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ऋषिकेश चौरासी कुटिया पर पीएम मोदी की नजर, केदारनाथ की तरह जल्द बदलेगी तश्वीर - ऋषिकेश चौरासी कुटिया का इतिहास

ऋषिकेश में चौरासी कुटिया संगीत, धर्म, आस्था, वाइल्ड लाइफ और योग के लिए जानी जाती है. इस आश्रम का ऐतिहासिक महत्व है. इसका संबंध फेमस बीटल्स ग्रुप से भी है. जिसके कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है. समय के साथ साथ इस आश्रम पर ध्यान नहीं दिया गया, मगर अब पीएम मोदी खुद इस पर नजर रखे हुए हैं. पीएम मोदी ऋषिकेश चौरासी कुटिया का बिना स्वरूप बदले इसका कायाकल्प करना चाहते हैं. इसके लिए पीएमओ ने राज्य सरकार से पत्राचार भी किया है.

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ऋषिकेश में चौरासी कुटिया

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Published : Jun 7, 2023, 8:22 PM IST

देहरादून(उत्तराखंड): केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे धार्मिक स्थलों का कायाकल्प करने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजर ऋषिकेश स्थित विश्व प्रसिद्ध चौरासी कुटिया पर है. इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय ने खुद राज्य सरकार को बीते कुछ महीने पहले एक पत्र लिखा. जिसमें बताया गया की पीएम मोदी ऋषिकेश में स्थित महर्षि महेश योगी के स्थान को दोबारा से विकसित करना चाहते हैं. इसके लिए तमाम मंत्रालयों और पीएम मोदी ने राज्य सरकार से बातचीत की है. जिसके बाद यह साफ हो गया है कि आने वाले कुछ महीनों बाद ऋषिकेश गंगा किनारे बसी इस खूबसूरत नगरी के दिन बदलने वाले हैं.

वापस लाई जाएगी पुरानी पहचान, बदलेगी चौरासी कुटिया की दशा:उत्तराखंड के रहने वाले और खासकर ऋषिकेश, देहरादून, हरिद्वार के लोग भी इस बात से अनभिज्ञ हैं कि ऋषिकेश में कोई ऐसी जगह भी है जहां पर जाकर आपको यह महसूस होगा मानो आप किसी और ही दुनिया में आ गए हों. यहां चारों तरफ हरे-भरे जंगल, वन्यजीवों की चहल पहल, पुराने खंडहर हैं. ये एक ऐसी जगह है जहां अगर कोई ध्यान लगाने बैठ जाए तो घंटों तक उसका यहां से उठने का मन नहीं करेगा. यह स्थान ऋषिकेश गंगा पार या यह कहें परमार्थ निकेतन के पिछले हिस्से में एक बड़े क्षेत्रफल में फैला है. इस स्थान का जितना महर्षि महेश योगी से है उतनी ही पहचान अमेरिकन म्यूजिकल ग्रुप बीटल्स ने भी है. साल 1967 और 68 के समय में यह बैंड यहां पर लगभग 1 साल तक रहा. इस बैंड ने लगभग 48 गानें यहीं पर लिखे. इसके बाद एक एल्बम में उन्होंने इन गानों की प्रस्तुति भी दी. जिसके बाद दुनिया भर में ऋषिकेश का यह स्थान चर्चाओं में आया. इसके बाद महर्षि महेश योगी के भक्तों की संख्या भी अचानक बेहद बढ़ गई.

बदलेगी चौरासी कुटिया की दशा

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बेहद ख़राब हालत में चौरासी कुटिया, फिर भी टिकट लेकर आतें है लोग:आज कुछ लोग यहां जाते तो हैं, लेकिन 100 में से 90 लोगों को इसके बारे नें कोई जानकारी ही नहीं. इतना ही नहीं जो लोग यहां पर जाते हैं उनका मन यहां फैली अव्यवस्थाओं के बाद दुखी हो जाता है. यहां बड़ी-बड़ी घास उगी है. कहीं पेड़ फैले हैं. महर्षि और बीटल्स के रहने के स्थान और ध्यान कुंज गंदे पड़े हुए हैं. चौरासी कुटिया की सालों से रंगाई पुताई नहीं हुई है. यहां 40 साल पहले बनाई गई पेंटिग्स आज बेरंग सी दिखाई देती है. इन तमाम अव्यवस्थाओं के बाद भी लोग यहां पहुंचते हैं.

खंडहर हो चुकी चौरासी कुटिया

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ऋषिकेश में चौरासी कुटिया

क्या कहते हैं मंत्री:अपने जमाने में यह स्थान चर्चाओं में रहता था. छोटे-छोटे बने यहां के ध्यान कुंज सभी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. देशी और विदेशी दोनों ही लोगों का यहां पर मजमा लगता था. अध्यात्म, योग और ध्यान को लेकर चौरासी कुटिया की ख्याती तब दुनिया में फैल रही थी. पहले यहां बनी गुफाओं में ध्यान करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते थे. अब यह गुफाएं और यह चौरासी कुटिया खंडहर में तब्दील हो गई हैं. उत्तराखंड सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज कहते हैं हम एक बड़ी कंपनी को इसका काम दे रहे हैं. ये कंपनी इसकी डीपीआर तैयार करेगी. इसके साथ ही इसमें लोगों के ध्यान के लिए भी विशेष व्यवस्थाएं की जाएंगी. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा चौरासी कुटिया के पुराने स्वरूप को वापस लाने की दिशा में काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा चौरासी कुटिया आने वाले समय में ईको डेस्टिनेशन बनकर तैयार होगा. पीएम मोदी भी इसका कायाकल्प करना चाहते हैं. इसलिए उनके दफ्तर से भी इस पर नजर रखी जा रही है.

महर्षि महेश योगी

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ऋषिकेश में चौरासी कुटिया को जानें

महर्षि महेश के सफर को जानिये: महर्षि महेश योगी का नाम महेश प्रसाद वर्मा था. उनका जन्म 12 जनवरी 1918 में छत्तीसगढ़ जिले में हुआ. इसके बाद उनकी पढ़ाई इलाहाबाद में हुई. 50 के दशक में वह अपने गुरु के पास शिक्षा लेने के लिए हिमालय की तरफ आये. यहीं से उन्हें योग, ध्यान की शिक्षा प्राप्त हुई. बाद में महर्षि महेश योगी से दुनियाभर के बड़े-बड़े मशहूर लोग जुड़ने लगे. उनकी फैन फॉलोइंग दुनिया के हर कोने में होने लगी. ऋषिकेश में विदेशियों का रुझान तो पहले से ही था, लेकिन, महेश योगी की तपस्थली और आश्रम के बाद यहां विदेशी बड़ी संख्या में पहुंचने लगे. समय-समय पर महर्षि महेश योगी यहां ध्यान, शिक्षण शिविर और योग के बड़े-बड़े आयोजन करते थे. जिसमें देशी और विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगता था.

अपने विदेशी शिष्यों के साथ महर्षि महेश योगी

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आश्रम से जुड़ी ये हैं महत्वपूण जानकारियां:आप इस जगह की महत्वता और खूबसूरती का अंदाजा इस बात से भी लगा सकतें है की खंडहर हो चुके इस स्थान को लोग आज भी टिकट लेकर देखने के लिए आते हैं. इस आश्रम का निर्माण साल 1961 में महर्षि महेश योगी ने करवाया. इसमें 84 छोटी-छोटी कुटियां हैं. इस कुटिया में 140 भवन हैं.साल 1968 में इंग्लैंड के मशहूर बैंड बीटल्स ग्रुप के 4 सदस्य यहां आए. यहीं पर उन्होंने अपना एक म्यूजिक एल्बम भी बनाया. ये एल्बम पूरे विश्व में बेहद प्रसिद्ध हुआ. 1961 में महेश योगी ने 40 साल के लिए वन विभाग से इस भूमि को लीज पर लिया. अब यह भूमि वन विभाग के पास ही है. वन विभाग इसकी देखरेख करता है. साल 2000 में वन विभाग ने इसका अधिग्रहण किया. इस स्थान पर जाने का रास्ता लक्ष्मण झूला और राम झूला से जाता है. साथ ही हरिद्वार से चिल्ला मार्ग होते हुए जंगल के रास्ते भी यहां तक पहुंचा जा सकता है. इस पूरे क्षेत्र को राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में बनाया गया है. करीब 7.5 हेक्टेयर वन भूमि इस आश्रम के लिए उपयोग में लाई गई. इस आश्रम के पुराने स्वरूप में आने के बाद यहां आने वाले पर्यटक एक अच्छा खासा शुल्क देकर ना केवल यहां पर समय बिता पाएंगे, बल्कि ध्यान, भजन इत्यादि करने की भी यहां पर भरपूर सुविधा मिलेगी. साथ ही महर्षि महेश योगी और बीटल्स की यादों को भी पेंटिंग, मूर्तियोंं के द्वारा यहां प्रदर्शित किया जाएगा.

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