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Chhattisgarh assembly elections: क्या छत्तीसगढ़ की राजनीति में किंग मेकर है साहू समाज, क्या कहते हैं जानकार ?

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में साहू समाज की भूमिका काफी अहम है. यहां 22 फीसद साहू समाज है. कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में जिस पार्टी को साहू समाज का साथ मिलता है. वह जीत जाता है.

Political expert opinion On Sahu community Role
छत्तीसगढ़ की राजनीति

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Published : Apr 9, 2023, 3:42 PM IST

छत्तीसगढ़ की राजनीति में साहू समाज की भूमिका

रायपुर:छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारियां शुरू हो चुकी है. सभी पार्टियों की निगाहें अपने अपने वोट बैंक पर है. छत्तीसगढ़ में साहू समाज काफी मायने रखता है. प्रदेश में 52 फीसद ओबीसी आबादी है. सर्वाधिक 22 फीसद संख्या साहू समाज की मानी जाती है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि, जिस पार्टी पर साहू समाज की कृपा होती है. उसका जीतना तय होता है. यानी कि, छत्तीसगढ़ में साहू समाज काफी अहम है. आइए आपको बताते हैं कि, साहू समाज की प्रदेश में क्या स्थिति है.

37 सीटों पर साहू समाज का प्रभाव :छत्तीसगढ़ में करीब 37 सीटों पर साहू समाज का प्रभाव है. समाज का दावा है कि वर्तमान में सर्वाधिक नगर निगमों और पंचायतों में समाज के ही जनप्रतिनिधि हैं. पिछले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने साहू समाज के 22 लोगों को टिकट दिया था. सर्वाधिक टिकटें भाजपा से मिली थी. भाजपा ने साहू समाज के 14 लोगों को टिकटें दी थी, जबकि कांग्रेस ने 8 लोगों को टिकट दिया. जिसमें भाजपा से एक और कांग्रेस से 5 लोगों ने जीत दर्ज की है. इसमें से एक को मंत्री बनाया गया है.

साहू समाज पर हर पार्टी की रहती है नजर:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब छत्तीसगढ़ आए थे तो उन्होंने कहा था कि साहू को ही हमारे यहां मोदी कहते हैं. नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद भाजपा ने साहू वोटरों को साधने के लिए 14 टिकटें दी. लेकिन कांग्रेस ने एक बड़ा गेम खेला. दुर्ग लोकसभा सांसद ताम्रध्वज साहू को विधानसभा चुनाव लड़वा दिया. चर्चाएं थी कि, ताम्रध्वज साहू सीएम उम्मीदवार होंगे. समाज के युवा नेता प्रदीप साहू कहते हैं कि, ताम्रध्वज साहू के सीएम उम्मीदवार होने की वजह से समाज ने कांग्रेस का साथ दिया. यही वजह है कि राज्य में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हो पाई है.

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क्या कहते हैं जानकर: इस मामले में पॉलिटिकल एक्सपर्ट उचित शर्मा कहते हैं कि "छत्तीसगढ़ में विकास के नाम पर वोट दिया जाता है. यहां साहू समाज की संख्या अच्छी खासी है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि जाति के आधार पर वोट दिया जाता है. क्योंकि रायपुर के ही ग्रामीण विधानसभा की बात की जाए तो, वह साहू बाहुल्य वाला क्षेत्र है. वहां से ब्राह्मण विधायक जीत कर आए हैं. इसी तरह धरसीवां विधानसभा की बात करें तो, वहां भी साहू वोटरों की संख्या अधिक है. लेकिन वहां भी ब्राह्मण जीत कर आए हैं. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि. छत्तीसगढ़ में जाति के आधार पर वोट दिया जाता है."

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