कोझिकोड: आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी (RSS Jamaat e Islami meeting) की बैठक ने केरल में बड़ी राजनीतिक बहस छेड़ दी है. 14 जनवरी को दिल्ली में RSS और दिल्ली के कुछ मुस्लिम संगठनों के बीच चर्चा हुई. पहले तो इस संबंध में कोई पुष्टि नहीं हुई, लेकिन आधिकारिक पुष्टि के बाद कि जमात-ए-इस्लामी ने चर्चा में भाग लिया, केरल के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों सीपीएम, कांग्रेस और मुस्लिम लीग के नेता इस संबंध में जमात-ए-इस्लामी की आलोचना करने के लिए आगे आए.
पूर्व मंत्री और वर्तमान सीपीएम विधायक केटी जलील (CPM MLA KT Jaleel) ने इसकी कड़ी आलोचना की. जलील ने जमात-ए-इस्लामी से आरएसएस के साथ बैठक का विवरण प्रकट करने के लिए कहा. जलील ने पूछा लोग यह जानने के इच्छुक हैं कि उस बैठक का मध्यस्थ कौन था. जलील ने जमात-ए-इस्लामी से जवाब मांगा कि क्या गाय रक्षकों ने मो. अखलाक सहित 50 लोगों की मौत पर कभी खेद व्यक्त किया है, जिनकी गोमांस विवाद में क्रूरता से हत्या की गई थी.
उन्होंने कहा कि क्या बीजेपी ने गुजरात में मुस्लिम नरसंहार के लिए माफी मांगी है, क्या यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्थानों के नाम बदलने के कदम से पीछे हटने को तैयार हैं, क्या वेलफेयर पार्टी को एनडीए का हिस्सा बनाने का कोई आश्वासन मिला है. इन सवालों का जवाब दिए बिना जमात-ए-इस्लामी आगे नहीं बढ़ सकती.
कांग्रेस नेता और सांसद के मुरलीधरन ने आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी के बीच बैठक की खबरों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. के मुरलीधरन ने कहा कि 'कोई फर्क नहीं पड़ता कि आरएसएस की नीति को बदलने के लिए कौन सोचता है, ऐसा नहीं होगा. उनका उद्देश्य अल्पसंख्यक को खत्म करना है.' के मुरलीधरन ने कहा कि बैठक सेक्युलर ताकतों के संघर्ष को कमजोर करेगी.