नई दिल्ली :रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण युद्ध (Russia-Ukraine war) के बीच भारत के कृषि और खाद्य बजार पर भी इसका व्यापक असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है. युद्ध की स्थिति के बीच खाद्य तेलों और आयात की जाने वाली अन्य खाद्य सामग्री की कीमतें बढ़ने की संभावना विशेषज्ञ जता रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ गेहूं और कुछ अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में इसे एक अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है. ईटीवी भारत ने इस विषय पर कृषि विशेषज्ञ और इंडियन चैम्बर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान से विशेष बातचीत की है.
एमजे खान ने बताया कि वर्ष 2021 की बात करें तो यूक्रेन के साथ भारत का लगभग तीन बिलियन डॉलर का कारोबार है, जबकि रूस के साथ लगभग 11.5 बिलियन डॉलर का है. यूक्रेन के साथ तीन बिलियन डॉलर के व्यापार में भारत करीब 500 मिलियन डॉलर का निर्यात करता है, जबकि ढाई बिलियन डॉलर का भारत में आयात होता है. युद्ध के कारण निर्यात को बढ़ाने का अवसर जरूर बढ़ा है लेकिन भारत कैसे इस अवसर पर पड़ोसी देशों के साथ सामंजस्य स्थापित कर काम करता है यह देखना होगा.
उन्होंने कहा कि युद्ध के दौरान सप्लाई चेन की समस्या के कारण शुरुआती दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन युद्ध के खत्म होने के बाद भारत इस अवसर को भुना कर निर्यात बढ़ा सकता है. भारत से दवाइयों, कृषि रसायन और सॉफ्टवेयर का निर्यात बड़ी मात्रा में होता है. आगे चल कर इनकी मांग में बढ़ोतरी होगी, लेकिन निर्यात की बात करें तो रूस और यूक्रेन मिला कर भारत में सूरजमुखी का 90% तक आयात होता है जिसमें अब रुकावट आएगी. खान ने कहा कि यूक्रेन विश्व में सूरजमुखी का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिससे खाद्य तेल का उत्पादन होता है. इसका विकल्प भारत को तैयार करना होगा. मक्के के उत्पादन में भी यूक्रेन पांचवें स्थान पर है. सूरजमुखी तेल के मामले में ये दोनों देश विश्व में 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं.
उन्होंने कहा कि यदि गेहूं की बात करें तो रूस और यूक्रेन से अफ्रीकी और यूरोपीय देशों में गेहूं बड़ी मात्रा में निर्यात होता है. दोनों देश मिला कर विश्व को 21 प्रतिशत गेहूं का निर्यात करते हैं. अब सप्लाई चेन में व्यवधान आने से उन देशों में मांग बढ़ेगी और भारत के लिए यह एक अवसर हो सकता है रिप्लेस्मेंट सप्लायर के रूप में.
एमजे खान ने कहा कि खाद्य तेल में भारत लगभग एक बिलियन डॉलर से ज्यादा का निर्यात करता है. कृषि क्षेत्र में इसका असर इसलिए भी देखने को मिलेगा क्योंकि पेट्रोलियम पदार्थों के आयत में भी समस्या आएगी. इसके कारण डीजल के दाम में बढ़ोतरी होने पर किसानों के लिए लागत मूल्य बढ़ने का खतरा है.