फरीदाबाद:हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है. मान्यता है कि गौ माता में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है. इसलिए उनको प्रसन्न करने के लिए गौ माता की सेवा की जाती है. हमारे देश में प्राचीन समय से ही परंपरा रही है कि परिवार में बनने वाली पहली रोटी गाय के लिए निकाल दी जाती है. इसके बावजूद कई गोवंश सड़कों पर खाने के लिए घूमते दिखाई देते हैं. चारे की कमी के कारण गोवंश की मौत या फिर सड़कों पर प्लास्टिक और कचरा खाते गोवंश आपको हर शहर में दिख जाएंगे. फरीदाबाद के एक शख्स ने गोवंश तक चारा पहुंचाने के लिए 8 साल पहले ऐसी मुहिम शुरू (roti bank for stray cows) की जो आज रंग लाती दिख रही है. सचिन शर्मा नाम के शख्स की संस्था के 51 रिक्शे शहर में जगह-जगह घूमकर घरों से गोवंश के लिए खाना इकट्ठा करते हैं और फिर इन्हें निशुल्क गौशालाओं और सड़कों पर घूमती गायों तक पहुंचाया जाता है.
कैसे हुई इस मुहिम की शुरुआत- सचिन शर्मा ने बताया कि उन्होंने इस रोटी बैंक की शुरुआत साल 2014 (roti bank for stray cows in faridabad) में की थी. गायों के लिए रोटी बैंक की शुरुआत उन्होंने अपने पिता सोम प्रकाश के नाम पर एक चैरिटेबल ट्रस्ट खोलकर शुरु की. इस ट्रस्ट में आज कई लोग निस्वार्थ सेवा के लिए इससे जुड़ रहे हैं. इस मुहिम के साथ जुड़ने वाले लोग भी खाना इकट्ठा करके रिक्शा चालकों को फोन के माध्यम से बुला लेते हैं. इनका मकसद सिर्फ गोवंश को खाना पहुंचाना है. फरीदाबाद समेत देश के अधिकतर शहरों में आवारा गोवंश घूमता (stray animals in Faridabad) मिल जाएगा, जो खाने के लिए कूड़े के ढेर या प्लास्टिक पर मजबूर रहते हैं.
दोस्तों से इकट्ठे किए पैसे से खरीदे गए दो रिक्शे- सचिन का कहना है कि साल 2014 में अपने दोस्तों से उधार लेकर दो रिक्शा खरीदे. दोस्तों की मदद से ही रिक्शा चलाने के लिए दो लोगों को नौकरी पर भी रखा गया. सुबह- शाम ये रिक्शे घर-घर जाकर खाना इकट्ठा करते और फिर इस खाने को गोवंश तक पहुंचाते थे. बीते करीब आठ सालों में गोवंश के लिए खाना इक्कठा करने वाले रिक्शों की संख्या 51 पहुंच चुकी है. इन रिक्शों को चलाने के लिए 51 लोगों को नौकरी पर भी रखा गया है, जो शहरभर में घूमते हुए घर-घर जाकर खाना इकट्ठा करते हैं.