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मोहन भागवत बोले- जातिवाद नासूर, मंदिर और श्मशान पर पूरे हिंदू समाज का हो समान अधिकार - kanpur latest news

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने प्रवास के अंतिम कानपुर में वरिष्ठ पदाधिकारियों संग बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि मंदिर, श्मशान, जलाशय आदि पर संपूर्ण हिंदू समाज का समान अधिकार होना चाहिए.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

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Published : Oct 11, 2022, 10:44 PM IST

कानपुर: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने प्रवास के अंतिम दिन मंगलवार को नवाबगंज स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय में वरिष्ठ पदाधिकारियों संग बैठक की. उन्होंने पूरे दिन तीन अलग-अलग सत्रों में कुटुंब प्रबोधन, सेवा कार्यों व कई अन्य विषयों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल सन 2025 में पूरे होंगे. शताब्दी वर्ष पूरा होते ही हर प्रांत के हर गांव में शाखा लगनी चाहिए. मंदिर, श्मशान, जलाशय आदि पर संपूर्ण हिंदू समाज का समान अधिकार होना चाहिए.

उन्होंने जोर देकर कहा कि जातिवाद समाज के लिए नासूर है, कोई बड़ा छोटा नहीं सब समान हैं. सभी जातियों राष्ट्र हित में योगदान रहा है. ऐसी कोई जाति नहीं, जिसमें महापुरुष न पैदा हुए हों. संघ प्रमुख ने कहा घोष शिविर में भले ही मौसम ने सहयोग नहीं किया, लेकिन स्वयंसेवकों ने बहुत मेहनत से वाद्य यंत्रों को बजाने का अभ्यास किया था. शिविर की सार्थकता तभी होगी जब यह अभ्यास लगातार जारी रहेगा.

इसी तरह पहले सत्र में कुटुंब प्रबोधन के कार्यकर्ताओं ने प्रांत में चल रही गतिविधियों का विवरण जब संघ प्रमुख के सामने प्रस्तुत किया, तो संघप्रमुख ने कार्य को और बढ़ाने के लिए कहा. संघ प्रमुख ने कहा कि हर परिवार संस्कारित हो, परिवार की परिभाषा संकीर्ण हो, परिवार का मतलब चाचा, चाची, दादा, दादी आदि सब हैं.

वहीं दूसरे सत्र में सेवा विभाग के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में उन्हें बताया गया, कि प्रांत में 215 सेवा बस्तियों में 15 प्रकार के सेवा कार्य चल रहे हैं. इनमें सिलाई केंद्र, संस्कार केंदर आदि शामिल हैं. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'हम सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन हैं. समाज की पीड़ा, हमारी पीड़ा है. समाज के प्रत्येक वर्ग उन्नति प्राप्त करें और जातिवाद की मानसिकता पूरी तरह खत्म हो. हम सभी एक मां भारत माता की संतान हैं. इसलिए हम सब सहोदर हैं.'

पढ़ेंः हमें अपने समाज को देश के लिए उपयोगी बनाना है: मोहन भागवत

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