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Chhattisgarh Election 2023: कांग्रेस सरकार बनने के बाद एनएसयूआई के सदस्य बढ़े, एबीवीपी से युवा बना रहे दूरी

छात्र संगठन चुनावों में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं. इस साल के अंत में छत्तसीगढ़ में विधानसभा चुनाव होना है. काॅलेजों में नया शिक्षा सत्र भी शुरू होने वाला है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस ने दोनों ही पार्टियों ने एबीवीपी और एनएसयूआई को एक्टिव कर दिया है.

role of students union in Chhattisgarh Election
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव

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Published : Jun 15, 2023, 10:26 PM IST

Updated : Jun 16, 2023, 2:25 PM IST

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव

रायपुर: छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर अभी से ही राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं. इसके साथ ही उन्होंने अपने छात्र संगठनों को भी सक्रिय कर दिया है. कांग्रेस ने नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) को सक्रिय करते हुए चुनाव में उनकी भूमिका तय की है. वहीं भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को एक्टिव मोड में लाने के लिए जुटी है. एबीवीपी हमेशा से ही छात्र संगठन होने का दावा करते है, ना कि कोई राजनीतिक दल. बादजूद इसके उनकी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होती है.


एनएसयूआई हुआ सक्रिय: विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर गुरुवार को एनएसयूआई प्रदेश कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक कांग्रेस प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में हुई. इस बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उपस्थित रहे. बैठक के दौरान विधानसभा चुनाव में एनएसयूआई को किस तरह काम करना है, कैसे लोगों के घरों तक पहुंचना है, यह तय किया गया. इसके लिए सीएम ने उन्हें टिप्स दिए. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी एनएसयूआई कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के निर्देश दिए हैं. सीएम बघेल ने कहा कि "हमें सोशल मीडिया में सिर्फ जिंदाबाद नहीं लिखना है. बल्कि सही को सही लिख कर दो से तीन लाइन का कमेंट करना है."

एनएसयूआई को भूपेश की सलाह
वोटरों को जागरूक करेगा एबीवीपी:वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बात की जाए, तो उनका सीधे तौर पर कहना है कि वे राजनीतिक दल नहीं है. यही वजह है कि राजनीति में वे सक्रिय नहीं है. हालांकि चुनाव में ज्यादा से ज्यादा मतदान कैसे कराया जा सके, लोगों को मतदान बूथों तक कैसे पहुंचाया जाए, लोगों को मतदान के लिए कैसे जागरूक किया जाए, इसके लिए जरूर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद काम करता है. इस विधानसभा चुनाव में भी एबीवीपी इन्हीं कामों को करेगा, इसके लिए रणनीति तैयार की जा रही है. ऐसा दावा एबीवीपी ने किया है. सरकार जाने के बाद एबीवीपी सदस्यों की संख्या घटी: जब सत्ता में भाजपा की सरकार थी उस दौरान साल 2018 में एबीवीपी के सदस्यों की संख्या कहीं ज्यादा थी. जानकारी के मुताबिक उस दौरान एबीवीपी सदस्यों की संख्या लगभग सवा लाख थी. लेकिन 2023 में यह संख्या घटकर लगभग 85000 रह गई है. एबीवीपी के पदाधिकारियों का कहना है कि कोरोना काल में स्कूल कॉलेज बंद थे. इस वजह से हमारी सदस्यता थोड़ी कम हो गई थी. लेकिन हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में वे कहीं ज्यादा सदस्य बनाने में कामयाब रहेंगे और रिकॉर्ड तोड़ सदस्य एबीवीपी से जुड़ेंगे.
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एनएसयूआई के सदस्यों की बढ़ी संख्या: एनएसयूआई के पदाधिकारियों का कहना है कि"जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार नहीं थी. उस दौरान 2018 में लगभग 2,56,000 सदस्य थे. लेकिन साल 2023 में यह संख्या बढ़कर 3,06,000 पहुंच गई है." एनएसयूआई पदाधिकारियों कहना की"संख्या बढ़ने की प्रमुख वजह कहीं ना कहीं भूपेश सरकार के छात्र हित में किए गए काम हैं, जिस वजह से ज्यादा से ज्यादा छात्र एनएसयूआई से जुड़ रहे हैं. आने वाले समय में यह संख्या और भी बढ़ सकती है." पदाधिकारियों ने यह भी कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी. वे घर-घर दस्तक देंगे और कांग्रेस सरकार की योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाएंगे.

Last Updated : Jun 16, 2023, 2:25 PM IST

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