नई दिल्ली : राऊज एवेन्यु कोर्ट ने पूर्व मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है. एडिशनल मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने 10 फरवरी को फैसला सुनाने का आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान प्रिया रमानी की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा कि एमजे अकबर के खिलाफ यौन प्रताड़ना के आरोप सही हैं. उसके बारे में किए गए ट्वीट मानहानि वाले नहीं थे और वे जनहित में किए गए थे. उन्होंने कहा कि यौन प्रताड़ना के आरोपी को उच्च पदों पर नहीं होना चाहिए जो कि एक जनहित था. रेबेका जॉन ने कहा कि दूसरी महिलाओं ने अगर आरोप नहीं लगाए इसका मतलब ये नहीं है. उन्होंने कहा कि एमजे अकबर को गजाला वहाब और पल्लवी गोगोई के आरोपों से परेशानी क्यों नहीं हुई? उनके आरोप ज्यादा गंभीर थे.
'पिक एंड चूज नहीं कर सकते हैं'
रेबेका जॉन ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले को उद्धृत करते हुए कहा कि अगर आप पिक एंड चूज करते हैं तो आपको चूज नहीं करने का कारण बताना होगा. एमजे अकबर रमानी के पीछे इसलिए पड़े कि वह एक सॉफ्ट टारगेट थी. जॉन ने कहा कि प्रिया रमानी ने व्यक्तिगत कारणों से ट्विटर अकाउंट निष्क्रिय किया था. उन्होंने कहा कि प्रिया रमानी ने एक ईमानदार बयान दिया था.
'कानून होने के बावजूद शिकायत नहीं की'
पिछले 27 जनवरी को एमजे अकबर की ओर से वकील गीता लूथरा ने अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं. सुनवाई के दौरान लूथरा ने कहा था कि प्रिया रमानी ने जो आरोप लगाए वह उसे साबित करने में नाकाम रही है. लूथरा ने कहा था कि एक रिपोर्टर को कानून की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए. प्रेस और मीडिया का कर्तव्य है कि वह लोगों को शिक्षित करे. उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया पर बिना कुछ वेरिफाई किए कुछ कहना आसान होता है. लूथरा ने कहा था कि 2013 के कानून के मुताबिक, शिकायत तीन महीने में करनी होती है, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया. एक व्यक्ति किसी की छवि को सार्वजनिक रूप से खराब कर सकता है. उन्होंने कहा था कि रमानी ने एमजे अकबर को शिकारी कहा और इसका कोई सबूत नहीं है.