नई दिल्ली/मुंबई: रूस यूक्रेन संकट (Russia Ukraine Crisis) एक ओर जहां दुनिया भर के लिए नए आर्थिक संकट लेकर आया है वहीं भारत के लिए कुछ राहत की खबरें भी मिल रही हैं. मार्च के शुरुआती हफ्तों में जहां प्रतिबंधों से घिरे रूसी तेल और गैस के कारोबारियों ने नए बाजार की तलाश में भारी डिस्काउंट ऑफर (Russian Discount Offer) किया था. मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि रूस भारत को 25 फीसदी तक की छूट दे रहा है. रूस के द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद कच्चा तेल (Crude Oil Price) 93 डॉलर प्रति बैरल से बढ़ कर 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था. हालांकि बाद में कीमतों में नरमी दिखी और अब क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ गया है. भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत तेल की खरीद बाहर से करता है. रूस दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है, जो वैश्विक आपूर्ति का 14 प्रतिशत पूरा करता है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मार्च के दूसरे हफ्ते में ही रूस के भारी डिस्काउंट ऑफर पर भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि रूस तेल और अन्य कमॉडिटीज पर भारी ऑफर दे रहा है. हमें उन्हें खरीदने में खुशी होगी. अभी हमारे साथ टैंकर, इंश्योरेंस कवर और ऑयल ब्लेंड को लेकर कुछ इश्यूज हैं. इन्हें सोल्व करते ही हम डिस्काउंट ऑफर एक्सेप्ट करने लगेंगे. भारत अपनी जरूरतों का 80 फीसदी ऑयल इम्पोर्ट करता है. रूस से भारत करीब 2-3 फीसदी तेल खरीदता है. चूंकि अभी कच्चे तेल की कीमतें 40 फीसदी ऊपर जा चुकी हैं, भारत सरकार इम्पोर्ट बिल कम करने के लिए विकल्पों की तलाश कर रही है.
मार्च के तीसरे हफ्ते में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) और फिर हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (HPCL) ने रूस के ऑफर को स्वीकार करते हुए क्रमशः 30 लाख बैरल और 20 लाख बैरल कच्चे तेल (Crude oil) की खरीद की. बाजार सूत्रों के मुताबिक इंडियन ऑयल ने मई महीने की डिलीवरी के लिए रूसी क्रूड को उस दिन के अंतरराष्ट्रीय क्रूड की कीमत से करीब 20 से 25 डॉलर प्रति बैरल की छूट पर खरीदा है. हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (HPCl) के बारे में भी अनुमान है उसकी भी डील यही रही है. हालांकि डिलीवरी के समय में फर्क हो सकता है.
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हमारे तट तक तेल पहुंचाएंगी रूसी कंपनियां
भारतीय तेल कंपनियों ने यह सौदा इस शर्त पर किया है कि रूस की जिस ऑयल कंपनी से कच्चे तेल को खरीदा गया है, वह उस तेल को भारतीय तट तक पहुंचाएगी. यह शर्त कच्चे तेल की सप्लाई और उसके बीमा पर बैन के कारण होने वाली किसी भी दिक्कत से बचने के लिए रखी गई है. भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियां कम दाम पर उपलब्ध रूसी तेल खरीदने को लेकर कदम उठा रही हैं. मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि आईओसी की तरह एचपीसीएल ने भी यूरोपीय कारोबारी विटोल के जरिये रूसी यूराल्स क्रूड (रूस का निर्यात स्तर का कच्चा तेल) की खरीद की है. इसके अलावा मेंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लि.(एमआरपीएल) ने इसी प्रकार का 10 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदने को लेकर निविदा जारी की है. आईओसी का 2020 से रूस के रोसनेफ्ट से कच्चा तेल खरीदने के समझौता है. लेकिन, समझौते के तहत इसने शायद ही कभी आयात किया क्योंकि रूस से तेल के परिवहन की लागत इसे आर्थिक रूप से अव्यावहारिक बना देती है.
छूट ने बनाया माहौल, भारतीय रिफाइनरी कंपनियां उत्साहित
सूत्रों ने कहा कि प्रति बैरल 20 से 25 डॉलर की छूट ने माहौल रूसी कच्चा कच्चे तेल के पक्ष में बना दिया है और भारतीय रिफाइनरी कंपनियां इस अवसर को हाथों-हाथ ले रही हैं. उसने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) की अनुषंगी एमआरपीएल ने भी मई डिलिवरी के लिये 10 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की इच्छा जतायी है. सूत्रों ने कहा कि रूस के साथ व्यापार का निपटारा डॉलर में किया जा रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय भुगतान व्यवस्था को अबतक पश्चिमी प्रतिबंधों के दायरे से बाहर रखा गया है.
रूस से भारत की तेल खरीद के आर्थिक पहलू को समझता है अमेरिका: जेन पसाकी
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की प्रवक्ता जेन पसाकी ने कहा है कि रूस से तेल खरीदने की भारत की योजना के पीछे के आर्थिक पहलू को अमेरिका समझता है. जेन पसाकी ने शुक्रवार को नियमित प्रेस ब्रीफिंग में रूस से भारत के तेल खरीदने के सवाल पर कहा कि अमेरिका ने रूस के तेल आयात पर प्रतिबंध लगाया है. हर देश ने यह निर्णय नहीं लिया है. हम यह समझते हैं कि उनके पास विभिन्न आर्थिक वजहें हैं, जिसके कारण यूरोप के कुछ देशों सहित अगल-अलग देश ऐसा क्यों कर रहे हैं. प्रवक्ता ने कहा कि इस मसले को लेकर विभिन्न स्तर पर भारतीय नेताओं से बात की जा रही है लेकिन बाइडेन से अभी खुद इस पर बात नहीं की है.
रूस से भारत का कच्चा तेल खरीदना अमेरिका द्वारा लगाये गये किसी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं है. इससे पहले मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग में पास्की ने इसी मुद्दे पर कहा था कि किसी भी देश के लिए हमारा संदेश यही रहेगा कि वे हमारे द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का पालन करें. हालांकि, मेरा विश्वास है कि यह उसका उल्लंघन नहीं है. कच्चे तेल की खरीदार देशों से नैतिक आग्रह होगा कि आप यह भी सोचें कि जब इतिहास लिखा जाएगा तो आप किस पक्ष में खड़े होंगे. इस वक्त रूस या रूस के नेतृत्व को किसी भी प्रकार का समर्थन देना आक्रमण का समर्थन करना है, जिसका इतना अधिक गंभीर प्रभाव दिख रहा है शुक्रवार को उन्होंने बताया कि राजनीति मामलों की अवर सचिव विक्टोरिया न्यूलैंड की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को दक्षिण एशिया के दौरे पर जा रहा है और वह भारतीय अधिकारियों से भी मुलाकात करेगा.
भारत को ईरान से मिला तेल और गैस सप्लाई का ऑफर
रूस और यूक्रेन संकट (Russia Ukraine Crisis) के बीच तेल और गैस की सप्लाई से जुड़े संकट को देखते हुए रूस के बाद अब ईरान ने भारत को तेल गैस व्यापार बढ़ाने के लिए खास ऑफर दिया है. भारत में ईरान के राजदूत ने कहा कि ईरान ने तेल और गैस (Oil and Gas) के निर्यात के लिए रुपया-रियाल ट्रेड को फिर से शुरू करके भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करने की पेशकश की है.
भारत में रूस से तेल निर्यात मार्च में चौगुना
भारत को रूस से तेल निर्यात इस महीने चौगुना हो गया है, जो यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से वैश्विक ऊर्जा प्रवाह के बड़े पैमाने पर पुनर्गठन का संकेत है. फाइनेंशियल टाइम्स ने यह जानकारी दी. भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है. इसने व्यापारियों से रूसी तेल के कई कार्गो झपट लिए हैं, क्योंकि यूरोप में खरीदारों ने मास्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद देश के बड़े वस्तु बाजार को छोड़ दिया है. रूस ने मार्च में अब तक भारत को प्रतिदिन 360,000 बैरल तेल का निर्यात किया है, जो 2021 के औसत से लगभग चार गुना अधिक है. कमोडिटी डेटा और एनालिटिक्स फर्म केप्लर के अनुसार, देश मौजूदा शिपमेंट शेड्यूल के आधार पर पूरे महीने के लिए 203,000 बैरल प्रतिदिन हिट करने की राह पर है.
फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया कि निर्यात डेटा उन कार्गो का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें टैंकरों पर लोड किया गया है और ये टैंकर भारत के रास्ते में हैं. केप्लर के शोध प्रमुख एलेक्स बूथ ने कहा कि भारत आमतौर पर सीपीसी खरीदता है, जो मुख्य रूप से कजाख और रूसी कच्चे तेल का मिश्रण है, लेकिन मार्च में बड़ी वृद्धि रूस के प्रमुख यूराल क्रूड के लिए थी. एफटी ने कहा कि रूस से पहले से प्रतिबद्ध तेल कार्गो जो यूरोप में खरीदार नहीं ढूंढ सकते हैं, वे भारत द्वारा खरीदे जा रहे हैं. नई दिल्ली द्वारा किसी भी आधिकारिक घोषणा से पहले मार्च में भारत में निर्यात बढ़ गया.
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