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RSS Jamaat e Islami meeting : संघ और जमात ए इस्लामी की बैठक के बाद केरल में छिड़ी बहस

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Published : Feb 16, 2023, 10:41 PM IST

जनवरी में आरएसएस और जमात ए इस्लामी के बीच दिल्ली में हुई वार्ता के बाद से केरल की राजनीति गर्मा गई है. कई मुस्लिम संगठन इस वार्ता को लेकर जमात ए इस्लामी की आलोचना कर रहे हैं (RSS Jamaat e Islami meeting).

RSS Jamaat e Islami meeting
आरएसएस और जमात ए इस्लामी मीटिंग

कोझिकोड: आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी (RSS Jamaat e Islami meeting) की बैठक ने केरल में बड़ी राजनीतिक बहस छेड़ दी है. 14 जनवरी को दिल्ली में RSS और दिल्ली के कुछ मुस्लिम संगठनों के बीच चर्चा हुई. पहले तो इस संबंध में कोई पुष्टि नहीं हुई, लेकिन आधिकारिक पुष्टि के बाद कि जमात-ए-इस्लामी ने चर्चा में भाग लिया, केरल के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों सीपीएम, कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेता इस संबंध में जमात-ए-इस्लामी की आलोचना करने के लिए आगे आए.

पूर्व मंत्री और वर्तमान सीपीएम विधायक केटी जलील (CPM MLA KT Jaleel) ने इसकी कड़ी आलोचना की. जलील ने जमात-ए-इस्लामी से आरएसएस के साथ बैठक का विवरण प्रकट करने के लिए कहा. जलील ने पूछा लोग यह जानने के इच्छुक हैं कि उस बैठक का मध्यस्थ कौन था. जलील ने जमात-ए-इस्लामी से जवाब मांगा कि क्या गाय रक्षकों ने मो. अखलाक सहित 50 लोगों की मौत पर कभी खेद व्यक्त किया है, जिनकी गोमांस विवाद में क्रूरता से हत्या की गई थी.

उन्होंने कहा कि क्या बीजेपी ने गुजरात में मुस्लिम नरसंहार के लिए माफी मांगी है, क्या यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्थानों के नाम बदलने के कदम से पीछे हटने को तैयार हैं, क्या वेलफेयर पार्टी को एनडीए का हिस्सा बनाने का कोई आश्वासन मिला है. इन सवालों का जवाब दिए बिना जमात-ए-इस्लामी आगे नहीं बढ़ सकती.

कांग्रेस नेता और सांसद के मुरलीधरन ने आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी के बीच बैठक की खबरों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. के मुरलीधरन ने कहा कि 'कोई फर्क नहीं पड़ता कि आरएसएस की नीति को बदलने के लिए कौन सोचता है, ऐसा नहीं होगा. उनका उद्देश्य अल्पसंख्यक को खत्म करना है.' के मुरलीधरन ने कहा कि बैठक सेक्युलर ताकतों के संघर्ष को कमजोर करेगी.

मुस्लिम लीग के नेता विधायक पी.के. कुन्हालीकुट्टी ने कहा कि आरएसएस से बातचीत की कोई स्थिति नहीं है. उन्होंने कहा कि यह उनसे मुकाबला करने का समय है. कुन्हलिकुट्टी ने कहा कि यह उन पर है कि वे चर्चा के बारे में विस्तार से बताएं. जहां तक मुस्लिम लीग की बात है तो अगर वे अति धार्मिक विचारों वाले संगठनों के साथ सुलह के लिए जाते हैं, तो यह बहुत बड़ा खतरा पैदा करेगा. केरल के और सभी मुस्लिम संगठन भी आगे आए और आरएसएस-जमात बैठक की आलोचना करें.

इस बीच, जमात-ए-इस्लामी हिंद के महासचिव और केरल के पूर्व अमीर टी आरिफ अली बताते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और इस्लामी संगठनों के बीच बातचीत करना एक सकारात्मक पहल है.

आरिफ अली ने कहा कि यह सच है कि आरएसएस के प्रतिनिधियों और देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने बुद्धिजीवियों के साथ चर्चा की और यह कोई गुप्त चर्चा नहीं थी. आरिफ अली ने कहा कि संघ की राजनीति मॉब लिंचिंग, अभद्र भाषा और नरसंहार के आह्वान जैसे मुद्दों को जन्म दिया है जो मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए खतरा है. बैठक में इस्लामिक संगठनों ने आरएसएस से इस तरह के विचारों को फैलाने से रोकने का आग्रह किया. आरिफ अली ने कहा कि उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए आरएसएस के साथ बातचीत की.

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