रोहन अग्रवाल की पर्यावरण बचाने की मुहिम देहरादून (उत्तराखंड): जलवायु परिवर्तन देश दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. जिसके चलते न सिर्फ पर्यावरणविद चिंतित हैं, बल्कि वैज्ञानिक भी भविष्य में आने वाले चुनौतियों को लेकर आगाह करते नजर आ रहे हैं. देश के जागरूक नागरिक भी जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के खिलाफ अपनी तरफ से मुहिम चला रहे हैं.
रोहन पर्यावरण बचाने की मुहिम के तहत उत्तराखंड आए हैं पर्यावरण जागरूकता पदयात्रा पर रोहन: इसी क्रम में महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले 22 साल के रोहन पर्यावरण जागरूकता को लेकर पदयात्रा कर रहे हैं. रोहन न सिर्फ भारत देश में पदयात्रा कर रहे हैं, बल्कि कई अन्य देशों में भी उन्होंने पदयात्रा करने का लक्ष्य रखा है. अभी तक वो देश के करीब 28 राज्यों और नेपाल के साथ ही बांग्लादेश में पदयात्रा कर चुके हैं. यानी अभी तक 21 हजार किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं. आखिर क्या है इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य, किस तरह से कर रहे हैं पदयात्रा आइए आपको बताते हैं.
28 राज्य पैदल घूम चुके रोहन: महाराष्ट्र के नागपुर शहर में रहने वाले रोहन अग्रवाल तीन साल पहले लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व भ्रमण पर निकले हुए हैं. देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही नेपाल और बांग्लादेश में पैदल यात्रा कर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंचे हैं. देहरादून में कई मंत्रियों और अधिकारियों से मुलाकात करने के बाद अब रोहन प्रदेश के अन्य शहरों के लिए रवाना हो गए हैं. इस पैदल यात्रा के दौरान कई बार जहां आवश्यकता होती है, वहां कुछ लोगों से यात्रा के लिए सहयोग मांग कर यात्रा पूरी कर रहे हैं.
रोहन नेपाल और बांग्लादेश भी जा चुके हैं क्लाइमेट चेंज से हो रही है समस्या: वहीं, रोहन अग्रवाल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि पर्यावरण में जो समस्याएं आ रही हैं वो अब सबके सामने हैं. क्लाइमेट चेंज की वजह से अलग अलग समस्याएं देखने को मिल रही हैं. इनमें पानी की समस्या, बाढ़ की समस्या, लगातार भूकंप आने की समस्या, साइक्लोन के साथ ही खाने पीने की चीजें शामिल हैं. हालांकि, उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में भी पर्यावरण की वजह से समस्या देखी जा रही है. लेकिन लोग इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. ऐसे में इन समस्याओं को देखते हुए वो खुद पैदल यात्रा पर निकले हैं, ताकि लोगों को पर्यावरण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक किया जा सके.
21 हजार किमी पैदल चल चुके रोहन: साथ ही रोहन ने बताया कि उन्होंने लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए अपनी यात्रा की शुरुआत 25 अगस्त 2020 को वाराणसी में गंगा स्थान करने के बाद की थी. जिसके बाद से अभी देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की यात्रा पूरा कर चुके हैं. इसके साथ ही नेपाल और बांग्लादेश में भी पैदल यात्रा कर चुके हैं. यानी अभी तक करीब 21 हजार किलोमीटर का सफर पैदल यात्रा के जरिए तय कर चुके हैं. इस यात्रा के दौरान वो मुख्य रूप से युवाओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं. इसके लिए स्कूलों, कॉलेज और पब्लिक प्लेस में जाकर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के साथ ही लोगों को पर्यावरण से जोड़ने की कोशिश करते हैं.
रोहन अब विदेश में भी पर्यावरण बचाने की मुहिम चलाएंगे पर्यावरण जागरूकता फैलाना है समाजसेवा: साथ ही कहा कि जो लोग समाज सेवा करना चाहते हैं, उनके लिए सबसे अच्छा समाजसेवा करने का तरीका पर्यावरण है. क्योंकि पर्यावरण किसी भी धर्म, जाति, क्षेत्र, देश, भाषा और समाज से बाधित नहीं है. ऐसे में पर्यावरण के लिए समाजसेवा करेंगे तो वो पूरी मानवता के लिए समाजसेवा होगी. अपनी यात्रा के दौरान वो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पहुंचे हैं. इसके बाद प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में जाकर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करेंगे. इसके बाद उत्तराखंड से जुड़े नेपाल देश के कुछ क्षेत्रों फिर हिमाचल प्रदेश की तरफ रुख करेंगे. फिर जम्मू कश्मीर, लद्दाख, गुजरात और हरियाणा जाना बाकी है.
विदेश पदयात्रा का रोडमैप तैयार: देश की यात्रा को पूरा करने के बाद रोहन अग्रवाल विदेश के लिए रवाना होंगे. जिसके तहत जो रोडमैप तैयार किया गया है, उसके अनुसार म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, चाइना, मंगोलिया, रूस, मकाऊ, साइबेरिया समेत तमाम देशों में पदयात्रा करेंगे. साथ ही कहा कि साइबेरिया में एक जगह है ओएमयाकोन जो विश्व की सबसे ठंडी जगह है. वहां का तापमान माइनस 70 डिग्री तक जाता है. जिस जगह पर सात व्यक्ति गए हैं, लेकिन फ्लाइट के जरिए. अभी तक पैदल यात्रा पर कोई नहीं पहुंचा है.ऐसे में अगर वो पहुंचते हैं तो पहले व्यक्ति बनेंगे जो पैदल यात्रा कर वहां पहुंचेगा. ये यात्रा पूरी करने में करीब 4 से 5 साल का समय अभी लगेगा.
पदयात्रा में आती हैं ये दिक्कतें: पैदल यात्रा के दौरान तमाम दिक्कतें सामने आती हैं. जिसमें रहना, खाना समेत तमाम चीजों की जरूरत पड़ती है. इस सवाल पर रोहन ने बताया कि इस यात्रा के दौरान पर्यावरण से जुड़े लोगों से मुलाकात होती है. लिहाजा वो लोग रहने खाने की व्यवस्था करते हैं. साथ ही जिस जिस राज्य में गए, वहां की सरकार भी इस यात्रा को सफल बनाने में मदद करती है, ताकि वो अपने इस सफर को जारी रख सकें. हालांकि, ये यात्रा सबके लिए है. ऐसे में लोग मदद करने की कोशिश करते हैं. लेकिन तमाम तरह की दिक्कतें भी आती हैं. साथ ही कहा कि कई बार ऐसा हुआ जब भूखा भी रहना पड़ा. कई घंटों तक पैदल चलना पड़ा, जिस दौरान सड़क पर कोई नजर नहीं आया.
संस्कृति से कटने का परिणाम जलवायु परिवर्तन: उम्र के इस पड़ाव में युवाओं में चाह होती है कि उनके पास अच्छी नौकरी हो. तमाम सुख सुविधाएं हों. लेकिन इतनी छोटी से उम्र में समाजसेवा करने के सवाल पर रोहन ने कहा कि समाजसेवा एक ऐसा विषय है जो कम होता जा रहा है. हमारी जो सांस्कृतिक जड़ है, उससे दूर होते जा रहे हैं. हमारी संस्कृति यह कहती है कि पूरी मानवता, जीव जंतु और वनस्पतियों के बारे में सोचो. लेकिन आज लोग उससे दूर होते जा रहे हैं. साथ ही कहा कि वो अभी पढ़ाई भी कर रहे हैं. वर्तमान समय में वो बीकॉम थर्ड ईयर में हैं. साथ ही इंग्लिश सब्जेक्ट से बीए कर रहे हैं. ये पढ़ाई वो ऑनलाइन माध्यम से कर रहे हैं. लिहाजा जब भी समय लगता है वो पढ़ाई भी करते हैं.
5 साल बाद पूरी होगी पदयात्रा: समाजसेवा की राह पर जाने का निर्णय लेने पर क्या परिजन नाराज नहीं हुए थे. क्या इस बात का दबाव नहीं बनाया कि पढ़ाई करके नौकरी करो. घर पर ही रहो. इस पर रोहन ने बताया कि जब उन्होंने पैदल यात्रा शुरू की थी उस शुरुआती दौर में काफी दिक्कतें हुई थी. क्योंकि इसकी शुरुआत करना आसान नहीं था, जिसके चलते परिजनों ने भी ऑब्जेक्शन उठाया था. लेकिन जैसे जैसे यात्रा बढ़ी घर वाले भी समझने लगे. आज परिवार का भी पूरा सपोर्ट मिल रहा है. ऐसे में करीब 5 साल बाद जब ये पैदल यात्रा पूरी होगी उसके बाद काम करेंगे.
देहरादून से रोहन अग्रवाल मसूरी पहुंचे. मसूरी पहुंचने पर उनका अग्रवाल महासभा और युवा प्रकोष्ठ द्वारा अग्रसेन चौक पर शॉल और पुष्प भेंट कर स्वागत किया गया. रोहन ने कहा कि अपने मिशन में वह मुख्य रूप से प्लास्टिक और पर्यावरण पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने और भारत को एकजुट करने के लिए लोगों तक मानवता और भाईचारे का संदेश फैलाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इस मौके पर संरक्षक धन प्रकाश अग्रवाल, संस्था महामंत्री संदीप अग्रवाल, संरक्षक विनेश संगल, युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष अतुल अग्रवाल, संदीप अग्रवाल ,राजीव अग्रवाल आदि मौजूद थे.
ये भी पढ़ें: क्या केदारनाथ में शीतकाल में हो रहे निर्माण कार्यों से बिगड़ रही हिमालय की सेहत? जानिए क्या कहते हैं पर्यावरण विशेषज्ञ