लंदन: ब्रिटेन के भारतीय मूल के पहले प्रधानमंत्री (first prime minister of indian origin) बनने जा रहे ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने हाल में कहा था कि वह ब्रिटेन-भारत संबंधों को बदलना चाहते हैं ताकि इसे दोतरफा आदान-प्रदान वाला बनाया जा सके, जिससे ब्रिटेन के छात्रों और कंपनियों की भारत में आसान पहुंच हो. अगस्त में कंजरवेटिव पार्टी के भारतवंशी सदस्यों की एक सभा को संबोधित करते हुए सुनक (42) ने देश को महंगाई के कठिन दौर से निकालने और बेहतर, सुरक्षित ब्रिटेन का निर्माण करने का संकल्प लिया था.
भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट से स्पष्ट था कि सुनक की भारतीय विरासत और जातीय अल्पसंख्यक पृष्ठभूमि की ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने की प्रतियोगिता में कोई भूमिका नहीं है. उत्तरी लंदन में कंजरवेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआईएन) संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, पूर्व वित्त मंत्री ने 'नमस्ते, सलाम, केम छो और किड्डा' जैसे पारंपरिक अभिवादन के मिश्रण के साथ सभा का अभिवादन किया और हिंदी में कहा 'आप सब मेरे परिवार हो.'
सीएफआईएन की सह-अध्यक्ष रीना रेंजर के द्विपक्षीय संबंधों के बारे में एक सवाल के जवाब में सुनक ने कहा कि 'हम जानते हैं कि ब्रिटेन-भारत संबंध महत्वपूर्ण हैं. हम अपने दोनों देशों के बीच जीवित सेतु का प्रतिनिधित्व करते हैं.' सुनक ने कहा था कि 'हम सभी ब्रिटेन के लिए भारत में कारोबार और काम करने के अवसर के बारे में बहुत जागरूक हैं, लेकिन वास्तव में हमें उस रिश्ते को अलग तरह से देखने की जरूरत है, क्योंकि एक बहुत बड़ा क्षेत्र है जो हम यहां ब्रिटेन में भारत से सीख सकते हैं.'
सुनक ने कहा था कि 'मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हमारे छात्रों के लिए भी भारत की यात्रा करना और सीखना आसान हो, हमारी कंपनियों और भारतीय कंपनियों के लिए एक साथ काम करना भी सुगम हो, क्योंकि यह केवल एकतरफा संबंध नहीं, यह दोतरफा संबंध है और मैं उस रिश्ते में इस तरह का बदलाव लाना चाहता हूं.' भारतीय मूल के डॉक्टर पिता यशवीर और फार्मासिस्ट मां उषा के ब्रिटेन में जन्मे बेटे सुनक ने पिछले अभियान के दौरान अपनी प्रवासी जड़ों के बारे में विस्तार से बात की थी.