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आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 11 मार्च से गुजरात में - RSS 55000 branches functioning in india

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh-RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक गुजरात के अहमदाबाद में 11 से 13 मार्च तक आयोजित होगी. इससे पहले 2020 में कोरोना महामारी के कारण संघ को अपनी वार्षिक प्रतिनिधि सभा वर्चुअल तरीके से आयोजिक करना पड़ा था. लेकिन फिर 2021 में इसका ऑफलाइन आयोजन हुआ लेकिन पदाधिकारी सीमित संख्या में ही शामिल हो सके.

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Published : Feb 23, 2022, 9:15 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh-RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक (RSS meeting to be held in Ahmedabad Gujarat) गुजरात के अहमदाबाद में 11 से 13 मार्च तक आयोजित होगी. यह जानकारी आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने दी है. उन्होंने कहा कि इस साल पहली बार प्रतिनिधि सभा में पूरे भारत से संघ के पदाधिकारी शामिल होंगे.

इससे पहले 2020 में कोरोना महामारी के कारण संघ को अपनी वार्षिक प्रतिनिधि सभा वर्चुअल तरीके से आयोजिक करना पड़ा था. लेकिन फिर 2021 में इसका ऑफलाइन आयोजन हुआ लेकिन पदाधिकारी सीमित संख्या में ही शामिल हो सके. अब 2022 में यह सभा अपने पूरे स्वरूप में आयोजित होगी.

बता दें कि आरएसएस की ओर से हर साल इसी तरह बड़ी बैठक तीन दिनों तक होती है, जहां संघ द्वारा किये गए कार्यों और आगे की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की जाती है. संघ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि महामारी के कारण पिछले दो साल में संघ की कई योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो सका था. अब स्थिति सामान्य होने के बाद एक बार फिर संघ विस्तार योजना पर कार्य शुरू करेगा.

उन्होंने बताया कि देश में आरएसएस की अभी कुल 55000 शाखाएं कार्य कर रही (RSS 55000 branches functioning in india) हैं, जिसक संख्या एक लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य है. आजादी के 75 वर्ष को मोदी सरकार 'आजादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मना रही है. देश के तमाम मंत्रालय, सरकारी विभाग और यहां तक कि कई गैर सरकारी संगठन भी इसमें शामिल हो रहे हैं और कई तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. आरएसएस की भी आजादी के 75 वर्ष होने पर विशेष योजनाएं हैं.

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संघ का मानना है कि स्वतंत्रता की लड़ाई में भारत के हर क्षेत्र के अनेक वीरों की भूमिका रही, लेकिन इतिहास में कुछ शहीदों का ही उल्लेख है. जिनके नाम हैं, उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण है, लेकिन आज उन सेनानियों के नाम और उनके योगदान को भी प्रकाशित करने की जरूरत है. संघ इस पर पहले भी काम करता आया है और इसका उदाहरण स्वरूप मणिपुर के 23 स्वतंत्रता सेनानियों पर लिखी गई एक किताब है. आने वाले समय में इस तरह की और भी किताबें प्रकाशित हो सकती हैं.

शाखाओं की संख्या के साथ-साथ संघ अपने कार्यक्षेत्र को भी विस्तार और हिंदुत्व को बढ़ावा देना संघ के एजेंडा में प्रमुखता से शामिल है.

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