नई दिल्ली / मॉस्को / कीव : यूक्रेन पर रूस के हमले को विशेष सैन्य कार्रवाई का नाम दिया गया है. अमेरिका, जर्मनी और यूरोपीय संघ की ओर से लगाई गई सख्त पाबंदियों के बावजूद रूस की सेना यूक्रेन के अलग-अलग इलाकों में लगातार हमले कर रही है. युद्ध के इस उन्माद से अभूतपूर्व मानवीय संकट पैदा हुआ है. मीडिया में आई तस्वीरों और वीडियो को देख कर कहा जा सकता है कि युद्ध की यह वीभिषिका कई पीढ़ियों को प्रभावित करेगी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की ओर से जारी सेटेलाइट फोटो और युद्धग्रस्त इलाकों की तस्वीरें डरावनी हैं. इन तस्वीरों में कई मासूम बच्चों को सुरक्षित जगहों की तलाश करते देखा जा सकता है. महिलाओं और बच्चों के साथ पनाह की तलाश कर रहे परिवारों के चेहरे दहशत में देखे जा सकते हैं. जान-माल के बड़े नुकसान के बीच यूक्रेन भी जवाबी कार्रवाई कर रहा है.
युद्ध के उन्माद में बच्चों का क्या कसूर, यूक्रेन के युद्ध में तबाह हुए कई परिवार यूक्रेन की सरकार ने सेना में नागरिकों को भर्ती होने का अवसर दिया है. ऐसे में कुछ ऐसी तस्वीरें ऐसी हैं, जिन्हें देखकर कहना गलत नहीं होगा कि ताकत के नशे में चूर रूस के राष्ट्रपति पुतिन फौजी कार्रवाई के सहारे यूक्रेन के कुछ इलाकों पर भले नियंत्रण हासिल कर लें, लेकिन हौसले को हथियार बनाने वाले यूक्रेन के कुछ लोगों से पुतिन 'पराजित' हो जाएंगे. इन्हीं में एक तस्वीर 80 साल के बुजुर्ग की है, जो सेना में शामिल होने को तैयार हैं. एक अन्य फोटो में यूक्रेन की 36 वर्षीय महिला सांसद कीर ने हथियार उठाने का ऐलान किया है. उन्होंने दो ट्वीट किए. सांसद कीर ने कहा कि वे युद्ध समाप्त होने के बाद अपने घर के बैकयार्ड में ट्यूलिप के फूल खिलाएंगी. दृढ़ संकल्प दिखाते हुए कीर ने कीव को अपनी मातृभूमि बताया और कहा वे कहीं नहीं जाएंगी.
तमाम घटनाक्रमों के बीच यूक्रेन के बच्चों के भविष्य का सवाल सबके सामने है. संक्षेप में कहा जा सकता है कि भारत में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कवि महमूद दरवेश की जो कविता ट्वीट की है, यही इस युद्ध की विभीषिका की वास्तविकता बनेगी. महमूद दरवेश की कविता में लिखा गया है, 'युद्ध समाप्त हो जाएगा, नेता एक-दूसरे से हाथ मिलाएंगे, बूढ़ी महिला अपने शहीद बेटे का इंतजार करेगी, पत्नी अपने महबूब पति का इंतजार करेगी, बच्चे अपने हीरो पिता का इंतजार करेंगे.' कवि दरवेश के काव्यांश में लिखा गया है कि मुझे नहीं पता हमारी मातृभूमि को किसने बेच डाला, लेकिन उन्होंने ये जरूर देखा है कि युद्ध की कीमत किसने चुकाई है.
यूक्रेन के युद्ध के बीच शशि थरूर ने ट्वीट की कविता