदिकाल से विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित करती है. कुछ लोग काशी की संस्कृति, सभ्यता और गुरु शिष्य परंपरा को जानने और सीखने आते हैं, तो कुछ इस ऐतिहासिक नगरी को देखने आते हैं. काशी ने शुरू से ही विश्व में संस्कृत और संस्कृति का प्रचार प्रसार किया है. इसी क्रम में गुरुवार को रूस के नागरिक सेंटपीटर हुक्स ने काशी में गुरु दीक्षा ली. सेंटपीटर हुक्स की उम्र 41 साल है. दीक्षा लेने के बाद सेंटपीटर का नाम अनंतानंद नाथ हो गया है.
तंत्र विद्या की दीक्षा लेते रूसी नागरिक महामहोपाध्याय प्रोफेसर वागीश शास्त्री के शिष्य वाग्योग और चेतना पीठम के अध्यक्ष पंडित आशापति शास्त्री ने उन्हें दीक्षा मंत्र दिया. पूरे तांत्रिक विधि विधान से दीक्षा दी गई. इश दौरान दो वेद के ज्ञाता ब्राह्मण भी मौजूद रहे. वहीं, सेंटपीटर हुक्स ने बताया कि काशी में मुझे बहुत ही अच्छा अनुभव हुआ, बहुत सी चीजें सीखने को मिली. इसलिए फिर मैंने आज यह दीक्षा यहां पर प्राप्त की है.
1980 से 15000 विदेशियों ने ली दीक्षा:आशापति शास्त्री ने बताया हमारे गुरु देव वागीश शास्त्री पूर्व से ही विदेशी लोगों को यह शिक्षा देते आए हैं. अब तक 80 देशों में 15000 लोगों को सनातन धर्म की दीक्षा दे चुके हैं. संसार में विभिन्न ईश्वर और विभिन्न देवता शामिल हैं, इन्होंने महाविद्या की मां तारा के मंत्र की दीक्षा ली है. आज यहां पर तंत्रोक्त विधि से सारी पूजन और विधि से दीक्षा को जिसे संपन्न किया गया है. मंत्र से दीक्षा दी गई फिर मंत्रोच्चारण के साथ हवन किया गया. आशापति शास्त्री ने आगे बताया कि सेंटपीटर हुक्स मूल रूप से (रूस) रशिया के रहने वाले हैं. पूर्व में हमारे गुरुदेव से इन्होंने को शिक्षा ली थी, फिर इनको अच्छा अनुभव हुआ, तो इन्होंने आज तंत्र विद्या की दीक्षा ली. 1980 में इस संस्था की स्थापना की गई थी.
मुस्लिम और क्रिश्चियन को भी दी दिक्षा:आशापति शास्त्री ने बताया कि हमारे यहां दीक्षा लेना आसान नहीं है. हम किसी को भी दीक्षा नहीं देते हैं. हम उसको बताते हैं जब वह अनुभव करता है, उसके बाद निर्णय लिया जाता है कि यह दीक्षा लेने लायक है या नहीं. इसके बाद दीक्षा दी जाती है. बहुत से लोगों को सालों लग गए और अभी तक दीक्षा नहीं मिली. हमारे यहां मुस्लिम और क्रिश्चियन ने भी दीक्षा ली है.
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