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ये हैं मोहन भागवत के चर्चित बयान, कुछ पर वाहवाही तो कुछ पर मचा बवाल

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Published : Sep 10, 2022, 5:04 PM IST

मोहन भागवत के चर्चित बयान हमेशा लोगों के बीच वाद विवाद का कारण बनते रहे हैं और इसका असर भी सामाजिक व राजनीतिक गलियारों में दिखता रहा है. मोहन भागवत के जन्मदिन पर जानने की कोशिश करते हैं कि मोहन भागवत के विवादास्पद बयान कब कब आए थे...

RSS Sarsanghchalak Mohan Bhagwat Controversial Statements
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के सरसंघचालक मोहन भागवत अक्सर बेबाकी के साथ अपनी बात कहा करते हैं और उसके चलते वह विवादों व सुर्खियों में बने रहते हैं. उनके द्वारा अलग अलग समय में दिए गए बयान (Mohan Bhagwat Controversial Statements) काफी चर्चा में बने थे और उन पर लोगों ने तरह तरह के रिएक्शन भी देते रहते हैं. 11 सितंबर 1950 को जन्मे मोहन भागवत पेशे से पशु चिकित्सक थे, लेकिन मोहन भागवत ने 1975 में इमरजेंसी के दौरान पशु चिकित्सक का काम छोड़ पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गए थे. इसके बाद वह नागपुर और विदर्भ क्षेत्र के प्रचारक रहे. 1991 में वे आरएसएस के शारीरिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अखिल भारतीय प्रमुख बने और 21 मार्च 2009 को के.एस. सुदर्शन की जगह सरसंघचालक मनोनीत हुए. भागवत को सबसे कम उम्र में सरसंघचालक बनने का सम्मान हासिल है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत

उनके जन्मदिन पर जानने की कोशिश करते हैं कि मोहन भागवत के चर्चित बयान कौन कौन से हैं और वह किन किन बयानों के कारण चर्चा में (Disputed Statements of Mohan Bhagwat) आते रहे....

1. चीन से भारत को खतरा
मेरठ में दिसंबर 2012 में सर संघचालक मोहन भागवत ने चीन को भारत के लिए खतरा बताया है. उन्होंने कहा कि भारत के चारों ओर जिस तरह चीन अपना प्रभाव बढ़ा रहा है उससे एक बार फिर खतरा बढ़ रहा है. यहां तीन दिन के प्रांत शिविर के समापन पर भागवत ने चीन के साथ ही पाकिस्तान और बांग्लादेश से खतरा बताते हुए कहा कि डॉ. हेगडेवार ने शुरू से चीन से भारत को खतरा बताया था, लेकिन तब उन्हें युद्धखोर बताया गया और चीन के हमले के बाद ही सरकार नींद से जागी.

2. रेप भारत में नहीं बल्कि इंडिया में
जनवरी 2013 में दिल्ली गैंगरेप के मसले पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख के मोहन राव भागवत ने कहा था कि रेप की घटनाएं गांवों के मुकाबले शहरों में ज्यादा होती हैं. उन्होंने इस मसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शहरों में ज्‍यादा बलात्‍कार होते हैं और गांवों में रेप की घटनाएं कम होती हैं. उन्होंने इसके पीछे शहरों में पश्चिमी सभ्‍यता के हावी होने को कारण बताते हुए कहा कि पश्चिम सभ्यता का ही असर है कि रेप भारत में नहीं बल्कि इंडिया में होते हैं.

3. शादी एक कांट्रैक्ट है
जनवरी 2013 में इंदौर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि विवाह एक सामाजिक समझौता (सोशल कांट्रैक्ट) है. यह तब तक चलता है जब तक दोनों पक्षों के बीच सामंजस्य रहता है. उन्होंने कहा, ‘विवाह एक सामाजिक समझौता है. यह `थ्योरी ऑफ सोशल कांट्रैक्ट` है, जिसके तहत पति-पत्नी के बीच सौदा होता है, भले ही लोग इसे वैवाहिक संस्कार कहते हैं.’ उन्होंने कहा कि यह ऐसा सौदा है, जिसमें पत्नी से कहा जाता है, ‘तुम घर चलाओ और मुझे सुख दो.’ वहीं पति पेट का इंतजाम और सुरक्षा की गारंटी लेता है. जब तक पति-पत्नी शर्तों का पालन करते हैं, तब तक रिश्ता ठीक-ठाक चलता है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत

4. भारत में रहने वाला हर शख्‍स हिंदू
अगस्त 2014 में भागवत ने कहा था कि, "अगर इंग्लैंड में रहने वाले अंग्रेज, जर्मनी में रहने वाले जर्मन और अमेरिका में रहने वाले अमेरिकी हैं तो, फिर हिंदुस्तान में रहने वाले सभी लोग हिंदू क्यों नहीं हो सकते" उड़िया भाषा के एक साप्ताहिक के स्वर्ण जयंती समारोह में भागवत ने कहा, ‘सभी भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान हिंदुत्व है और देश में रहने वाले इस महान संस्कृति के वंशज हैं'. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व एक जीवन शैली है और किसी भी ईश्वर की उपासना करने वाला या किसी की उपासना नहीं करने वाला भी हिंदू हो सकता है. स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए भागवत ने कहा कि किसी ईश्वर की उपासना नहीं करने का मतलब यह जरूरी नहीं है कि कोई व्यक्ति नास्तिक है. उन्होंने कहा कि दुनिया अब मान चुकी है कि हिंदुत्व ही एकमात्र ऐसा आधार है जिसने भारत को प्राचीन काल से तमाम विविधताओं के बावजूद एकजुट रखा है.

5. मदर टेरेसा के काम पर सवाल
फरवरी 2015 में सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारतरत्न मदर टेरेसा पर टिप्पणी करके कहा था कि उनके द्वारा गरीबों की सेवा के पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों का ईसाई धर्म में परिवर्तन कराना था. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था, "मदर टेरेसा की गरीबों की सेवा के पीछे का मुख्य उद्देश्य ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराना था।" सरसंघचालक भरतपुर से करीब आठ किलोमीटर दूर बजहेरा गांव में एक कार्यक्रम को संबोधित करने के दौरान राजस्थान में कही थी.

6. आरक्षण समीक्षा की सलाह
सितंबर 2015 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण पर गहरी चिंता जताते हुए मोदी सरकार को एक कमेटी बनाने की सलाह दी थीऔर कहा था कि इस कमेटी को तय करना चाहिए कि कितने लोगों को और कितने दिनों तक आरक्षण मिलना चाहिए. मोहन भागवत ने कहा था कि ऐसी कमेटी में नेताओं से ज्यादा सेवा भाव रखने वाले लोगों को तरजीह मिलनी चाहिए. भागवत ने आरएसएस के मुखपत्रों पांचजन्य और ऑर्गेनाइज़र को दिए इंटरव्यू में यह बात कहने पर काफी हंगामा मचा था और लोगों ने इसको आरक्षण छीनने की साजिश कही थी.

7. हिंदुओं को जात-पात छोड़कर एक होने की अपील
फरवरी 2017 में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर मध्य प्रदेश के बैतूल में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के हिंदू सम्मेलन में सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदुओं को जात-पात छोड़कर एक होने की अपील की थी. उन्होंने धर्म परिवर्तन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक रूप से पिछड़ेपन के कारण कुछ लोग हमारे ही लोगों को देश के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं. कहा जाता है कि हिंदू सम्मेलन में मोहन भागवत एक घंटे का भाषण देने वाले थे, लेकिन उन्होंने 27 मिनट में ही अपना भाषण खत्म करना पड़ा था, क्योंकि मोहन भागवत के भाषण के आखिरी मिनटों में सम्मेलन में आए कुछ लोग उठकर बाहर जाने लगे थे.

8. अब संघ नहीं करेगा कोई मंदिर आंदोलन
जून 2022 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख ने कहा है कि संघ अब कोई और मंदिर आंदोलन नहीं करेगा. उन्‍होंने सीधे ज्ञानवापी मामले का नाम नहीं लिया, बल्कि कहा कि अभी हाल ही में मस्जिद को लेकर सर्वेक्षण किया गया था. हिंदू हों या मुसलमान, उनको इस मुद्दे पर ऐतिहासिक हकीकत और तथ्यों को स्वीकार करना चाहिए. दोनों पक्षों को एक साथ आना चाहिए और यदि आवश्‍यक हो तो कोर्ट में मामला जाए और सभी कोर्ट के फैसले को स्‍वीकार करें.

9. भारत अहिंसा का पुजारी है, दुर्बलता का नहीं
14 अगस्त 2022 को नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को बड़ा बनाना है तो हमें डरना छोड़ना होगा. उन्होंने आगे कहा कि डरना छोड़ेंगे तो भारत अखंड होगा. भारत अहिंसा का पुजारी है, दुर्बलता का पुजारी नहीं है. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि भाषा, पहनावे, संस्कृतियों में हमारे बीच छोटे अंतर हैं, लेकिन हमें इन चीजों में नहीं फंसना चाहिए. वहीं उन्होंने कहा कि आपस में मतभेद पैदा करने के लिए अनावश्यक रूप से जातियों की खाईं बनाई गई.उन्होंने कहा कि समाज और देश के लिए काम करने का संकल्प लें. हम देश के लिए फांसी पर चढ़ेंगे. हम देश के लिए काम करेंगे. हम भारत के लिए गीत गाएंगे. जीवन भारत को समर्पित होना चाहिए. हमारा देश भारत विविधताओं को समेटे है.

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