कीव : यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध का आज 45वां दिन है. जंग के बीत राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि कीव के उत्तर पश्चिम में एक और शहर बोरोदियांका में मलबा हटाने का काम शुरू हो गया है. इस शहर पर रूसी सेना ने कब्जा जमा लिया था. उन्होंने कहा कि वहां रूसी सेना के और पीड़ित पाए जाने के साथ ही स्थिति कहीं अधिक डरावनी है. इधर रूस पर लगाम लगाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने ऐलान किया कि वह रूस की सबसे बड़ी सैन्य पोत निर्माण और हीरा खनन कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगा रहा है. इस कदम से उनकी अमेरिकी वित्तीय व्यवस्था तक पहुंच बाधित हो जाएगी. अमेरिका यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर अधिक आर्थिक प्रतिबंध लगा रहा है. अमेरिका के वित्त विभाग के अनुसार, अलरोसा दुनिया की सबसे बड़ी हीरा खनन कंपनी है और रूस की हीरा खनन क्षमता के करीब 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है. अलरोसा ने 2021 में 4.2 अरब डॉलर का राजस्व कमाया था.
UNHRC से रूस को निलंबित करने के कदम को चीन ने ‘आग में घी’ डालने वाला बताया : यूक्रेन में नागरिकों की हुई हत्याओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की रूस की सदस्यता निलंबित करने के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने के एक दिन बाद चीन शुक्रवार को अपने ‘वोट’ का बचाव करते हुए कहा कि आनन-फानन में उठाया गया इस तरह का कदम एक खतरनाक उदाहरण स्थापित करेगा. उल्लेखनीय है कि 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक दुर्लभ कदम उठाते हुए रूस को यूएनएचआरसी से निलंबित करने के सिलसिले में अमेरिका द्वारा लाये गये एक मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार करने के वास्ते मतदान किया. यह प्रस्ताव, यूक्रेन की राजधानी कीव के नजदीकी शहरों से लौट रहे रूसी सैनिकों द्वारा नागरिकों की हत्या करने के आरोपों को लेकर लाया गया था. प्रस्ताव के पक्ष में 93, विपक्ष में 24 मत पड़े और महासभा के 58 सदस्य देश मतदान से अनुपस्थित रहें.
भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. चीन का मित्र देश पाकिस्तान भी मतदान से अनुपस्थित रहा. घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, यह आग में घी डालने जैसा है, जो संघर्ष को घटाने में मदद नहीं करेगा. उन्होंने कहा, ‘‘संबद्ध प्रस्ताव रूस को यूएनएचआरसी की उसकी सदस्यता से वंचित कर देगा और एक खतरनाक उदाहरण स्थापित करेगा. उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के किसी भी स्थायी सदस्य देश की सदस्यता इस वैश्विक संस्था की किसी भी इकाई से कभी भी निरस्त नहीं की गई है. मास्को का करीबी होने के नाते चीन ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा नहीं की है.