दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

पेरिस समझौते के अस्थायी लक्ष्य को खतरे में डाल रही है 'ग्रीनहाउस गैस' सांद्रता में वृद्धि - ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच नेटवर्क

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन वार्षिक सम्मेलन (COP26) से पहले विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने चेतावनी दी है कि कार्बन की सांद्रता के साथ वैश्विक तापमान वृद्धि को नियंत्रित करने के मामले में दुनिया रास्ते से भटक गई है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि ग्रीनहाउस गैस डाइऑक्साइड (CO2) 2020 में 413.2 पार्ट्स प्रति मिलियन तक पहुंच गई.

Rise
Rise

By

Published : Oct 25, 2021, 4:12 PM IST

नई दिल्ली :मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार जब मानव गतिविधियों ने पृथ्वी के प्राकृतिक संतुलन को बाधित करना शुरू किया, तब 1750 में CO2 की सांद्रता पूर्व-औद्योगिक स्तर का 149 प्रतिशत, मीथेन (CH4) 262 प्रतिशत और नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) स्तर का 123 प्रतिशत थी.

मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है जो लगभग एक दशक तक वातावरण में रहती है. मीथेन लंबे समय तक ग्रीनहाउस गैसों के वार्मिंग प्रभाव का लगभग 16 प्रतिशत है. जबकि N2O एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस और ओजोन क्षयकारी रसायन दोनों है.

यह लंबे समय तक रहने वाली ग्रीनहाउस गैसों द्वारा विकिरणकारी बल का लगभग 7 प्रतिशत है. वातावरण में गर्मी पैदा करने वाली ग्रीनहाउस गैसों की प्रचुरता एक बार फिर 2020 में एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई. जिसमें वार्षिक दर 2011-2020 के औसत से ऊपर है. यह प्रवृत्ति 2021 में जारी रही. WMO ने एक वैश्विक मीडिया विज्ञप्ति में कहा कि ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन में COP26 में जलवायु परिवर्तन वार्ताकारों के लिए एक स्पष्ट, वैज्ञानिक संदेश है.

ग्रीनहाउस गैस सांद्रता में वृद्धि की वर्तमान दर पर हम इस सदी के अंत तक पेरिस समझौते के पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस अधिक के तापमान में वृद्धि देखेंगे. डब्ल्यूएमओ महासचिव पेटेरी ने कहा कि हम रास्ते से भटक गए हैं.

विश्व भर के नेता 31 अक्टूबर से यूके के ग्लासगो में COP26 के लिए मिलने के लिए तैयार हैं. ताकि उत्सर्जन को कम करने के लिए एक वैश्विक कार्य योजना तैयार की जा सके और वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री तक बनाए रखा जा सके.

CO2 के लंबे जीवन को देखते हुए पहले से देखा गया तापमान स्तर कई दशकों तक बना रहेगा. भले ही उत्सर्जन तेजी से शून्य तक कम हो जाए. बढ़ते तापमान के साथ इसका मतलब है कि अत्यधिक गर्मी और वर्षा, बर्फ का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि और समुद्र के अम्लीकरण में वृद्धि होगी.

यह संख्या डब्लूएमओ के ग्लोबल एटमॉस्फियर वॉच नेटवर्क द्वारा निगरानी पर आधारित है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि वायुमंडल में CO2 की मात्रा 2015 में 400 भागों प्रति मिलियन के मील के पत्थर को पार कर गई और सिर्फ पांच साल बाद यह 413 पीपीएम से अधिक हो गई.

कहा गया है कि अल्पावधि में वायुमंडलीय मीथेन को कम करने से पेरिस समझौते की उपलब्धि का समर्थन हो सकता है और कई लोगों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है. बुलेटिन में कहा गया है कि यह CO2 में मजबूत, तीव्र और निरंतर कटौती की आवश्यकता को कम नहीं करता है.

तालास ने कहा कि चेतावनी है कि पिछली बार पृथ्वी ने सीओ 2 की तुलनीय सांद्रता का अनुभव 3-5 मिलियन वर्ष पहले किया था. जब तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस था और समुद्र का स्तर अब की तुलना में 10-20 मीटर अधिक था. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि तब 7.8 अरब लोग COP26 प्रतिबद्धताओं में नाटकीय वृद्धि को देखेंगे.

यह भी पढ़ें-'आखिर गडकरी को विकास के इतने आइडिया कहां से आते हैं', देखिए उन्होंने क्या दिया जवाब ?

हमें अपनी प्रतिबद्धता को कार्रवाई में बदलने की जरूरत है जिसका प्रभाव जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाली गैसों पर पड़ेगा. हमें अपने औद्योगिक, ऊर्जा और परिवहन प्रणालियों और जीवन के पूरे तरीके पर फिर से विचार करने की जरूरत है क्योंकि कुछ भी खोने के लिए समय नहीं बचा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details