बेंगलुरु:कर्नाटक विधानसभा (Karnataka Legislative Assembly) में स्थिति तब तनावपूर्ण हो गयी जब विपक्ष के नेता सिद्धरमैया स्थगन प्रस्ताव की मांग करते हुए अपनी बात रख रहे थे. वह ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री के एस ईश्वरप्पा को उनके हाल के इस दावे को लेकर बर्खास्त करने एवं उनके विरूद्ध राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे थे कि भगवा ध्वज भविष्य में राष्ट्र ध्वज बन सकता है.
इस पर दोनों के बीच तब गरमागरम बहस शुरू हुई. जब विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने ईश्वरप्पा का पक्ष जानना चाहा क्योंकि स्थगन प्रस्ताव में उनके विरूद्ध आरोप लगाये गये थे. इसका विरोध करते हुए शिवकुमार ने कहा कि हम उन्हें (ईश्वरप्पा को बोलने) नहीं दे सकते. बताया जाता है कि इस पर ईश्वरप्पा ने कुछ टिप्पणी की लेकिन शोर-शराब के कारण वह स्पष्ट रूप से सुनाई नहीं पड़ी. शिवकुमार ने दावा किया कि ईश्वरप्पा ने कहा है कि यह सदन तुम्हारे बाप की संपत्ति नहीं है. यह दावा करते हुए शिवकुमार ने गुस्से में अपनी पार्टी के कुछ विधायकों के साथ ईश्वरप्पा की ओर बढ़ने की कोशिश की. तब ईश्वरप्पा भी अपनी सीट से उठकर उनकी ओर बढ़े और दोनों एक दूसरे के बिल्कुल करीब आ गये थे.
अध्यक्ष को लगा कि स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है और उन्होंने सदन की कार्यवाही भेाजनावकाश के लिए स्थगित कर दी. उस बीच मार्शलों ने कुछ विधायकों के साथ उत्तेजित सदस्यों को समझाने-बुझाने एवं शांत करने का प्रयास किया. पहले भी दोनों नेता विधानसभा में गरमा-गरम बहस में उलझे और एक दूसरे को देशद्रोही एवं राष्ट्रद्रोही कहते हुए सुनाई दिए. जब अध्यक्ष ने ईश्वरप्पा को बोलने का मौका देने का प्रयास किया तब शिवकुमार ने कहा कि आप उस व्यक्ति की बात क्यों सुनना चाहते हैं जो देशद्रोह में शामिल हो.