कीव :यूक्रेन में युद्ध को लेकर रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को हटाने के लिए मास्को ने गुरुवार को पश्चिम पर दबाव डाला है. साथ ही वर्तमान खाद्य संकट के लिए दोष को स्थानांतरित करने की मांग की. माना जा रहा है कि कीव में लाखों टन अनाज पड़े हैं परंतु रूस ने रास्ता बाधित कर रखा है इसलिए अनाज पड़े पड़े सड़ रहे हैं. हालांकि ब्रिटेन ने तुरंत इस प्रतिक्रिया दी है और आरोप लगाया कि रूस दुनिया को फिरौती देने की कोशिश में है. साथ ही दोहराया कि प्रतिबंधों मेे कोई राहत नहीं दी जाएगी. वहीं अमेरिकी राजनयिक ने रूस पर "सरासर बर्बरता, क्रूर क्रूरता और आक्रमण की अराजकता" का आरोप लगाया.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इतालवी प्रधान मंत्री मारियो ड्रैगी को बताया कि मास्को अनाज और उर्वरक के निर्यात के माध्यम से खाद्य संकट पर काबू पाने में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है. बशर्ते कि पश्चिम द्वारा लगाए गए राजनीतिक प्रतिबंध हटा दिए जाएं. यूक्रेन गेहूं, मक्का और सूरजमुखी के तेल के दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है, लेकिन युद्ध और इसके बंदरगाहों पर रूसी नाकाबंदी ने उसके निर्यात को बंद कर दिया जिससे विश्व खाद्य आपूर्ति खतरे में पड़ी है. उन बंदरगाहों पर भारी संख्या में माइन बिछाए हैं. रूस भी एक महत्वपूर्ण अनाज निर्यातक है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि पश्चिम को उन गैरकानूनी फैसलों को रद्द करना चाहिए जो जहाजों को किराए पर लेने और अनाज के निर्यात में अवरोध बने हैं. उनकी टिप्पणी यूक्रेनी निर्यात की नाकाबंदी को रूस के साथ अपने स्वयं के माल को स्थानांतरित करने में कठिनाइयों के साथ जोड़कक देखा है. हालांकि पश्चिमी देशों के अधिकारियों ने उन सभी दावों को खारिज कर दिया है.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पिछले हफ्ते उल्लेख किया कि खाद्य, उर्वरक और बीज को अमेरिका और कई अन्य लोगों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से छूट दी गई है और वाशिंगटन यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि देशों को पता चले कि उन सामानों का प्रवाह प्रभावित नहीं होना चाहिए. युद्ध के चौथे महीने में पहुंचने के साथ, विश्व के नेताओं ने समाधान के लिए आह्वान किया है. विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक न्गोज़ी ओकोंजो-इवेला ने कहा कि लगभग 25 मिलियन टन यूक्रेनी अनाज भंडारण में है और अगले महीने 25 मिलियन टन की कटाई की जा सकती है. यूरोपीय देशों ने रेल द्वारा अनाज को देश से बाहर ले जाकर संकट को कम करने की कोशिश की है परंतु नाकाफी है क्योंकि जहाजों के द्वारा निर्यात आसान होता है.