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रुबिया सईद अपहरण मामला: यासीन मलिक ने गवाहों से खुद जिरह करने की अनुमति मांगी - यासीन मलिक गवाहों से खुद जिरह करने की अनुमति मांगी

आतंकी वित्तपोषण मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक ने रुबिया सईद अपहरण केस में अदालत में प्रत्यक्ष रूप से पेश होने की अनुमति के लिए सरकार को पत्र लिखा है. मलिक ने अदालत में गवाहों से खुद जिरह करने का अनुरोध किया है. साथ ही उसने कहा है कि यदि सरकार ने अनुरोध स्वीकार नहीं किया तो वह भूख हड़ताल पर बैठेगा.

Yasin malik
यासीन मलिक

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Published : Jul 13, 2022, 8:33 PM IST

श्रीनगर:प्रतिबंधित जेकेएलएफ के सरगना यासीन मलिक ने बुधवार को जम्मू में एक सीबीआई अदालत से कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में प्रत्यक्ष रूप से पेश होकर गवाहों से खुद जिरह करना चाहता है. मलिक ने कहा कि इसकी अनुमति नहीं मिलने पर वह भूख हड़ताल करेगा. अधिकारियों ने बताया कि आतंकी वित्तपोषण के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा मलिक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये अदालत के समक्ष पेश हुआ और कहा कि उसने अदालत में प्रत्यक्ष रूप से पेश होने की अनुमति के लिए सरकार को पत्र लिखा है.

उन्होंने कहा कि मलिक ने अदालत को यह भी सूचित किया कि उसने गवाहों से खुद जिरह करने का अनुरोध किया है और यदि सरकार ने अनुरोध स्वीकार नहीं किया तो वह भूख हड़ताल पर बैठेगा. अधिकारियों ने बताया कि मलिक ने अदालत से कहा कि वह 22 जुलाई तक सरकार के जवाब का इंतजार कर रहा है और अनुमति न मिलने पर वह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करेगा.

मई में दिल्ली स्थित विशेष एनआईए अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद से यासीन मलिक उच्च सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल में बंद है. उसे 2017 के आतंकी वित्तपोषण मामले के सिलसिले में 2019 की शुरुआत में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किया गया था. वर्तमान मामला आठ दिसंबर, 1989 को जेकेएलएफ द्वारा रुबिया सईद का अपहरण किए जाने से संबंधित है. भारतीय जनता पार्टी समर्थित तत्कालीन वी. पी. सिंह सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जकेएलएफ) के पांच आतंकवादियों को रिहा किए जाने के बाद 13 दिसंबर को अपहर्ताओं ने रुबिया को मुक्त कर दिया था.

यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था और मलिक को 2019 में एनआईए द्वारा पकड़े जाने के बाद यह मामला पुनर्जीवित हो गया था. पिछले साल जनवरी में सीबीआई ने विशेष सरकारी वकीलों मोनिका कोहली और एस. के. भट्ट की मदद से मलिक सहित 10 लोगों के खिलाफ रुबिया अपहरण मामले में आरोप तय किए थे. रुबिया अपहरण मामला कश्मीर घाटी के अस्थिर इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.

जेकेएलएफ के पांच सदस्यों की रिहाई के बाद आतंकी समूहों ने सिर उठाना शुरू कर दिया था. विभिन्न जेलों में बंद अपने सहयोगियों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए जेकेएलएफ के आतंकवादियों ने श्रीनगर से रुबिया का अपहरण कर लिया था. मामले के अन्य आरोपियों में अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमां मीर, इकबाल अहमद गंद्रू, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक पहलू, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज-उद-दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी शामिल हैं.

जांच के दौरान, आरोपी अली मोहम्मद मीर, जमान मीर और इकबाल गंद्रू ने रुबिया अपहरण मामले में स्वेच्छा से एक मजिस्ट्रेट के सामने मलिक की भूमिका सहित अपनी और अन्य की भूमिका को स्वीकार किया था. इसके अलावा, चार अन्यअ आरोपियों ने सीबीआई के पुलिस अधीक्षक के समक्ष इकबालिया बयान दिए थे. अदालत ने पिछले साल जनवरी में कहा था, 'चूंकि आरोपी व्यक्तियों ने अपने अपराध को स्वीकार करने के साथ ही अन्य आरोपी व्यक्तियों जैसे मलिक, जावेद अहमद मीर और मेहराज-उद-दीन शेख की भागीदारी के बारे में भी बताया है, जिसे उनके खिलाफ सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.'

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सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में जिन दो दर्जन आरोपियों का नाम लिया है उनमें संबंधित 10 लोग भी शामिल हैं. अन्य लोगों में जेकेएलएफ के शीर्ष कमांडर मोहम्मद रफीक डार और मुश्ताक अहमद लोन मारे जा चुके हैं तथा 12 फरार हैं जिनमें हलीमा, जावेद इकबाल मीर, मोहम्मद याकूब पंडित, रियाज अहमद भट, खुर्शीद अहमद डार, बशारत रहमान नूरी, तारिक अशरफ, शफात अहमद शांगलू, मंजूर अहमद, गुलाम मोहम्मद टपलू, अब्दुल मजीद भट और निसार अहमद भट शामिल हैं.

जनवरी 1990 में श्रीनगर के बाहरी इलाके में चार वायुसेना कर्मियों की हत्या किए जाने से संबंधित एक अन्य मामले में विशेष अदालत ने मार्च 2020 में, जेकेएलएफ के सरगना और छह अन्य लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे.

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