गुवाहाटी : असम में रोंगाली बिहू (Assam Rongali Bihu celebration) के मौके पर सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने शुभकामनाएं दीं. उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें पारंपरिक टोपी व अन्य सामग्री उपहार में भेंट दी. सीएम हिमंत के अलावा रक्षा संस्थानों की ओर से भी बिहू की शुभकामनाएं दी गईं. वैसे, तो बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू एक सप्ताह चलने वाला त्योहार है, लेकिन यह उत्सव पूरे महीने चलता रहता है और इस दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है.
रोंगाली बिहू के पहले दिन - मवेशियों को नहलाया जाता है. स्नान के बाद मवेशियों को ताजी हल्दी, काली मसूर का लेप लगाया जाता है. लोग गाते हैं - 'लाओ खा, बेंगेना खा, बोसोर बोसोर बरही जा, मार जोरू, बापर जोरू, तोई होबी बोर बोर गोरू (लौकी खाओ, बैंगन खाओ, साल-दर-साल बढ़ो, तुम्हारी माँ छोटी है, तुम्हारे पिता छोटे हैं, लेकिन तुम बड़े हो)' इसके बाद असम के लोग मवेशियों की पूजा भी करते हैं.
असम में बिहू के पहले दिन डिघलती पट (औषधीय महत्व वाले पौधे का पत्ता) से स्नान करवाने से मवेशियों की त्वचा पर चिपके मक्खियों और कीड़ों को निकालने में मदद मिलती है. बिहू असम का सबसे शानदार और प्रसिद्ध त्योहार है. 14 अप्रैल को बोहाग बिहू यानि असमिया कैलेंडर महीने की शुरुआत होने पर पहला दिन गोरु बिहू (मवेशी बिहू) के रूप में मनाया जाता है, जबकि दूसरे दिन को मनु बिहू (मानव बिहू) के रूप में जाना जाता है. बिहू का पहला दिन प्रकृति के साथ मानव के संबंध को इंगित करने वाले मवेशियों को समर्पित है.
गोरु बिहू के मौके पर लोग मवेशियों की अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करते हुए लोग भजन भी सुनाते हैं. बिहू के दूसरे दिन लोग स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं और राज्य में जगह-जगह गायन और नृत्य का आनंद लेते हैं. मनु बिहू के दिन परिवार के परिवार के बुजुर्ग लोगों से मिलने जाते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं. बुजुर्ग लोग युवा लोगों को बिहूवन (गमछा के नाम से जाना जाने वाला पारंपरिक असमिया तौलिया) देते हैं और उन्हें उनके अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए आशीर्वाद देते हैं.
उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) ने भी वीडियो पोस्ट के साथ रोंगाली बिहू की शुभकामनाएं दीं.