बेंगलुरू : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को कहा कि चंद्रयान-3 के रोवर 'प्रज्ञान' ने चांद की सतह पर लगभग आठ मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है और इसके उपकरण चालू हो गए हैं. अंतरिक्ष एजेंसी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "सभी नियोजित रोवर गतिविधियों को सत्यापित कर लिया गया है. रोवर ने लगभग आठ मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है. रोवर के उपकरण एलआईबीएस और एपीएक्सएस चालू हैं." इसने कहा कि प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर पर सभी उपकरण सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं.
उपकरण 'अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर' (APXS) का लक्ष्य चंद्र सतह की रासायनिक संरचना और खनिज संरचना का अध्ययन करना है. वहीं, ‘लेजर-इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (LIBS) चंद्रमा पर लैंडिंग स्थल के आसपास की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना की पड़ताल के लिए है. इसरो ने कहा कि लैंडर उपकरण इल्सा, रंभा और चेस्ट को चालू कर दिया गया है. चंद्र सतह तापीय-भौतिकी प्रयोग (चेस्ट) नामक उपकरण चंद्रमा की सतह के तापीय गुणों को मापेगा.
इससे पहले नेहरू तारामंडल के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक आनंद ने बताया था कि बुधवार रात 10 बजे लैंडर से रोवर निकलना शुरू हुआ, जो रात करीब 11.15 बजे पूरी तरह बाहर आ गया. अब रोवर और लैंडर दोनों मिलकर चंद्रमा की सतह पर कार्य कर रहे हैं. अगले 14 दिनों में रोवर के 2 और लैंडर के 4 वैज्ञानिक उपकरण नई तथ्यों की खोज करेंगे. इस क्षेत्र में सूर्य की किरणें 14 दिनों तक पड़ती हैं. उन्होंने कहा कि लैंडर और रोवर से सौर पैनल जुडे़ हुए हैं, जो उनके लगातार कार्य करने के लिए बिजली पैदा करते रहेंगे. रोवर के 2 उपकरण, चंद्रमा की सतह पर खनिज भंडार और उसके कंपन पर वैज्ञानिक खोज कर अधिक जानकारी एकत्रित करेंगे. उन्होंने बताया कि लैंडर के 4 उपकरण मिट्टी के तापमान, संरचना, विविधता और दूरी के बारे में जानकारी देंगे.