दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

पर्यावरण संरक्षण में योगदान देती राखियां - eco friendly

वर्तमान समय में युवा पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण को लेकर ज्यादा जागरूक होने लगी है जिसका नतीजा है की पर्यावरण को संरक्षित करने के लिये न सिर्फ वह स्वयं ज्यादा संवेदनशील प्रयास कर रही है बल्कि ऐसे लोगों को समर्थन दे रही जो इस दिशा में कार्य कर रहें है। इसका एक सकारात्मक असर यह है की वर्तमान समय में बड़ी संख्या में लोग इको फ़्रेंडली तरीकों से त्यौहार मनाने को प्राथमिकता दे रहें है। इसी चलन का अनुसरण करते हुए इस बार ऐसी इको फ़्रेंडली राखियाँ भी तैयार की जा रहीं हैं जिनसे बाद में पौधे भी उगाए जा सकते हैं।

rakhi, raksha bandhan, brother and sister, brotherhood, siblings, Indian festival, festival, culture, पर्यावरण संरक्षण, eco friendly, sustainable rakhi
राखियां

By

Published : Aug 22, 2021, 7:31 AM IST

आजकल त्यौहार सिर्फ धार्मिक मान्यताओं के रूप में नही मनाए जाते है बल्कि वे फैशन, खानपान और समारोहों के ट्रेंड के रूप में प्रसिद्धि पा रहे है। जिसका असर उन्हे मनाए जाने के तरीकों पर भी नजर आता है। वहीं त्योहारों को इको फ़्रेंडली तरीके से मनाना आजकल का चलन ही नहीं बल्कि एक जरूरत भी बनती जा रही है। ऐसे में बाजार में ऐसे उत्पादों को आमतौर पर हाथों-हाथ लिये जाता है जो बेकार, प्रामाणिक और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के साथ प्रयोग कर तैयार किए जाते हों। जैसे इको फ़्रेंडली गणेशा , होली पर जैविक रंग आदि ।

इसी श्रंखला में बड़ोदरा स्थित एक ब्रांड “ साजके” इको फ़्रेंडली राखियों का निर्माण कर रहा है जिनके निर्माण में ने सिर्फ हल्दी, केसर और चंदन जैसे प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल किया जा रहा है साथ ही पौधों के बीजों को भी उपयोग में लाया जा रहा है।

परंपरा और प्रयोग

श्री श्रद्धानन्द अनाथालय द्वारा राखियां

वडोदरा का एक समूह “साजके” इस रक्षाबंधन न सिर्फ “ वैदिक “ इको फ़्रेंडली राखियों का निर्माण कर रहा है जिसमें हल्दी, चंदन और केसर के तत्व होते हैं, बल्कि उन्होंने इस त्यौहार के लिये विशेष राखी किट भी बाजार में उतारी है। इस किट में एक राखी है, जिसे इस्तेमाल के बाद एक बीज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जो पालक का पौधा उगाने में मदद करती है। इसमें एक बायोडिग्रेडेबल पॉट, पालक के बीज, मिट्टी के लिए कॉयर और एक जैविक उर्वरक होता है।

गौरतलब है की “साजके” समूह शून्य अपशिष्ट उत्पादों के साथ दस्तकारी व समकालीन पोशाकें बनाता है, जिनमें सरसों के बीजों का इस्तेमाल होता हैं। आईएएनएसलाइफ को दी गई एक सूचना में “साजके” की मालिक और संस्थापक दिव्या आडवाणी बताती हैं की आज का उपभोक्ता जागरूक है और बदलाव का हिस्सा बनना चाहता है, साथ ही वह पर्यावरण से कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने में योगदान देना चाहता है । उसकी यह सोच उसके उपहार देने के विकल्पों को भी प्रभावित करती है। इसके साथ ही इस तरह का चलन हमारी संस्कृति से भी जुड़ा है इसीलिए जब लोग इन चीजों को चुनते हैं तो वे अपनी जड़ों से भी जुड़ा हुआ महसूस करते हैं ।

इसी संबंध में, ETV भारत टीम ने श्री श्रद्धानंद अनाथालय, नागपुर, महाराष्ट्र में स्थित एक अनाथालय की संयुक्त सचिव श्रीमती गीतांजलि बुटी से भी बात की। उन्होंने बताया की अनाथालय के बच्चों ने भी बीजों से राखी निर्माण किया है , जिन्हे वे बाजार में उचित मूल्य पर बेच रहे हैं। वे बताती हैं की “महामारी के दौरान, हमने महसूस किया कि हम अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं और इसलिए हम ऐसे उत्पाद बना रहे हैं जिनसे हमारे पास रहने के लिए बेहतर वातावरण हो। रक्षा बंधन भाइयों और बहनों के बीच प्यार का त्योहार है और इसलिए राखी बांधने से उनका प्यार सुरक्षित हो जाएगा, लेकिन इस माध्यम से यदि हम एक बीज भी बोते हैं हम धरती माँ के प्रति अपने कर्तव्य को भी पूरा करते हैं। वे बताती हैं की अपनी राखियों में, हमने फलों और सब्जियों के बीज डाले हैं, जिन्हें आसानी से घर के गमलों में उगाया जा सकता है।”

श्री श्रद्धानन्द अनंतालय में बनती हुई राखियां

वे बताती हैं की “चूंकि वर्तमान समय में कई बच्चे महामारी से जुड़े प्रतिबंधों और डर के कारण स्कूलों में जाने में असमर्थ हैं, इसलिए इस तरह की गतिविधियों के माध्यम से अनाथालय के बच्चों को न सिर्फ खाली समय को सही तरह से बिताने में मदद मिलती है वहीं उनके व्यक्तिगत कौशल में भी इजाफा करने का प्रयास किए जाता है जो भविष्य में उनके लिए मददगार साबित होंगी।"

गीतांजलि बताती हैं की “इन हस्तनिर्मित राखियों को बेचने से हमें जो पैसा मिलता है, हम उन्हें अपने बच्चों, विशेष रूप से बड़ी लड़कियों के बैंक खातों में जमा करते हैं, ताकि जब वे हमारे अनाथालय से अपना करियर बनाने के लिए बाहर निकलें, तो वे अपने जीवन के लिए आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो सकें।

पढ़ें:बहनों की पहली पसंद बनी ईवल आई और रुद्राक्ष राखी

ABOUT THE AUTHOR

...view details