जयपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रहे केएन गोविंदाचार्य ने राहुल गांधी के साथ जो हुआ उसका जिम्मेदार उन्हें ही बताया. उन्होंने नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की तुलना करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सब जगह दिखाई पड़ते हैं, राहुल गांधी का ऐसा विशेष चमत्कार अभी कहीं दिखता नहीं है. हां, मेहनत जरूर कर रहे हैं. दरअसल, केएन गोविंदाचार्य जयपुर में प्रकृति केंद्रित विकास पर चर्चा के लिए पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान ये बात कही. बातचीत के दौरान गोविंदाचार्य ने लोकतंत्र की बुनियादी जरूरत विश्वास का माहौल बताया और इसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को My Way और No Way छोड़कर सकारात्मक वार्ता करने की नसीहत दी.
समाज और सरकार को मिलकर चार काम करने होंगे: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि देश में पिछले 60 वर्षों में 50 फीसदी बायोडायवर्सिटी खो दी है. भारत की सबसे बड़ी पॉइंट ऑफ स्ट्रेंथ यही है कि 2 परसेंट लाइन है, और 16 प्रतिशत बायोडायवर्सिटी का स्वामी है. इसलिए हम क्या खो रहे हैं, इसका अनुमान लग नहीं रहा. यही सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि इस चुनौती पर पार पाने के लिए समाज और सरकार को मिलकर चार काम करने होंगे. पर्यावरण पर बातचीत करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि हर ग्राम पंचायत में चार नए जलाशय बने, पूरे देश में करीब 10 लाख नए जलाशय बनाया जाए. कम से कम 20 प्रतिशत वन आच्छादन हो. लाभदाई गोपालन के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी गोपालन, गौ संवर्धन, गोरक्षा, गो आधारित कृषि, उद्यम और ऊर्जा पर युद्ध स्तर पर काम हो, जो अंग्रेज छोड़कर के गए थे कि एक आदमी पर एक मवेशी आज 7 आदमी पर एक मवेशी की स्थिति बन गई है. इसको दुरुस्त करते हुए कम से कम 2 आदमी पर 1 गोवंश तक पहुंचे.
2030 के बाद पर्यावरणीय क्राइसिस होने वाली है: केएन गोविंदाचार्य ने आगे कहा कि देश-दुनिया में साल 2030 के बाद पर्यावरणीय क्राइसिस होने वाली है. भारत उस समय बहुत बड़े लंगर-आश्रय का काम करने की क्षमता रखेगा, जो पार्टी हमेशा से लोकतंत्र की हिमायती रही आज उसी पर लोकतंत्र को खत्म करने के आरोप लगते हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए गोविंदाचार्य ने कहा कि ये समय-समय की बात है. ऐसा मानना चाहिए कि सत्ता पक्ष और विपक्ष में ट्रेड और ट्रस्ट की कमी है. उसको ठीक करना चाहिए. सभी राजनीतिक दलों को इकट्ठा बैठ कर इस स्वरूप की विवेचना, आत्मनिरीक्षण, परिमार्जन करना होगा. ये आज के लोकतंत्र की बुनियादी जरूरत है, लेकिन सबसे जरूरी है ट्रस्ट का माहौल हो.