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श्श्श... सांपों से बचके रखें कदम, हर साल ले रहे इतने लोगों की जान - snake bite death in uttarakhand

उत्तराखंड में सर्पदंश से मौत के आंकड़े चिंता का सबब बनते जा रहे हैं. साल-दर साल सांप के काटने से बड़ी तादाद में लोग जान गंवा रहे हैं. जो वन महकमे के लिए भी चिंता का सबब बना हुआ है.

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सांपों से बचके रखें कदम

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Published : Jul 15, 2023, 11:57 AM IST

Updated : Jul 16, 2023, 12:41 PM IST

सांपों से बचके रखें कदम

देहरादून (उत्तराखंड): मानसून सीजन में सांपों का आबादी क्षेत्र में दिखना आम बात हो जाती है. जो लोगों के लिए खतरनाक होता है. मानसून सीजन में सांपों के दिखने की घटनाओं में इजाफा होने के बाद वन विभाग की चिंता जरूर बढ़ा दी है. आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल कई लोग सर्पदंश के कारण दम तोड़ देते हैं.उधर उत्तराखंड में भी वन्यजीवों के मुकाबले सांपों के कारण हताहत होने वाले लोगों की संख्या काफी चौंकाने वाले हैं. देखिये रिपोर्ट...

हर साल गंवानी पड़ती है लोगों को जान:हिंदू मान्यताओं में वैसे तो सांप को भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है और नाग पंचमी पर सांपों की पूजा भी होती है. लेकिन सामान्य तौर पर सांप खौफ का पर्याय भी हैं और इसका जहरीला होना इंसानों और जानवरों के लिए खतरनाक है. शायद यही कारण है कि अक्सर तमाम जहरीले सांप वन विभाग की चिंता का सबब बने रहते हैं. वैसे सांपों को लेकर ही चिंता बेवजह भी नहीं है, क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि भारत में सांपों के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो जाती है.

सांपों से सतर्क रहने की जरूरत
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भारत में सर्पदंश के चौंकाने वाले मामले:स्थिति यह है कि दुनिया भर में सांपों के काटने से सबसे ज्यादा मौतें भारत में ही रिकॉर्ड की गई हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सांपों के कारण सबसे ज्यादा खतरा मानसून सीजन में ही होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यही वह सीजन है जब सांप बिलों से बाहर निकलकर जमीन पर रेंगते हुए इंसानों के करीब तक पहुंच जाते हैं. इंसान इनके जहरीले सर्पदंश का शिकार हो जाता हैं. ग्लोबल रिसर्च कोलैबोरेट नेटवर्क ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के सर्वे (Global Burden of Disease (GBD) Report) में चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. भारत में हर साल करीब 40 से 50 हजार लोग सर्पदंश के कारण जान गंवाते हैं.

दुनिया के करीब 80% मामले भारत में सामने आते हैं. उत्तराखंड की बात करें तो साल 2020 में सांप के काटने से 15 लोगों की मौत हुई, जबकि 55 लोग अस्पताल में भर्ती हुए. वहीं साल साल 2021 में सांप के काटने से 21 लोगों की मौत हुई और 50 लोग अस्पताल पहुंचे. वहीं बात साल 2022 की करें तो सांप के काटने से 13 लोगों की मौत हुई, जबकि 40 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हुए. वहीं उत्तराखंड में सांपों की 37 प्रजातियां मिलती हैं, जिसमें 15 से 20% सांप ही जहरीले पाए जाते हैं. सांपों की महज 6 प्रजातियां की बेहद जहरीली हैं.

उत्तराखंड में सांपों के काटने से मौत का आंकड़ा

सर्पदंश मामले में भारत नंबर वन, उत्तराखंड टॉप 10 से बाहर: ग्लोबल रिसर्च कोलैबोरेट नेटवर्क ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के सर्वे के अनुसार भारत, पाकिस्तान, अफ्रीका, अमेरिका सूडान में सबसे ज्यादा सांप के काटने से मौत के मामले सामने आये है. इन आंकड़ों में भारत नंबर एक पर है. राज्यों के लिहाज से अगर बात करें तो बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा और उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा मौतें सांप के काटने से होती हैं. इस मामले में उत्तराखंड टॉप 10 से बाहर है. वहीं सर्वे में भारत, पाकिस्तान, अफ्रीका, अमेरिका सूडान में सबसे ज्यादा सांप के काटने से मौत के मामले सामने आते हैं. राज्यों में बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उड़ीसा और उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा सांप के काटने से मौतें होती हैं.

मानसून सीजन में बिलों से बाहर निकलते हैं सांप

मानसून सीजन में बढ़ती है घटनाएं:मानसून सीजन इस लिहाज से सबसे ज्यादा खतरे वाला होता है. इस मामले में लगातार ऐसी घटनाओं पर नजर रखने वाला वन विभाग मानसून सीजन के दौरान सांपों के देखने की सूचनाएं बढ़ने की बात कहता है. जानकारी के अनुसार जून से सितंबर महीने के बीच सांपों के देखने की शिकायत है और सांपों के द्वारा काटे जाने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती है. इसके पीछे वजह यह है कि बरसात के समय सभी जगह पानी आने के कारण सांप अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं और रेंगते हुए यह कई बार लोगों के घरों के भीतर या आसपास पहुंच जाते हैं.

उत्तराखंड में संर्पदंश की बढ़ी घटनाएं
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क्या कह रहे जिम्मेदार:देहरादून के डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी बताते हैं कि इस मौसम में हर बार सांपों के दिखाई देने की सूचनाएं सबसे ज्यादा आती है. जिसके बाद वन विभाग की टीम फौरन सांपों को रेस्क्यू करने का काम करती है. प्रभागीय वन अधिकारी कहते हैं कि इसके लिए देहरादून शहर में ही 5 टीमें काम कर रही हैं और हर दिन 4 से 5 सूचनाएं यहां मिल रही है. उत्तराखंड में सांप साल दर साल बड़ी चिंता का सबब बनते रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ सालों में बाघ और भालू को भी सांपों ने इंसानी जिंदगी लेने के मामले में पीछे छोड़ दिया है. आंकड़े जिसकी तस्दीक कर रहे हैं.

मानसून सीजन में ज्यादा दिखते हैं सांप

एहतियात बरतने की जरूरत:उत्तराखंड में पाए जाने वाले बेहद घातक जहरीले सांपों में ब्लैक, द किंग कोबरा, इंडियन कैरेत, कोरल स्नेक, ब्लैकबेलीड, कोबरा और रसेल वाइपर शामिल है. वैसे देश में तो 300 से ज्यादा सांपों की प्रजातियां हैं, इसमें भी करीब 10 प्रजातियां ही जहरीली हैं. वैसे दुनियाभर में 80% सांपों के काटने से मौतें भारत में ही होती हैं, इसके अलावा अफ्रीका, पाकिस्तान बांग्लादेश जैसी देशों में भी सर्पदंश मौत का कारण बनते हैं.

मानसून के मौसम में सांपों को लेकर सबसे ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत होती है. खास तौर पर यदि कोई सांप काट ले तो ऐसी स्थिति में फॉरेन इलाज की जरूरत भी होती है, ताकि जहर को पूरे शरीर में फैलने से बचाया जा सके. उत्तराखंड में हर दिन 30 से 40 जगहों पर सांपों के देखे जाने की जानकारी मिलती है. इसको लेकर वन विभाग की QRT टीम बनाई गई है, जो सांपों को पकड़ कर वापस जंगलों में छोड़ देती है.

ऐसे करें जहरीले सांपों से बचाव

  • बारिश के दौरान या रात में घर से बाहर सावधानी से निकलें. टार्च या किसी अन्य रोशनी के साथ घर से बाहर निकलें.
  • वहीं घर की रसोई में बचा खाना व्यस्थित ढंग से रखें. आसपास गिरा होने से घर में चूहे, मेढ़क आते हैं, जिसके साथ ही सांप भी आ सकता है.
  • घर के आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. घर के पास मानसून सीजन में झाड़ियां ना पनपने दें.
  • सोने के विस्तर को दीवार से सटाकर ना लगाए.
  • रात को जमीन में सोने से बचें.
Last Updated : Jul 16, 2023, 12:41 PM IST

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