कौन है गौरीकुंड हादसे का जिम्मेदार रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): केदारनाथ यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव गौरीकुंड में देर रात पहाड़ी से चट्टान टूटने के कारण बड़ा हादसा हुआ है. यहां डाट पुलिया के पास पहाड़ी से चट्टान टूटने के कारण 19 लोग मलबे की चपेट में आ गए. इन लोगों की यहां पर तीन अस्थाई दुकानें थी, जो मलबे में ध्वस्त हो गई हैं.
पहाड़ी से आया मलबा बना विनाशकारी: आशंका व्यक्ति की जा रही है कि पहाड़ी से मलबा आने के कारण संभवतः सभी लोग मंदाकिनी नदी में गिरने के कारण तेज बहाव में बह गए हैं. हालांकि एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरएफ व पुलिस की टीमें लगातार सर्च अभियान चलाकर इन्हें ढूंढने का कार्य कर रही हैं. इन लोगों में 7 लोग नेपाली मूल के, तीन यूपी व तीन स्थानीय लोग शामिल हैं.
हादसे वाली जगह प्रशासन ने दी थी चेतावनी: बता दें कि केदारनाथ यात्रा में हर साल हजारों की संख्या में रोजगार को लेकर नेपाली मूल के लोगों के साथ ही अन्य राज्यों और जिले के विभिन्न गांवों से लोग पहुंचते हैं. इस साल यात्रा की शुरुआत से ही मौसम खराब रहा है. हर दिन यहां बारिश हो रही है. जहां इन लोगों ने अपनी अस्थाई दुकानें बनाई थीं, वहां पहले से ही खतरा बना हुआ था. ऊपरी पहाड़ी से यहां पर मलबा गिरने का सिलसिला जारी था. बाजवूद इसके ये लोग अस्थाई दुकानें खोले बैठे थे. प्रशासन की ओर से इन अस्थाई दुकानों को हटाने को भी कहा गया था. मगर इन दुकानों को हटाया नहीं गया. उलटा प्रशासन पर ही बेरोजगारों को भगाने के आरोप लगे.
अस्थाई दुकान वालों ने नहीं मानी प्रशासन की बात: गौरीकुंड बाजार से सोनप्रयाग की ओर तकरीबन पांच सौ मीटर तक नेपाली मूल के लोगों के साथ ही अन्य राज्यों व जिले के स्थानीय लोग हर साल अस्थाई दुकानें खोलते हैं. आपदा के बाद से सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक पहाड़ी से चट्टान टूटने का सिलसिला जारी है. कुछ दिन पहले गौरीकुंड-सोनप्रयाग राजमार्ग पर पहाड़ी से चट्टान टूटने के कारण एक वाहन स्वामी की मौत हुई थी. इसके बाद भी यहां अस्थाई दुकानें खोले बैठे लोगों ने सबक नहीं लिया.
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लापरवाही ने खड़ा किया संकट: प्रशासन की ओर से इन्हें हर बार दुकानें हटाने को कहा गया, मगर ऐसा नहीं हुआ है. इस लापरवाही का नतीजा आज सबके सामने है. यहां पर व्यापार संघ की ओर से इन अस्थाई दुकानों की पर्ची काटी जाती है और किराया वसूल किया जाता है. इस किराये से जहां व्यापार संघ का फायदा होता है, वहीं इन लोगों को रोजगार मिल जाता है. मगर लैंडस्लाइड वाले स्थानों पर अस्थाई दुकानें खोलकर खुद को खतरे में डालना, कहां तक सही है, यह बड़ा सवाल बना हुआ है.
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