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'अमेरिका में हुई हैकिंग के लिए चीन नहीं, रूस जिम्मेदार'

अमेरिका की यूनिफाइड को-ऑर्डिनेशन ग्रुप (यूसीजी) ने एक बयान जारी किया है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका सरकार के विभागों एवं निगमों में हैकिंग के लिए संभवत: चीन नहीं, बल्कि रूस जिम्मेवार है. ट्रंप ने यह कहा था कि हैकिंग के लिए चीन जिम्मेदार है. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

अमेरिका में हैकिंग
अमेरिका में हैकिंग

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Published : Jan 6, 2021, 10:48 PM IST

Updated : Jan 6, 2021, 11:06 PM IST

नई दिल्ली : अमेरिका की यूनिफाइड कोऑर्डिनेशन ग्रुप (यूसीजी)ने एक बयान जारी कर पुष्टि की है कि अमेरिका सरकार के विभागों एवं निगमों में हैकिंग के लिए संभवत: रूस जिम्मेदार है. सुरक्षा एजेंसियों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि ये हैकिंग 'खुफिया सूचना एकत्रित' करने की मंशा से की गई है.

16 दिसंबर, 2020 को यूजीसी की स्थापना की गई थी. इसमें अंतर्गत संघीय जांच ब्यूरो (FBI), साइबर सुरक्षा और बुनियादी ढांचा सुरक्षा एजेंसी (CISA), राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA), राष्ट्रीय खुफिया विभाग शामिल हैं. यूसीजी को विशेष रूप से अमेरिकी साइबर सिस्टम की हैक की जांच के लिए स्थापित किया गया है.

मार्च 2020 के बाद से अमेरिका में बड़े पैमाने पर साइबर हमले हो रहे है, जो 250 अमेरिकी सरकारी एजेंसियों और प्रौद्योगिकी कंपनियों को प्रभावित कर रहा है.

बयान में कहा गया है कि साक्ष्य अमेरिका सरकार के संचालनों को नुकसान पहुंचाने या बाधित करने के बजाय खुफियागीरी के प्रयासों की तरफ इशारा करते हैं. एफबीआई तथा अन्य जांच एजेंसियों पर आधारित साइबर कार्य समूह की ओर से मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि 'यह एक गंभीर मामला है जिसे सुधारने लिए निरंतर और समर्पित प्रयास की आवश्यकता होगी.

हैकिंग का यह मामला देश में अब तक की सबसे खराब साइबर जासूसी का मामला है जहां हैकर्स पिछले सात महीने से सरकारी एजेंसियों, रक्षा ठेकेदारों और दूर संचार कंपनियों के क्रिया-कलापों पर निगाह रख रहे थे. विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी एजेंटों को डेटा एकत्र करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया जो कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्यधिक हानिकारक हो सकता है

यूसीजी ने कहा कि यह इंगित करता है कि Advanced Persistent Threat (APT) actor, जो मूल रूप से रूसी है, हाल ही में खोजे गए और सभी सरकारी और गैर-सरकारी नेटवर्क के साइबर समझौता के लिए जिम्मेदार है. इस समय, हम मानते हैं कि यह एक खुफिया प्रयास था.

अमेरिका में इतने बड़े पैमाने पर साइबर हमला हुआ है कि अमेरिकी एजेंसियां ​​अब उस क्षति की सीमा और तीव्रता का अनुमान लगाने की कोशिश कर रही हैं, जिसने यूएस के साइबर सुरक्षा को शानदार ढंग से प्रभावित किया है.

इससे पहले ट्रंप ने 19 दिसंबर 2020 को ट्वीट किया था और उन्होंने देश में हुए साइबर हमले के लिए रूस के बजाए चीन पर शक जताया था. ट्रंप ने ट्वीट किया था कि 'साइबर हैक वास्तविकता के बजाए फर्जी समाचार मीडिया में अधिक बड़ा है. मुझे पूरी जानकारी दी गई है और सब कुछ नियंत्रण में है.' उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया 'चीन का हाथ होने की संभावना पर चर्चा करने को लेकर डरा हुआ' है.

चीन अपनी नजर ट्रंप के बयान पर बनाए हुए थे. इसका संकेत तब मिला जब चीनी मुखपत्रक ग्लोबल टाइम्स' जब अपनी साइड से चीन-भारत' और 'चीन-यूएस' पर संपादकीय को हटा दिया. जो मूल रूप से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का दृष्टिकोण था.

राष्ट्रपति ट्रंप ने क्वाड में शामिल भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान पर ध्यान केंद्रित किया है. इसका तात्पर्य है कि अमेरिका इन देशों के साथ मिलकर चीन के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहता है.

इस नीति के बारे में अटकलें लगाई गई हैं कि जो बाइडेन रूस केंद्रित नीति अपनाते हैं तो इंडो-पैसिफिक पैसफिसक क्षेत्र में चीन का मुकाबला करना भारत और अमेरिका के लिए आसान होगा.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मंगलवार को आठ चीनी ऐप के कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया है. ट्रंप ने अपने आदेश में कहा कि चीन में बनाए और नियंत्रित किए गए ऐप्स की 'व्यापक पहुंच' के कारण 'राष्ट्रीय आपातकालीन स्थिति से निपटने' के लिए इस कार्रवाई की जरूरत है. ऐसा माना जा रहा है चीन की नीति पर सख्ती बनाए रखने के लिए अमेरिका ने ऐसा कदम उठाया है.

चीनी मुखपत्रक ग्लोबल टाइम्स में कहा गया कि ट्रंप का चीन के खिलाफ कठोरता दिखाना अंतिम मिनट की राजनीतिक समझ से ज्यादा कुछ नहीं है. ट्रंप का उद्देश्य जो बाइडेन को परेशान करने के लिए जाल स्थापित करना है.

Last Updated : Jan 6, 2021, 11:06 PM IST

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